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मानसून से पहले केंद्रीय जल आयोग का साहिबगंज दौरा, बाढ़ से बचाव के लिए किए गए ये काम - Sahibganj News

मानसून से पहले केंद्रीय जल आयोग की टीम आज साहिबगंज पहुंची. टीम ने ओझा टोली स्थित गेज स्थल पर जाकर आरसीसी और पीटीबी गेज को दुरुस्त किया. ओझा टोली घाट पर स्थायी तौर पर आरसीसी गेज लगाया गया. जिससे मैनुअल और ऑटोमेटिक तरीके से गंगा के जलस्तर की रिपोर्ट (Ganga water level report) मिल सकेगी. इससे इलाके में बाढ़ का खतरा भी कम होगा.

Central Water Commission
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Published : Jun 15, 2022, 2:13 PM IST

साहिबगंज: केंद्रीय जल आयोग (Central Water Commission CWC) के डिविजन ऑफिस पटना और सब डिविजन मुंगेर से चार सदस्यीय टीम आज, बुधवार को साहिबगंज के ओझा टोली स्थित गेज स्थल पर पहुंची. इसमें दो तरह की टीम थी. पहली टेक्निकल टीम ने ऑटोमेटिक वाटर लेवल एंड रेन (एडब्लूएलआर) को दुरुस्त की. मानसून आने से पहले छत पर लगे सेटेलाइट की बैटरी सहित वायर को ठीक किया गया. ताकि रिपोर्ट डिजिटल स्तर पर आसानी से विभाग को मिलती रहे. दूसरी टीम में मुंगेर से पहुंचे आयोग के एसडीओ रैंक के पदाधिकारी थे, जिन्होंने स्थायी रूप से लगे आरसीसी गेज का माप उठाया. गंगा में लगे बांस की गेज को ठीक किया और गंगा का जलस्तर का मापा. यानि शहर के ओझा टोली घाट पर ऑटोमेटिक और मैनुअल स्तर की व्यवस्था को ठीक किया गया.

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बाढ़ का खतरा होगा कम: सीडब्ल्यूसी के एसडीओ दिनेश रजक ने कहा कि ओझा टोली घाट पर अब स्थायी तौर पर आरसीसी गेज बना दिया गया है. अब यह बाढ़ में नहीं ढह सकेगा. गंगा के अंदर दो तरह के गेज स्थापित किये गये हैं. पहला अस्थायी रूप से बांस का बना हुआ गेज है, जिसकी हर दिन स्टाफ की ओर से निगरानी होगी और माप उठाया जाएगा. पानी बढ़ने के साथ धीरे-धीरे स्थायी गेज तक लाकर छोड़ दिया जाएगा.

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मशीन खराब होने के बाद भी मिलेगी रिपोर्ट: वहीं ऑटोमेटिक रिपोर्ट के लिए गंगा में पीटीबी यानी पर्मानेंट टर्मिनेशन ब्लॉक (Permanent Termination Block) स्थापित किया गया है. यानी गंगा के अंदर एक चैंबर लगा कर मशीन स्थापित की गई है, जिससे हर दिन पल-पल की रिपोर्ट ऑनलाइन मिलती रहती है. हालांकि दिन में सुबह और शाम में रिपोर्ट ली जाती है. बताया गया कि स्थायी आरसीसी गेज बन जाने से यदि भविष्य में ऑटोमेटिक मशीन खराब हो जाती है तो कम से कम मैनुअल तरीके से सही रिपोर्ट मिलती रहेगी. हर दिन दोनों की रिपोर्ट क्रॉस चेंकिंग करने के बाद ही बाढ़ प्रभावित जिला के डीएम और डीसी को भेजी जाती है. यह काफी सेंसेटिव रिपोर्ट होती है. टीम में केंद्रीय जल आयोग के एसडीओ दिनेश रजक, साहिबगंज से कर्मी रंजीत मिश्रा, पटना से आए टेक्निकल टीम के अतुल पांडे, हरेंद्र सिंह और अविनाश विश्वकर्मा शामिल थे.

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