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मकर सक्रांति के मौके पर स्वर्णरेखा-खरकई के संगम स्थल पर उमड़ी भीड़, लोगों ने किया स्नान-दान

सरायकेला में मकर संक्रांति के मौके पर स्वर्णरेखा और खरकई नदी के संगम स्थल पर लोगों ने स्नान और दान किया. निकटवर्ती क्षेत्रों से अहले सुबह से ही हजारों की संख्या में लोगों का संगम स्थल पर आना लगा रहा. लोगों ने स्नान कर के अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-पुण्य किया. इस अवसर पर स्थानीय समाजसेवियों और स्वयंसेवी संगठनों ने जरूरतमंदों को भोजन कराया और वस्त्र के साथ कंबल भी दिए.

मकर सक्रांति के मौके पर स्वर्णरेखा-खरकई के संगम स्थल पर उमड़ी भीड़, लोगों ने किया स्नान-दान
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Published : Jan 15, 2020, 5:16 PM IST

सरायकेलाः मकर संक्रांति के मौके पर सरायकेला में स्वर्णरेखा और खरकई नदी के संगम स्थल पर लोगों ने पवित्र नदी में स्नान और दान किया. हर साल की तरह इस साल भी नदी में स्नान करने लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा.

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आसपास के निकटवर्ती क्षेत्रों से यहां अहले सुबह से ही हजारों की संख्या में लोगों का आना लगा रहा. स्नान के बाद लोगों ने अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-पुण्य किया. इस अवसर पर स्थानीय समाजसेवियों और स्वयंसेवी संगठनों की ओर से जरूरतमंदों को भोजन कराया गया, साथ ही उन्हें वस्त्र के साथ कंबल भी दिए गए.

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सूर्य के उत्तरायण होने पर मानता है मकर संक्रांति

गौरतलब है कि पौष मास में जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है तो मकर सक्रांति का त्योहार मनाया जाता है. वहीं इस दिन से सूर्य उत्तरायण होता है. मान्यता है कि भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि देव से मिलने इस मौके पर उनके घर जाते हैं. वहीं इस दिन जप-तप और दान जैसे धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व होता है.

तिल, गुड़ और खिचड़ी का होता है विशेष दान

मकर सक्रांति के मौके पर तिल और गुड़ दान करना अति फलदायी माना जाता है. वहीं इस दिन खिचड़ी का सेवन और खिचड़ी दान भी काफी महत्वपूर्ण होता है. कहा जाता है कि मकर सक्रांति के दिन दिया हुआ दान सौ गुना बढ़कर हो जाता है. साथ ही मकर सक्रांति को देवताओं का भी दिन कहा जाता है. लिहाजा इस दिन धार्मिक अनुष्ठान का भी अलग महत्व होता है.

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