सरायकेला: जिला के आदित्यपुर स्थित श्रीनाथ पब्लिक स्कूल में 23वां कारगिल विजय दिवस मनाया गया. मौके पर कारगिल युद्ध में शामिल पूर्व सैनिकों को मुख्य अतिथि डीसी अरवा राजकमल ने शॉल और मोमेंटो देकर सम्मानित किया. कार्यक्रम का शुभारंभ अमर जवान ज्योति पर पुष्प अर्पित कर और दीप प्रज्वलित कर हुआ. कार्यक्रम में स्कूली बच्चों ने देशभक्ति गीत और नृत्य प्रस्तुत कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी. वहीं लघु नाटिका के माध्यम से कारगिल युद्ध का चित्रांकन किया गया.
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डीसी ने कहा-कारगिल युद्ध से मिली कई सीख: मुख्य अतिथि डीसी अरवा राजकमल ने कहा कि कारगिल विजय दिवस हमें कई सीख दे गया. उन्होंने बताया कि उस समय मैं स्कूल में पढ़ रहा था. हमारा देश शांतिप्रिय देश है. हमलोग युद्ध पसंद नहीं करते हैं लेकिन, छेड़ने वालों को कभी छोड़ते भी नहीं. यही हमारे जवानों ने कारगिल युद्ध में किया. इस युद्ध में 527 जवान शहीद हुए और 1300 से ज्यादा जवान गंभीर रूप से घायल हुए थे. इस युद्ध से हमें कई सीख मिली है. आज 23 साल बीत गए हैं, हम दोबारा धोखा नहीं खाएं. डीसी ने कहा कि हमारा भारत ऐसा देश है, जहां इंडियन आर्मी को हम भगवान का दर्जा देते हैं. देश सेवा का मतलब देशवासियों की सेवा.
सैनिकों के परिवारों के कार्य को पूरा करना जिला प्रशासन की है प्राथमिकता:कारगिल विजय दिवस समारोह में शिरकत करते हुए जिला के उपायुक्त अरवा राजकमल ने कहा कि, सैनिक और पूर्व सैनिकों को सरकार स्तर पर काफी सुविधाएं और सहायता प्रदान किए जाने का प्रावधान है. जिसे समय से पूरा किए जाने को लेकर जिला प्रशासन हमेशा तत्पर है. उपायुक्त ने बताया कि जिला में सैनिक कल्याण बोर्ड का भी गठन है, जो सैनिकों से जुड़े सरकारी कार्यों को निष्पादित करने में भूमिका अदा करती है. उपायुक्त ने कहा कि सरकार द्वारा प्राप्त सभी निर्देशों को सैनिकों के लिए समय से पूरा किया जाना भी जिला प्रशासन की प्राथमिकता में शुमार है.
पूर्व सैनिकों ने बताया युद्ध की स्थिति: श्रीनाथ विश्वविद्यालय के चांसलर सुखदेव महतो ने कहा कि कारगिल युद्ध के शहीदों को मेरा नमन, उनकी शहादत हम भूल नहीं सकते. विद्यालय के प्राचार्य संजय कुमार सिंह ने स्कूली बच्चों को 60 दिन तक चले भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध की कई घटनाओं से अवगत कराया. उन्होंने बताया कि किस प्रकार पड़ोसी देश पाकिस्तान ने गद्दारी कर हमारे देश की सीमा का अतिक्रमण कर लिया था. जिसे छुड़ाने के लिए ऑपेरशन विजय नाम से युद्ध शुरू हुआ. अंततः 26 जुलाई 1999 को हमें विजय प्राप्त हुई. पूर्व सैनिकों ने युद्ध में इस्तेमाल बोफोर्स तोप के खूबियों को बताया और युद्ध की स्थिति से स्कूली बच्चों को अवगत कराया.