सरायकेला: प्रत्येक वर्ष मनाया जाने वाला पांरपरिक आदिवासी विशु शिकार इस वर्ष भी सोमवार को मनाया गया. इस दौरान शिकारी दलमा के पहाड़ों पर चढ़े भी, लेकिन वन महकमे का दावा है कि उन्होंने शिकार नहीं किया.इससे पहले इस वार्षिक अनुष्ठान से जुड़ी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए वन विभाग की ओर से सुनियोजित और संगठित तरीके से जंगली जानवरों के शिकार पर रोक लगाई गई थी. इसको लेकर उप वन संरक्षक और क्षेत्र निदेशक, गज परियोजना के निर्देश पर वन क्षेत्र में गश्त की गई. इनका दावा है कि इस दौरान शिकार नहीं हुआ, क्योंकि उन्होंने पहले ही लोगों से ऐसा न करने का आग्रह किया था.
सरायकेला में मनाया गया सेंदरा उत्सव, दलमा जंगल के पहाड़ों पर चढ़े शिकारी
सरायकेला में सेंदरा उत्सव मनाया गया. इसके लिए दलमा जंगल के पहाड़ों पर शिकारी चढ़े , हालांकि वन महकमे का दावा है कि इस दौरान जानवरों का शिकार नहीं किया गया.
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विशु पर्व के लिए लोगों के आने की संभावना
24 मई को दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के दोनों प्रक्षेत्रों के वनरक्षियों की ओर से अपने-अपने क्षेत्र में गश्ती की गई. इस गश्ती के दौरान आश्रयणी के विभिन्न नदी नालों और जलस्रोतों के आसपास के इलाके पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया. क्योंकि इसी इलाके में ही शिकार को फंसाने के लिए जाल फांस लगाने के दृष्टिकोण से अनुकूल होते हैं. एसएसपी से अनुरोध किया गया था कि विभिन्न संवेदनशील स्थलों जहां से विशु पर्व के लिए लोगों के आने की संभावना है. उन जगहों पर विशेष चौकसी कराएं. विशु शिकार के लिए निर्धारित तिथियों के कुछ दिन पहले से ही विभाग की ओर से वनों की सुरक्षा उसमें में निवास करने वाले विभिन्न वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए स्थानीय लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए अनेकों बैठक का भी आयोजन किया गया था.
जंगली जानवरों के शिकार पर रोक
विशु शिकार के दौरान देखा गया है कि आस-पास के जिले के लोग भी इस पर्व में भाग लेने के लिए आश्रयणी में आते हैं. जंगली जानवरों के शिकार को रोकने के लिए और इस पर्व की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रशासन के अन्य उच्च पदाधिकारियों के साथ भी समन्वय स्थापित किया गया. मुख्य वन संरक्षक, वन्य प्राणी की ओर से अपने स्तर से आरक्षी महानिरीक्षक और प्रमंडलीय आयुक्त से संपर्क स्थापित किया गया था.