सरायकेला: शारदीय नवरात्र के दसवें दिन विजयादशमी के मौके पर भक्तों ने मां दुर्गा को नाचते झूमते नम आंखों से विदाई दी. इस दौरान चारो ओर जय मां दुर्गा के जयकारे गुंजायमान रहे. वहीं भक्तों ने मां दुर्गा से कोरोना काल के इस संकट को जल्द समाप्त करने की कामना की और अगले साल सभी संकटों को हरते हुए फिर से मां दुर्गा को आने का निमंत्रण भी दिया.
सरायकेला में सिंदूर खेला के साथ मां दुर्गा की विदाई, कोरोना खत्म करने की कामना
सरायकेला में विजयादशमी के मौके पर भक्तों ने मां दुर्गा को नम आंखों से विदाई दी. भक्तों ने मां दुर्गा से कोरोना काल के इस संकट को जल्द समाप्त करने की कामना की. इस मौके पर महिलाओं ने एक दूसरे को सिंदूर लगातार अखंड सौभाग्य होने की कामना भी की.
सरायकेला जिला के नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत सहारा गार्डन सिटी में कोरोना संक्रमण के कारण सादगीपूर्ण तरीके से परंपरागत दुर्गा पूजा का आयोजन किया गया. सोमवार को विजयादशमी के मौके पर सादगीपूर्ण तरीके से भक्तों ने 9 दिनों बाद मां दुर्गा को विदाई दी. इससे पहले महिला श्रद्धालुओं ने झूमते गाते मां दुर्गा की आराधना की और सिंदूर खेला कर एक दूसरे के अखंड सौभाग्य होने की कामना भी की.
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'कोरोना संक्रमण दूर करो मां'
विजयादशमी के मौके पर कोरोना काल में दुर्गोत्सव संपन्न हुआ. सिंदूर खेला के साथ महिला भक्तों ने मां दुर्गा से वैश्विक महामारी के संक्रमण को जल्द दूर करने की कामना की. दशमी पर सिंदूर खेला की पंरपरा सदियों से चली आ रही है. खासतौर से बंगाली समाज में इसका बहुत महत्व है. ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा साल में एक बार अपने मायके आती हैं और वह अपने मायके में 10 दिन रूकती हैं, जिसको दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है. लगभग 450 साल पहले महिलाओं ने मां दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी, कार्तिकेय और भगवान गणेश की पूजा के बाद उनके विसर्जन से पूर्व उनका श्रृंगार किया और मीठे व्यंजनों का भोग लगाया. खुद भी महिलाओं ने सोलह श्रृंगार किया. इसके बाद मां को लगाए सिंदूर से अपनी और दूसरी विवाहित महिलाओं की मांग भरी. ऐसी मान्यता थी कि भगवान इससे प्रसन्न होकर उन्हें सौभाग्य का वरदान देती हैं.