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कब बंद होगा रिम्स से कैदियों की फरारी का सिलसिला, कागजों में सीमित हैं सुरक्षा के इंतजाम - रांची न्यूज

रिम्स से कैदियों के फरार होने का सिलसिला जारी है. पिछले दो साल में यहां पर इलाज कर रहे 14 कैदी फरार हो चुके हैं. लापरवाही के आरोप में 22 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड भी किया जा चुका है, लेकिन अब तक कोई फुलप्रूफ पॉलिसी नहीं बन पाई है, जो रणनीति या गाइडलाइन बनी है उसे भी ठीक से पालन नहीं किया जा रहा है. Security of RIMS prisoner ward .

Security of RIMS prisoner ward
Security of RIMS prisoner ward

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 1, 2023, 5:26 PM IST

रांची:रिम्स कैदियों के फरार होने को लेकर बेहद बदनाम हो चला है. अक्सर तमाम सुरक्षा इंतजामों को ध्वस्त करते हुए कैदी फरार हो जाते हैं. बाद में ड्यूटी पर तैनात सुरक्षाकर्मियों को निलंबित कर मामले की लीपापोती कर पुलिस फिर से किसी कैदी के फरार होने का इंतजार करने लगती है. डेढ़ महीने के भीतर दो कैदियों के फरार होने को लेकर एक बार फिर से रांची का रिम्स अस्पताल चर्चा का विषय बना हुआ है.

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हथकड़ी के साथ फरार हो जाते हैं अपराधी:सबसे हैरत की बात तो यह है कि अधिकांश मामलों में रिम्स से भागे कैदी हथकड़ी के साथ ही फरार होते हैं. हथकड़ी के साथ कैदी बड़े आराम से 150 होमगार्ड्स और दर्जनों पुलिसवालों को चकमा देकर फरार होते हैं. जब कैदी दोबारा पकड़े जाते हैं या आत्मसमर्पण करते हैं तब यह भी जानकारी मिलती है कि उनके हथकड़ी को किसने काटा या किसने खोला.

फरारी को लेकर बदनाम हुआ रिम्स:रांची के रिम्स अस्पताल की सुरक्षा के लिए 150 की संख्या में होमगार्ड के जवान के साथ-साथ रिम्स सुरक्षा प्रभारी के रूप में एक सब इंस्पेक्टर और दर्जनों पुलिसकर्मी तैनात हैं. यहां तक कि जब कोई कैदी बाहर से इलाज के लिए आता है तो उसके साथ भी अतिरिक्त पुलिस बल को भेजा जाता है ताकि उस पर नजर रखी जा सके. लेकिन इन तमाम सतर्कता के बावजूद रिम्स से जब चाहे तब कैदी फरार हो जाते हैं. अक्सर रिम्स से कैदियों के भागने की खबरें सुर्खियों में रहती हैं. इस साल तो मात्र डेढ़ महीने के भीतर ही दो कैदी रिम्स की सुरक्षा घेरे को तोड़ फरार होने में कामयाब हो गए. हर बार डीएसपी स्तर के अधिकारी से मामले की जांच करवाई जाती है और लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया जाता है. लेकिन अब तक कोई ऐसी ठोस नीति और कार्रवाई नहीं हुई है जिससे कि कैदियों के फरार होने पर ब्रेक लगाया जा सके.

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कागजों पर है योजना:साल 2022 में अक्टूबर महीने में ही रिम्स से दो कैदी फरार हो गए थे. अक्टूबर 2022 में नक्सली अमित और अपराधी मशहूर आलम खान एक साथ फरार होने में कामयाब हो गए थे. दो खतरनाक कैदियों के फरारी के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया था. उस समय के तत्कालीन सीनियर एसपी किशोर कौशल ने कई पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया था. आनन-फानन में रिम्स की सुरक्षा को लेकर कई फैसले लिए गए. तय किया गया कि हर दिन कैदियों की गिनती कर उसकी रिपोर्ट सुरक्षा प्रभारी को भेजना है. इसके अलावा रजिस्टर में कैदियों का हर दिन का डिटेल अंकित करना, व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर सारी जानकारी सुरक्षा पदाधिकारी को देना, एक साधारण कैदी में दो और उग्रवादी और कुख्यात अपराधियों में तीन पुलिसकर्मी के तैनाती करनी है. शिफ्ट वाइज पुलिसकर्मी ड्यूटी करेंगे और तैनात सभी पुलिसकर्मी रिम्स के बैरेक में ही रहेंगे. लेकिन यह योजनाएं सिर्फ कागजों में ही सिमट कर रह गई. इन गाइडलाइंस में से शायद ही किसी का पालन सुनिश्चित किया गया. ड्यूटी में तैनात पुलिसवाले चले जाते हैं घर:पुलिस की जांच में यह बात सामने आई है कि जिन पुलिसकर्मियों के जिम्मे कैदियों की सुरक्षा होती है वह रात होते ही एक पुलिसकर्मी के भरोसे कैदी को छोड़कर अपने घर आराम फरमाने के लिए चले जाते हैं. जबकि आदेश यह है कि कैदी की सुरक्षा में तैनात जवान रिम्स के बैरक में रहेंगे और वे शिफ्ट वाइज ड्यूटी करेंगे. वीआईपी कैदियो को लेकर भी घोर लापरवाही:यह तो रिम्स में इलाज कराने आए उन कैदियों की बातें हैं जो अक्सर फरार हो जाते हैं. लेकिन इसके ठीक उलट वीआईपी कैदियों को लेकर पुलिसकर्मियों और रिम्स प्रशासन का रवैया बेहद मोह माया वाला होता है. वर्तमान समय में रिम्स में कई वीआईपी कैदी के रूप में इलाजरत है. इनमें से अधिकांश प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के द्वारा गिरफ्तार किए गए हैं. ऐसे कैदियों पर पुलिसकर्मी बेहद मेहमान रहते हैं. इन कैदियों पर पुलिसकर्मियों ने इतनी मेहरबानी दिखाई कि वह ईडी के रडार पर आ गए. ईडी जब्त कर चुकी है सीसीटीवी फुटेज और रजिस्टर:वीआईपी कैदियों पर मेहरबानी का आलम यह रहा की ईडी खुद रिम्स के सीसीटीवी फुटेज की जांच करने पहुंच गई. गुपचुप तरीके से मुलाकात करने वाले कई पुलिस वाले और दूसरे लोग को ईडी के नोटिस पर पूछताछ के लिए भी एजेंसी के सामने हाजिर भी होना पड़ा. जांच पड़ताल के लिए ईडी की टीम पुलिस रजिस्टर और सीसीटीवी को जब्त कर चुकी है. मामला अभी भी जांच के दायरे में है. एक दर्जन से ज्यादा कैदी फरार हो चुके है:पिछले 2 साल के दौरान रांची के रिम्स अस्पताल से 14 कैदी फरार हो चुके हैं. वहीं कैदियों के फरार होने की स्थिति में अब तक लापरवाही बरतने के आरोप में 22 पुलिसकर्मियों को निलंबित किया जा चुका है. 31 अक्टूबर 2023 को चोरी के आरोप में गिरफ्तार किए गए सूरज रिम्स से फरार हो गया. 13 सितंबर 2023 को कैदी वसीर हथकड़ी के साथ रिम्स से फरार हो गया. 16 अप्रैल 2022 को हजारीबाग और गुमला जेल से इलाज के लिए आए दो कैदी फरार हो गए. 22 अप्रैल 2022 को रिम्स से एक कैदी फरार हो गया. 20 सितंबर 2021 को रिम्स के मेडिसिन वार्ड से कुख्यात नक्सली कृष्ण मोहन झा उर्फ अभय जी फरार होने में कामयाब हो गया था. हर लीकेज को बंद किया जाएगा:रांची एसएसपी चंदन कुमार सिन्हा के अनुसार रिम्स की सुरक्षा व्यवस्था के हर लीकेज को जल्द ही बंद कर दिया जाएगा. एसएसपी के अनुसार उन्होंने सदर डीएसपी से पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी है. जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई तो होगी साथ ही इससे पूर्व में कैदी फरारी के जो मामले आए हैं उसे लेकर भी मंथन किया जाएगा और उसके बाद एक मजबूत सुरक्षा घेरा रिम्स के लिए तैयार किया जाएगा. वर्तमान समय में सभी सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों को निर्देश दिया गया है कि वह अपने ड्यूटी को सही ढंग से निभाएं वरना उन पर कार्रवाई होगी.

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