सरायकेला: विश्व सिकल सेल दिवस पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने फिक्की, अपोलो हॉस्पिटल्स और ग्लोबल एलायंस ऑफ सिकल सेल डिजिज आर्गेनाईजेशन द्वारा आयोजित नेशनल सिकल सेल कॉन्क्लेव वेबिनार को अपने आवास से संबोधित किया. इस दौरान सिकलसेल की बीमारी से बचाव के लिए केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को जारी एडवाजरी और किये जा रहे प्रयास संबंधी जानकारी विस्तार से दी.
मुंडा ने कहा कि जनजातीय कार्य मंत्रालय ने इस बीमारी की गंभीरता को समझा है. इसके सार्थक हल के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं. राज्यों को आईसीएमआर के सहयोग से जनजातीय छात्रों की स्क्रीनिंग के लिए राशि उपलब्ध करायी गयी है. जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से राज्यों में कार्यशालाएं आयोजित की गयी हैं.
विभिन्न राज्यों के दर्शाये गए आंकड़ों के अनुसार एक करोड़ 13 लाख 83 हजार 664 लोगों की स्क्रीनिंग में लगभग 9 लाख 96 हजार 368(8.75%) में यह व्याधि परिलक्षित हुए, 9 लाख 49 हजार 57 लोगों में लक्षण और 47 हजार 311 लोगों में बीमारी पायी गयी. जैव प्रौद्योगिकी विभाग इस रोग के इलाज का अनुसंधान कर रही है. बीमारी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए राज्यों को प्रोटोकॉल जारी किये गए हैं और यह सलाह दी गयी है कि अगली पीढ़ी को बीमारी न हो. इसके लिए माता-पिता को उचित परामर्श देने का अभियान चलाएं ताकि वे अपने एससीए से ग्रसित बच्चों की शादी किसी दूसरे एससीए से ग्रसित बच्चों से न करें.
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अर्जुन मुंडा ने पिरामल फाउंडेशन के माध्यम से मंत्रालय के लिए तैयार सिकलसेल सपोर्ट पोर्टल का अनावरण किया. उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि जनजातियों में जागरूकता लाने की दिशा में यह पोर्टल लाभदायक होगा. उन्होंने "द इकोनॉमिस्ट" के माध्यम से तैयार 'सिकल सेल डिजीज इन इंडिया' रिपोर्ट को भी जारी किया. स्वागत भाषण फिक्की अध्यक्ष और अपोलो हॉस्पिटल्स की एमडी डॉ संगीता रेड्डी ने दिया. इस कॉन्क्लेव में देश-विदेश के अनेकों प्रख्यात विद्वानों ने शिरकत की.