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उत्तराखंड हादसे में मंगल और फिलिप ने खोया अपना 18 साथी, कहा- नहीं जाएंगे बाहर काम करने

उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने के बाद हादसे में बचे झारखंड रानियां प्रखंड के राय कंडुलना, मंगलदास पहान, गुदड़ी प्रखंड के फिलिप उत्तराखंड के नीति घाटी की घटना से काफी आहत हैं. अपने 18 साथियों को खोने और 4 साथियों के लापता होने का दर्द उनके चेहरे पर साफ देखा जा सकता है. उन्होंने भविष्य में कभी बाहर काम करने नहीं जाने का फैसला लिया है.

lost their 18 companions in Uttarakhand accident
मंगल और फिलिप ने अपने 18 साथियों को खोया

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Published : Jun 5, 2021, 6:48 AM IST

चाईबासा: उत्तराखंड के चमोली के निति घाटी सुमना में ग्लेशियर टूटने से हुए हादसे की घटना से बच निकले झारखंड रानियां प्रखंड के राय कंडुलना, मंगलदास पहान, गुदड़ी प्रखंड के फिलिप बुढ़ उत्तराखंड के निति घाटी की घटना से काफी आहत हैं. अपने 18 साथियों को खोने और 4 साथियों के लापता होने का दर्द उनके चेहरे पर साफ देखा जा सकता है. वो घटना से इतने आहत हैं कि अब वो काम के लिए अपने गांव-शहर से बाहर जाने से तौबा कर रहे हैं.

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मंगल और फिलिप ने अपने 18 साथियों को खोया

उत्तराखंड की घटना से किसी तरह बच निकले घायल मजदूर बीते गुरुवार की शाम को मनोहरपुर होकर अपने घर लौट रहे थे. घर लौट रहे घायल मजदूरों में रानियां प्रखंड के बनाकेल गांव के (35 वर्षीय) राय कंडुलना, (33 वर्षीय) मंगल दास पाहन और गुदड़ी के टोमडेल निवासी (21 वर्षीय) फिलिप बुढ़ हैं. मजदूरों ने बताया कि अब कभी वो काम करने अपने घर से दूर-दराज अन्य शहरों और अन्य राज्यों में नहीं जाएंगे.

उन्होंने उत्तराखंड की घटना में अपने 18 साथियों के मारे जाने का दावा भी किया है, जबकि उनके 4 साथियों का अब तक पता नहीं चल पाया है. मजदूर फिलिप बुढ़ ने बताया कि वो लोग कुल 25 मजदूर उत्तराखंड के चमोली के भारत-चीन सीमा स्थित सुमना में सड़क कटिंग और पुल का काम करने बंदगांव के मसीह दास के साथ गए थे. बीते 23 अप्रैल को काम करने के दौरान भारी बर्फबारी के चलते ग्लेशियर टूट गया.

भविष्य में कभी बाहर काम पर नहीं जाने का लिया फैसला

मजदूर फिलिप बुढ़ ने बताया कि ग्लेशियर टूटने की आवाज इतनी जोरदार थी कि कुछ समझ आना बंद हो गया. इस हादसे में उसने झारखंड के कुल 18 मजदूरों के मौत होने का दावा किया है. जिसमें रनिया प्रखंड के एक ही परिवार के सांगेन कंडुलना, नियरन कंडुलना, पॉल कंडुलना, बंदगांव के मसीह दास, सोसन हपड़गारा और तोरपा के सुनील बरवा समेत कई मजदूरों की मौत हो गई थी. इस दौरान वो लगभग 12 घंटे तक बर्फ में दबा रहा था. बाद में बचाव दल और अन्य साथियों ने उसे बचाया था. उसने बताया कि उसका बांया हाथ काफी प्रभावित हुआ था. इस घटना से वो सहमे हुए हैं. भविष्य में कभी बाहर काम पर नहीं जाने का फैसला लिया है.

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