साहिबगंज:साहिबगंज में प्रस्तावित एयरपोर्ट (Proposed Airport in Sahibganj) के लिए भूमि का जायजा लेने के लिए उच्चस्तरीय टीम गुरुवार को बोरियो अंचल के देवपहाड़ पहुंची. टीम में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के अधिकारी, झारखंड सरकार के नागर विमानन विभाग के निदेशक कैप्टन एसके सिन्हा, मुख्यमंत्री के सलाहकार कैप्टन अजय श्रीवास्तव शामिल थे. सभी अधिकारी बुधवार की रात ही साहिबगंज पहुंच गए थे.
गुरुवार सुबह समाहरणालय में डीसी रामनिवास यादव के साथ बैठक की और चिह्नित जमीन के बारे में विस्तार से जानकारी ली. इसके बाद डीसी के साथ सभी अधिकारी देवपहाड़ पहुंचे. डीसी के साथ डीएफओ मनीष तिवारी, अपर समाहर्ता डॉ विनय मिश्रा, एसडीओ राहुल जी आनंद जी, एसडीपीओ राजेंद्र दुबे आदि थे. टीम तेतरिया, जबरदहा, गबईभिट्टा एवं सिमलजोरी मौजा गई और जमीन का जायजा लिया. टीम अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजेगी. जिसके बाद एयरपोर्ट निर्माण पर निर्णय लिया जाएगा.
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ग्रामीणों के विरोध की आशंका को लेकर देवपहाड़ व उसके आसपास सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थेः ग्रामीणों के विरोध की आशंका को देखते हुए देवपहाड़ व उसके आसपास सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे. वज्र वाहन व दंगा निरोधी दस्ता को भी तैयार रखा गया था. बोरियो के अलावा बरहेट थाना व जिरवाबाड़ी ओपी के पुलिस पदाधिकारी भी वहां मौजूद थे.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने साहिबगंज में एयरपोर्ट निर्माण कराने की घोषणा की थीः गौरतलब हो कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने साहिबगंज में एयरपोर्ट निर्माण कराने की घोषणा की थी. योजना के तहत जमीन राज्य सरकार उपलब्ध कराएगी, बाकी व्यवस्था केंद्र सरकार करेगी. मुख्यमंत्री ने इसके लिए अधिकारियों को जमीन चिह्नित करने को कहा था.
राज्य के अधिकारियों ने 139 एकड़ जमीन चिह्नित कर सरकार को रिपोर्ट भेजी थीः अधिकारियों ने बोरियो अंचल के आठ मौजा की करीब 139 एकड़ जमीन चिह्नित कर सरकार को रिपोर्ट भेजी थी. इसी क्रम में इसमें भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के अधिकारी यहां जमीन देखने पहुंचे हैं. यह जमीन साहिबगंज-गोविंदपुर मुख्यपथ के किनारे है. साहिबगंज से इसकी दूरी करीब 11 किलोमीटर है.
एयरपोर्ट निर्माण का बोरियो विधायक लोबिन हेंब्रम ने विरोध करने की घोषणा की थीः देवपहाड़ में एयरपोर्ट निर्माण का बोरियो विधायक लोबिन हेंब्रम ने विरोध (Oppos to Airport Construction in Sahibganj) करने की घोषणा की थी. उनका कहना है कि इससे आदिवासी विस्थापित होंगे. उन्हें एयरपोर्ट का कोई लाभ नहीं मिलेगा. इसी के मद्देनजर सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गयी थी.