सरायकेला खरसावाः राष्ट्रीय आपदा कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने केंद्र और राज्य सरकार ने लॉकडाउन लगा रखा है. पहले जहां 21 दिन का लॉकडाउन घोषित था, वहीं संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए केंद्र सरकार ने इसे बढ़ाकर अब 3 मई तक कर दिया है.
वरदान बनी अक्षया कम्युनिटी किचन. इस लॉकडाउन के कारण कई ऐसे लोग हैं, जो शहरों में फंसे हैं, जबकि कई जरूरतमंद और दिहाड़ी मजदूर हैं, जिन्हें बिना काम खाने को दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो पा रहा.
ऐसे में लॉकडाउन के शुरुआती दौर में जिला पुलिस के सहयोग से कम्युनिटी अक्षया किचन की शुरुआत की गयी थी, जो अब जरूरतमंद लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है.
17 स्थानों पर चल रहे हैं केंद्र
पूरे विश्व के साथ हमारे देश में भी कोरोना वायरस संक्रमण एक बड़ी समस्या उभर कर सामने आई है. इधर सरकार ने वायरस संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन घोषित किया है.
लॉकडाउन के कारण फंसे लोगों को निःशुल्क भोजन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरायकेला जिला पुलिस ने राज्य पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर नई पहल के तहत सामुदायिक रसोई यानी कम्युनिटी किचन अक्षया की शुरुआत की थी.
इसके तहत जिले के 17 स्थानों को चयनित किया गया है ,जहां रोजाना हजारों असहाय और जरूरतमंद लोगों को तीन वक्त निशुल्क भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है.
पुलिस प्रशासन व सामाजिक संस्थाएं मिलकर कार्य कर रहे
सरायकेला जिला पुलिस और प्रशासन के सहयोग से जरूरतमंद लोगों को भरपेट प्रतिदिन भोजन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से संचालित कम्युनिटी किचन को कई सामाजिक संगठन और संस्थाएं भी मदद कर रही हैं.
आदित्यपुर स्थित फुटबॉल मैदान में संचालित अक्षया किचन को राजस्थान शिव मंदिर के सक्रिय सदस्यों का भरपूर सहयोग मिल रहा है. यहां प्रतिदिन तीन वक्त में डेढ़ हजार लोगों को सुबह नाश्ता, दोपहर में भोजन और फिर शाम को रात का भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है.
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यहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में औद्योगिक क्षेत्र के कामगार मजदूर और लॉकडाउन में फंसे लोगों के साथ छात्र प्रतिदिन आकर भरपेट भोजन कर रहे हैं.
भोजन के बजाय राशन मिलता तो और बेहतर होता
लॉकडाउन में दूसरे राज्य और जिले से आए लोग सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं ,जो ऐसे समय में न अपने घर को जा सकते हैं, न ही उन्हें पर्याप्त भोजन मिल पा रहा है.
कम्युनिटी किचन ऐसे लोगों को नि:शुल्क भोजन उपलब्ध करा रहा है. इधर कम्युनिटी किचन के सहारे दिन गुजार रहे कुछ लोग और छात्रों ने बताया कि यदि यहां रोजाना भोजन के बजाय राशन उपलब्ध कराया जाता तो और बेहतर होता.
बहराल लॉकडाउन में जिन्हें भोजन नसीब नहीं हो पा रहा था उन्हें कम्युनिटी किचन अक्षया से तीन वक्त का भोजन उपलब्ध हो रहा है जो एक सराहनीय पहल है.