सरायकेला: कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर पूरे देश भर में लॉकडाउन है. इस लॉकडाउन में हर एक आम और खास सभी काफी प्रभावित हो रहे हैं. लॉकडाउन में सबसे ज्यादा प्रभावित रोज कमाकर घर चलाने वाले लोग हुए हैं. ऐसे में सड़कों पर दिनभर ऑटो चलाकर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले ऑटो चालक भी इस लॉकडाउन में बड़ी मुसीबत में पड़े हुए हैं. सरकार के पब्लिक ट्रांसपोर्ट समेत ऑटो के परिचालन को लॉकडाउन में पूरी तरह बंद रखा गया है. ऐसे में ऑटो चालक अब सरकार के तरफ मदद की गुहार के साथ टकटकी लगाए बैठे हैं.
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डेढ़ हजार ऑटो चालक लॉकडाउन में हैं प्रभावित
सरायकेला जिले में लॉकडाउन में प्रभावित ज्यादातर ऑटो चालकों को किसी भी तरह की सरकारी मदद नहीं मिल रही है. वहीं जनधन खाता, राशन कार्ड नहीं होने के कारण भी ऑटो चालकों को घर चलाने में काफी मुश्किलें आ रही हैं. आंकड़ों के मुताबिक जिले में सवारी ऑटो चालकों की संख्या तकरीबन डेढ़ हजार है, जो जिले के विभिन्न क्षेत्रों में रोजाना पैसेंजर को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने का काम करते हैं. इस बीच लॉकडाउन में ऑटो के पहिए पूरी तरह थम गए हैं और आमदनी भी शून्य है.
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कई ऑटो चालकों ने बदला व्यवसाय
लगातार जारी लॉकडॉन के कारण कई ऑटो चालकों ने हाल के दिनों में अपना व्यवसाय बदल दिया है. इनमें से कुछ बाजारों में सब्जी बेच रहे हैं या फिर कुछ और काम कर लॉकडाउन में किसी तरह पेट पालने की जुगत लगा रहे हैं.
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ऑटो चालक कर रहे सरकारी राहत राशि की मांग
सरायकेला जिले के ऑटो चालकों ने अब झारखंड सरकार से राहत पैकेज घोषणा की मांग की है. दिल्ली सरकार के तर्ज पर ऑटो चालकों ने झारखंड सरकार से भी सभी ऑटो चालकों को राहत के पैकेज के तौर पर 10-10 हजार रुपए उपलब्ध कराए जाने की मांग की है. कई ऑटो चालकों ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के समक्ष भी इससे पूर्व गुहार लगाई थी.
झारखंड वाहन संघ निबंधित ऑटो चालकों को पैकेज दिलवाने की कवायद में जुटा
लॉकडाउन के कारण आर्थिक तंगी झेल रहे आटो चालकों और स्कूली वाहन चालकों को झारखंड वाहन संघ सरकार से आर्थिक सहायता दिए जाने की कवायद शुरू की गई है. संघ के अध्यक्ष संतोष मंडल ने सूबे के परिवहन मंत्री चंपई सोरेन से मुलाकात कर सभी ऑटो और स्कूली वाहन चालकों के खाते में 10-10 रुपए उपलब्ध कराए जाने की मांग की है. इस बीच संघ की ओर से ऑटो और स्कूली वाहन चालकों का निबंधन भी जोरों से किया जा रहा है.
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सरकार से मदद की आस
ऑटो चालक कहते हैं चक्का चलेगा तो हमारा घर चलेगा और चक्का रुका तो हमारा जीवन ही रुका, ऐसे में सरकार से मदद की आस लिए बैठे हैं. इन ऑटो चालकों पर सरकार की क्या मेहरबानियां होती हैं, यह देखने वाली बात है.