साहिबगंज: एक दौर था जब घर में प्रसव कराने के लिए दाई को बुलाया जाता था. कुछ हद तक प्रसव सफल हो तो जाता था, हालांकि तकनीकी और अनुभव की कमी होने की वजह से ज्यादातर जच्चा और बच्चा की मौत हो जाती थी. लेकिन अब इसमें बहुत हद तक बदलाव हुआ है. इसे लेकर 15 से 21 नवंबर तक नवजात शिशु सप्ताह मनाया जाता है. इस कार्यक्रम से लोगों को जागरूक कर संस्थागत प्रसव पर जोर दिया जाता है.
प्रसूति महिला को मिलती है कई सुविधाएं
इसे लेकर ईटीवी भारत की टीम ने जननी सुरक्षा योजना सहित अन्य योजना का ग्राउंड जीरो से जानने का प्रयास किया. इस दौरान पाया गया कि जिले का 95 प्रतिशत प्रसव अस्पताल में होता है. मरीज को ऑपेरशन के बाद नाश्ता और पॉस्टिक आहार दिया जाता है और डिस्चार्ज के बाद हर प्रसूता को आर्थिक मदद भी मिलती है. प्रसूता को अस्पताल आने-जाने के लिए एंबुलेंस भी प्रशासन की तरफ से उपलब्ध कराया जाता है. बच्चे की देखभाल की जाती है. इतना ही नहीं, अस्पताल से जाने के बाद आर्थिक मदद के रूप में 1 हजार 600 रुपए भी डीबीटी के माध्यम से खाते में दिए जाते हैं.
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