सिमडेगा: मानव तस्करी की शिकार हुई नाबालिग के साथ दुर्ष्कम की घटना को अंजाम देकर हरियाणा के करनाल में बेच दिया गया. नाबालिग किसी तहर जान बचाकर सिमडेगा पहुंची और सीडब्ल्यूसी की पूर्व अध्यक्ष किरण चौधरी से फोन पर मदद की गुहार लगाई. पूर्व अध्यक्ष ने पीड़ित नाबालिग को आनन-फानन में सदर अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया. 14 सितंबर को डॉक्टर ने पीड़िता को डिस्चार्ज कर दिया है लेकिन उसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. स्थिति यह है कि पीड़ित नाबालिग अस्पताल के बेड पर रहने को मजबूर है.
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दुर्ष्कम पीड़िता को अस्पताल में कोई सुरक्षा नहीं दी गई है. पुलिस-प्रशासन तो दूर, बाल संरक्षण समिति और बाल कल्याण समिति के पदाधिकरी भी अस्पताल में नजर नहीं आए. इस स्थिति में पीड़ित नाबालिग को कितने दिन और सदर अस्पताल में गुजारना होगा, यह कहना मुश्किल है. अस्पताल कर्मी बताते हैं कि नाबालिग से कुछ लोग मिलने पहुंच रहे हैं, जो नाबालिग को धमकी दे रहे हैं और बयान बदलने का दबाव बना रहे हैं.
ऑटो ड्राइवर का कारनामा
जिले के सहयोग विलेज मतरामेटा में काम करने वाला ऑटो ड्राइवर ने नाबालिग को प्रलोभन देकर फंसाया और कुलदीप के सहयोग से करनाल पहुंचा दिया. कुलदीप ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया और फिर उसे हरियाणा के करनाल में बेच दिया. हालांकि, नाबालिग किसी तहर करनाल से भागकर 5 सितंबर को सिमडेगा पहुंची थी. इसकी खबर ईटीवी भारत ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था. खबर प्रकाशित होने के बाद प्रशासन की नींद खुली और पीड़िता का बयान दर्ज किया.
बाल संरक्षण पदाधिकारी सुमित्रा बड़ाईक ने बताया कि नाबालिग को तीन दिन पहले डिस्चार्ज किया गया है. इसकी जानकारी हमें नहीं है. अब जानकारी मिली है तो तत्काल पीड़िता का सहयोग किया जाएगा. उन्होंने कहा कि विलेज मतरामेटा में ले जाने की व्यवस्था की जा रही है.
जल्द होगी आरोपियों की गिरफ्तारी
पुलिस की कार्रवाई भी सुस्त है. घटना के 12 दिन बीत जाने के बावजूद दोनों आरोपी पुलिस गिरफ्त से बाहर हैं. सूत्रों ने बताया कि दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर टीम बनाई गई है, जो लगातार छापेमारी कर रही है. उन्होंने कहा कि जल्द दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा.