रांचीः सोमवार को बाल विवाह के विषय पर कार्यशाला आयोजन किया गया. झारखंड में बाल विवाह की रोकथाम को लेकर रांची में कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें इसके हालिया आंकड़ों पर चर्चा की गयी. झारखंड देश का तीसरा राज्य है, जहां राजस्थान, पश्चिम बंगाल के बाद बाल विवाह सबसे ज्यादा होता है. इतना ही नहीं हाल के वर्षों में यहां बाल विवाह के आंकड़ों में कमी होने के बजाए बढ़े हैं. इसकी रोकथाम को लेकर राज्य सरकार चिंतित है.
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झारखंड में बाल विवाह की रोकथाम को लेकर राज्य सरकार स्वैच्छिक संस्थाओं का सहयोग लेगी. सोमवार को राजधानी के स्टेशन रोड स्थित एक होटल में पूरे दिनभर मंथन का दौर जारी रहा. स्वैच्छिक संस्था और राज्य सरकार के महिला बाल विकास विभाग द्वारा बच्चों के परिवार आधारित देखभाल को प्रोत्साहित करने और बाल विवाह विषय पर संयुक्त रुप से कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में यूनिसेफ सहित कई सामाजिक संगठन से जुड़े लोग शामिल हुए. दो सत्र में आयोजित इस कार्यशाला को मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी ने बाल विवाह पर चिंता व्यक्त की. कार्यशाला में मिशन वात्सल्य के अंतर्गत बच्चों के परिवार आधारित देखभाल को प्रोत्साहित कर जमीनी स्तर पर ऐसी व्यवस्थाओं को स्थापित करने पर चर्चा हुई, जिससे बच्चों के परिवार से अनावश्यक अलगाव को रोका जा सके. जो बच्चे किसी कारण से बाल गृहों में रह रहे हैं, उन्हें भी यथाशीघ्र अपने परिवार अथवा वैकल्पिक परिवार में पुनर्स्थापित किया जा सके.
जामताड़ा में बाल विवाह सर्वाधिकः वर्ष 2020 में गृह मंत्रालय के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त के कार्यालय द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, झारखंड में कम उम्र की लड़कियों की शादी का प्रतिशत सबसे अधिक है. झारखंड में बालिग होने से पहले शादी करने वाली लड़कियों का प्रतिशत 5.8 है, यह राष्ट्रीय औसत 1.9 से ऊपर है. देश में बाल विवाह का प्रतिशत 23.3 है जबकि झारखंड में 20-24 वर्ष की आयु की 32.3 फीसदी महिलाओं की शादी 18 वर्ष की आयु से पहले कर दी जाती है. एनएफएचएस-5 के अनुसार, जामताड़ा में बाल विवाह का प्रचलन सबसे अधिक है. इसके बाद देवघर, गोड्डा, गिरिडीह, पाकुड़, दुमका और कोडरमा हैं जबकि सिमडेगा में सबसे कम दर 15.9 फीसदी है. स्वैच्छिक संस्था की राज्य कार्यक्रम प्रबंधक तन्वी झा के अनुसार यह झारखंड के लिए चिंता का विषय है क्योंकि यह कई अन्य समस्याओं को भी जन्म देता है. यह उनकी शिक्षा को कम करता है, उनके स्वास्थ्य से समझौता करता है, उन्हें हिंसा के लिए उजागर करता है और उन्हें गरीबी में फंसाता है, उनकी संभावनाओं और क्षमता को कम करता है.