साहिबगंज: जिला में भले ही सुखाड़ की स्थिति है लेकिन, बिहार और उत्तर प्रदेश में हुई बारिश से गंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. जिले में गंगा का जलस्तर चेतावनी रेखा (26.25 मीटर) को पार कर गया. शनिवार को यहां का जलस्तर 26.65 मीटर रिकार्ड किया गया. अगर यही स्थिति रही तो मंगलवार की सुबह तक गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान 27.25 मीटर को पार कर जाएगा. उधर, गंगा का जलस्तर बढ़ने से (Ganga River water entered in sahibganj) दियारा क्षेत्र के लोगों की मुश्किलें बढ़ गयी हैं. हजारों एकड़ में लगे मक्के और बाजरे के खेत में पानी घुस गया है (farmers troubled due to crops destroyed). ऐसे में अब मवेशियों को चारा की किल्लत होगी. मक्का अब तक पक नहीं पाया था, अब इससे उसके बर्बाद होने की आशंका है. किसान कच्चा फसल ही काटने लगे हैं. लोग अपने मवेशियों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने लगे है.
साहिबगंज में गंगा का जलस्तर बढ़ने से दियारा में लगी फसलों को नुकसान, किसान परेशान - farmers troubled due to crops destroyed
किसान अपनी खेती और फसलों के लेकर आय दिन किसी न किसी परेशानी से गुजरते रहते हैं. एक तरफ जहां समय पर बारिश नहीं होने के कारण किसान धान की खेती के लिए परेशान हैं. वहीं दूसरी तरफ साहिबगंज में गंगा का जलस्तर बढ़ने से दियारा क्षेत्र में रह रहे लोगों की परेशानी बढ़ गई है. किसान के मक्के और बाजरे के खेत में पानी घुस गया (farmers troubled due to crops destroyed).
इसे भी पढें:धान की खेती बर्बाद होने से बेबस हुए किसान, सता रही दुर्गापूजा में बच्चों को कपड़े और मिठाईयां नहीं दिला पाने की चिंता
किसान ने सुनाई अपनी व्यथा:किसान ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि 'हम किसान बरसात में भदई, मकई और मवेशियों के लिए बाजरा बोते हैं. मकई में दाना अब पकने के कगार पर था कि गंगा नदी का पानी घुस गया. स्थिति यह कि पानी में घुसकर मकई को काट रहे हैं. अगर लगातार खेत में पानी जमा रह गया तो फसल पानी में गिर कर सड़ जाएगी. सबसे अधिक चिंता मवेशी की होने लगी है. अब चारा की समस्या उत्पन्न जाएगी. नाव की व्यवस्था नहीं रहने से पानी में तैरकर फसल को काटते हैं और तैरकर किनारे लगाकर उंचे स्थान पर लाते हैं. खिलाने और मकई काटने का समय हुआ तो पानी घुस गया.'
डीडीसी ने कहा किसान ऐसे करें निबंधन:इस समस्या के पर डीडीसी प्रभात कुमार बरदियार ने कहा कि किसानों को घबराने की जरूरत नहीं है. किसान खुद या प्रज्ञा केंद्र जाकर निबंधन करा सकते हैं (DDC adviced to registration to farmers). उन्हें अपने साथ एक फोटो, आधार कार्ड, जमीन का वर्तमान का रसीद, बैंक का पासबुक अपने साथ ले जाने की जरूरत है, जिसके बाद वे निबंधन करा सकते हैं. जिला स्तर पर एक बार जांच कर रिपोर्ट भेजी जाएगी उसके बाद जमीन और फसल के हिसाब से क्षतिपूर्ति राशि किसान के खाते में मिल जाएगी, जो किसान पढ़े लिखे हैं वो खुद मोबाइल पर गुगल में मुख्यमंत्री कृषि राहत योजना झारखंड (CM Agriculture Relief Scheme Jharkhand) सर्च करें फार्मेट मिल जाएगा. इस फार्मेट में मांगी गई सारी जानकारी अपलोड करने से रजिस्ट्रेशन हो जाता है.