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कोरोना से जंग: चाईबासा सदर व रेलवे अस्पताल में लगाए गए स्वचालित रोबोटिक उपकरण, हाईटेक आइसोलेशन बेड युक्त भी तैयार

झारखंड में कोरोना महामारी के कारण विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं. खासकर अस्पतालों में सुविधाओं को बढ़ाया गया. राज्य में कोविड-19 सर्वसुविधायुक्त अस्पताल तैयार किए गए हैं.

रोबोटिक उपकरण
रोबोटिक उपकरण

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Published : Apr 15, 2020, 12:46 PM IST

Updated : Apr 15, 2020, 3:44 PM IST

चाईबासा: झारखंड में कोरोना का प्रकोप बढ़ रहा है. इसकी रोकथाम के लिए सरकार और प्रशासन सभी कदम उठा रहे हैं. इसी क्रम में पश्चिमी सिंहभूम सदर अस्पताल परिसर स्थित एएनएम कौशल केंद्र और कोविड-19 के लिए समर्पित चक्रधरपुर रेलवे अस्पताल में कई सुविधाएं बढ़ाई गई हैं.

पढे़ं पूरी खबर.

कोविड-19 संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए यहां 20 हाईटेक आइसोलेशन बेड युक्त वार्ड और स्वचालित रोबोटिक उपकरण स्थापित किए गए हैं. इसका शुभारंभ उपायुक्त अरवा राजकमल ने किया.

इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक इंद्रजीत महथा, उप विकास आयुक्त आदित्य रंजन और सिविल सर्जन डॉक्टर मंजू दुबे उपस्थित रही. कोरोना वायरस के संक्रमण से चिकित्सा कर्मियों के बचाव, इलाजरत मरीजों को अनुकूलतम हाइजिन और संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करने के लिए पश्चिमी सिंहभूम में हाईटेक इंडिविजुअल आइसोलेशन बेड का लोकार्पण किया गया है.

इंडिविजुअल आइसोलेशन बेड में इलाजरत कोविड-19 मरीजों तक भोजन और दवाइयों को स्वचालित रोबोटिक उपकरण को-बोट के द्वारा पहुंचाया जाएगा. को-बोट की डिजाइनिंग और प्रोग्रामिंग उप विकास आयुक्त आदित्य रंजन की देखरेख में इंजीनियर्स की टीम के द्वारा की गई है, जिसे उपायुक्त अरवा राजकमल ने लॉंच किया.

क्या है आई-बेड और को-बोट

कोविड-19 से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए बनाए गए हाईटेक आइसोलेशन बेड अथवा आई- बेड अपने-आप में पूरी तरह से ढके हुए हैं, जिससे एक मरीज से दूसरे मरीज तक और मरीज से चिकित्सा कर्मियों तक संक्रमण को रोका जा सकेगा.

आई बेड का कांसेप्ट यह है कि प्रत्येक बेड में मरीज का दूसरे से संपर्क पूरी तरह से विच्छेदित होगा. पीड़ित व्यक्ति को आई-बेड में ही रखा जाएगा.

इससे संक्रमण के फैलने का खतरा न्यूनतम किया जा सके. रोबोटिक्स उपकरण को-बोट रिमोट कंट्रोल से संचालित- पूरी तरह से स्वचालित कोबोट से भोजन, दवाई, पानी इत्यादि पहुंचाने का कार्य किया जाएगा.

इसकी कैरिंग कैपेसिटी 30 किलो हर्ट्ज़ की और रेंज 200 फीट की है. चिकित्सा कर्मियों को संक्रमण से बचाने के लिए यह अत्यंत लाभकारी साबित होगा.

कोबोट वाईफाई कैमरा से युक्त है और इसमें इंस्ट्रक्शन देने के लिए स्पीकर भी लगाया गया है. यह पूरी तरह से वाटरप्रूफ है जिससे कि मरीजों के पास आपूर्ति करने के बाद इसे पूरी तरह से सेनेटाइज भी किया जा सकेगा.

जिले के सभी अस्पतालों में होगा कोबोट का इस्तेमाल

उपायुक्त अरवा राजकमल ने कहा कि कोबोट के माध्यम से भोजन और दवा एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं को पहुंचाने की सुविधा का शुभारंभ किया गया.

उपायुक्त ने कहा कि कोविड-19 के खतरे से लड़ने और चिकित्सा कर्मियों की सुरक्षा की दृष्टि से यह काफी उम्दा प्रयास है. इसके लिए उप विकास आयुक्त और उनकी पूरी टीम की सराहना उपायुक्त ने की.

उन्होंने बहुत ही कम समय में इस रोबोटिक उपकरण को तैयार किया. उपायुक्त ने कहा कि जिले में जितने भी कोविड-19 के इलाज के लिए समर्पित अस्पताल हैं या डेडिकेटेड कोविड-19 हेल्थ सेंटर हैं उनमें इस रोबोटिक्स का उपयोग किया जाएगा.

विशेषकर जहां पर कोरोना संक्रमण से पीड़ित मरीजों को रखेंगे वहां इसको जरूर लगाएंगे. कोविड-19 के मरीजों का उपचार करने वाले चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों को अधिक रिस्क रहता है, इसलिए उनके साथ चिकित्सकों के मेलजोल को जितना कम से कम करेंगे डॉक्टरों की सुरक्षा उतनी ही मजबूत होगी.

इसलिए मरीजों पर नज़र बनाए रखने के लिए और उनकी आवश्यकताओं का हर समय पूरा ख्याल रखने के लिए इस उपकरण में एक कैमरा भी लगाया गया है.

उपायुक्त ने बताया कि आइसोलेशन बेड और कोबोट का उपयोग करके चिकित्सा कर्मियों को रिप्लेस नहीं किया जा रहा है, बल्कि उनकी जो जिम्मेदारियां हैं वह पूर्ववत बनी रहेंगी और उनके दायित्व बराबर पहले जैसे ही रहेंगे.

कोबोट के माध्यम से उनको एक अगले चरण की सुरक्षा प्रदान की जा रही है, जिससे कि जरूरी काम को छोड़कर अनावश्यक कार्यों के लिए मरीज के पास आने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी.

कोविड-19 की त्रासदी से पीड़ित देशों से मिली प्रेरणा

उप विकास आयुक्त ने कहा कि मैंने विदेशों के कुछ वीडियो देखकर रोबोट की संकल्पना की गई और उसे अमलीजामा पहनाया. सामान की डिलीवरी डॉक्टर और नर्सों के लिए एक बड़ा टास्क है.

डॉक्टर और नर्स तो पीपीई किट पहनकर ही मरीज के पास जाएंगे किंतु एंसिलियरी सर्विसेज के लिए जो अन्य स्टाफ है जैसे कि चाहे भोजन पहुंचाना हो, पानी पहुंचाना हो आदि सेवाओं के लिए जो स्टाफ होते हैं. उनमें पीपीई किट की कमी भी है और इसके सावधानीपूर्वक उपयोग और डिस्पोजल में असावधानी की गुंजाइश बनी रहती है.

ऐसे वार्ड जहां कोविड-19 के संक्रमण के पॉजिटिव मरीज हैं वहां चिकित्सक कम से कम जाएं और अन्य स्टाफ को जाने की जरूरत ही नहीं हो.

वार्ड के मरीजों को भोजन और रेगुलर फीड वाली दवाइयां इत्यादि कोबोट के माध्यम से दी जाएंगी. कोबोट में टू-वे कम्युनिकेशन सिस्टम भी है तो इसके माध्यम से प्रत्येक बेड तक भोजन पहुंचाना और जरूरी इंस्ट्रक्शन देने जैसे कार्य कर सकते हैं.

उप विकास आयुक्त आदित्य रंजन ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान कुछ समय का उपयोग विदेशों में बने ऐसे वीडियो को देखने में किया.

वीडियोज को देखते हुए अध्ययन किया कि यदि हमारे जिले में कोरोना संक्रमित मरीज आते हैं या संख्या बढ़ती है तो हम कैसे संक्रमण की रोकथाम के उपाय अपना सकते हैं.

कोरोना त्रासदी से प्रभावित अन्य बड़े देशों में क्या-क्या उपागम अपनाए जा रहे हैं उनसे सीखकर और प्रेरणा लेते हुए पहले से तैयारी की जा रही है.

एक दूसरे से सीखते हुए काफी लाभकारी कार्य कर सकते हैं. इसके लिए किसी बड़े आविष्कार की जरूरत नहीं है.आवास के गैरेज में इंजीनियर्स की टीम के साथ उप विकास आयुक्त ने तैयार किया है. आयुक्त ने कहा कि कोबोट में एक कैमरा लगाया गया है जो कि चुनाव के समय में भी हम उपयोग करते हैं.

इंटरनेट और वाईफाई के माध्यम से कोविड-19 मरीजों के वार्ड के अंदर मरीजों की स्थिति को दूर बैठे रह कर भी मॉनिटर कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि बाजार में आसानी से उपलब्ध अन्य उपकरणों के माध्यम से कोबोट को समेकित रूप से बनाया गया है.

पश्चिमी सिंहभूम जिले में कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए जितने भी अस्पताल होंगे उन सभी में कोबोट को इस्तेमाल किया जाएगा. उद्देश्य यही है कि कोरोना के संक्रमण से पीड़ित मरीज के साथ कम से कम इंटरेक्शन हो, जिससे संक्रमण को फैलने से रोका जा सके.

Last Updated : Apr 15, 2020, 3:44 PM IST

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