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हॉकी का गढ़ बना सिमडेगा, यहां से निकले 2 ओलंपियन, 12 इंटरनेशनल और 100 से अधिक नेशनल खिलाड़ी

सिमडेगा को हॉकी का नर्सरी कहा जाता है. यहां बच्चे अपने जीवन की शूरुआत गुल्ली-डंडे से नहीं, बल्कि बांस के स्टिक से करते हैं. जो आगे चलकर हॉकी स्टिक पकड़कर देश का नाम रौशन करते हैं. जिले से 2 ओलंपियन समेत कई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी निकल चुके हैं.

हॉकी की नर्सरी सिमडेगा

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Published : Aug 29, 2019, 9:48 PM IST

सिमडेगा: देश को दो-दो ओलंपियन और कई दर्जन अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी देने वाले सिमडेगा की धरती को हॉकी का नर्सरी कहा जाता है. जिले में एक से बढ़कर एक खिलाड़ी सालों से निकल रहे हैं. शायद ही हॉकी का कोई ऐसा पदक होगा जो सिमडेगा नहीं आया हो.

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2 ओलंपियन समेत 2 दर्जन अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी
झारखंड के छोटे से सुदूरवर्ती जिला सिमडेगा में हॉकी रची बसी है. यहां की जमीन हॉकी के लिए इतना उपजाऊ है कि यहां के बच्चे जीवन की शुरुआत गुल्ली-डंडे की जगह बांस के बने हॉकी स्टिक से करते हैं. यही कारण है कि सिमडेगा ने 2 ओलंपियन समेत 2 दर्जन इंटरनेशनल और 100 से ज्यादा नेशनल खिलाड़ी दिए हैं. जिले के कुरडेग प्रखंड से सिलवानुस डुंगडुंग मास्को ओलम्पिक में आखिरी गोल्ड जीतने वाले टीम के सदस्य रहे, तो तीन-तीन विश्वकप में ब्रॉन्ज, सिल्वर और गोल्ड जीतने वाले टीम के सदस्य माइकल किंडो एक दशक तक टीम के आयरन गेट फूल बैक कहे जाते रहे. भारतीय महिला टीम को सिमडेगा ने सुमराय टेटे और असुंता लकड़ा जैसा टीम कप्तान दिया. वहीं एक वक्त था जब राष्ट्रमंडल खेलों में भाग ले रही भारतीय हॉकी टीम में आधी संख्या सिर्फ सिमडेगा से हुआ करती थी.

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लकड़ा परिवार से 5 अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी
असुंता लकड़ा पूर्व महिला हॉकी कप्तान का ऐसा अनूठा परिवार है, जिनके घर में ही 5 अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हैं. इसमें असुंता लकड़ा का भाई बीरेंद्र लकड़ा, बिमल लकड़ा, भाभी कांति और असुंता के पति शामिल हैं. इसके अलावा और भी कई मेडलिस्ट सिमडेगा में भरे पड़े हैं. फिलहाल नेशनल कैंप में संगीता और सलीमा टेटे भाग ले रही हैं. कुल मिलाकर सिमडेगा की धरती में हर दिन नई हॉकी का नया पौधा तैयार होता है.


हॉकी को लेकर विशेष ध्यान देने की अपील
सिमडेगा जिले से राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी हॉकी खिलाड़ी कुनुल भेंगरा ने करंगागुड़ी सहित अन्य स्कूलों का जिक्र करते हुए कहा कि जिले में हॉकी को लेकर छोटे-छोटे बच्चों में काफी उत्साह रहता है. उन्होंने बताया कि उन्हे बचपन से ही हॉकी पसंद था, जिस कारण वो हॉकी सेंटर में आकर प्रशिक्षण ले रही हैं. साथ ही राज्य सरकार से हॉकी को लेकर विशेष ध्यान देने की अपील की. वहीं अन्य खिलाड़ी रीना कुमारी का कहना है कि हॉकी में ही वो अपना भविष्य बनाना चाहती है. हॉकी सेंटर में कोच प्रतिमा बरवा और अन्य प्रशिक्षक के द्वारा कई स्किल सिखाए जाते हैं, जिससे भविष्य में खिलाड़ी बेहतर खेल सके और अपने देश का नाम रौशन कर सके.

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