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दियारा में कलाई की जंग का खौफ, किसानों को डर फिर कोई न लूट ले फसल - गदाई

फसल लहलहाने लगता है इस फसल में सबसे खास बात है कि किसान को शुरुआती दौर में ही जो मेहनत लगता है उसके बाद इस फसल में कोई मेहनत की जरूरत नहीं होती है ना तो खाद डाला जाता है और ना ही किसी प्रकार का श्रमदान। यह फसल काफी महंगा होता है कभी-कभी या कलाई 200 प्रति किलो की दर से बिक्री हो जाता है।

खौप की साये में किसान कलाई फसल की बुआई करने में जुटे
खौप की साये में किसान कलाई फसल की बुआई करने में जुटे

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Published : Oct 18, 2021, 9:59 PM IST

Updated : Oct 18, 2021, 10:20 PM IST

साहिबगंजः दियारा क्षेत्र में गंगा का जलस्तर घटने के साथ ही कलाई फसल की बुआई शुरू हो चुकी है. कुछ किसानों के तो पौधे भी बड़े हो चुके हैं, लेकिन किसानों को इस साल भी फसल लुटने की चिंता सता रही है.

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साहिबगंज के दियारा क्षेत्र में बाढ़ का पानी धीरे-धीरे नदी की ओर खिसकने लगा है. इसी के साथ बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के खेतों में किसानों की ओर से छीटे गए कलाई के बीज अंकुरित होकर बड़े पौधे बनने लगे हैं. लेकिन हर साल की तरह इस साल भी किसानों को फसल तैयार होने पर असामाजिक तत्वों की ओर से लूटे जाने का डर सता रहा है. कई बार तो लूट का विरोध किए जाने पर किसान से मारपीट भी की जाती है. किसानों की जमीन हड़पे जाने के भी मामले सामने आते हैं.

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कलाई की जंग में हर साल कई कई किसानों की हत्या के मामले सामने आते हैं तो कई मारपीट में घायल हो जाते हैं. इस संबंध में किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष लक्ष्मण यादव ने कहा कि प्रत्येक साल किसान के साथ असामाजिक तत्व कलाई के लिए मारपीट करते हैं और किसान की पिटाई कर फसल लूट लेते हैं लेकिन पुलिस प्रशासन किसान की मदद नहीं करता.


पुलिस को किया चौकस

इस संबंध में पुलिस कप्तान अनुरंजन किस्पोट्टा ने बताया कि मुफस्सिल थाना और राजमहल थाना पुलिस को चौकस कर दिया गया है. गदाई और दियारा क्षेत्र में पिकेट स्थापित की गई है. पुलिस लगातार पेट्रोलिंग कर रही है, अपराधी को देखने के साथ ही उन पर कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है. किसान महफूज रहेंगे, किसान की सुरक्षा करना हमारी पहली प्राथमिकता है.

कलाई की फसल को बाढ़ से होता है फायदा

दरअसल, दियारा क्षेत्र में गंगा के किनारे 83 किलोमीटर तक लगभग हजारों एकड़ जमीन पर किसान कलाई की फसल को उपजाते हैं. बाढ़ का पानी घटने के साथ ही इस फसल की बुवाई शुरू हो जाती है. किसी वर्ष यदि बाढ़ नहीं आई और खेत में पानी जमा नहीं हो पाया तो वैसी स्थिति में उत्पादन भी प्रभावित होता है. बता दें कि मार्केट में इस फसल की अच्छी कीमत है. यह बाजार में करीब 200 रुपये प्रति किलो की दर से बिकती है. इसलिए इसको असामाजिक तत्व लूट लेते हैं.

Last Updated : Oct 18, 2021, 10:20 PM IST

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