रांची: पिछले 8 सितंबर को अलग-अलग राज्यों के सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों से इंडिया गठबंधन का कॉन्फिडेंस सांतवें आसमान पर है. विपक्षी दलों में भरोसा जगा है कि अगर सही तरीके से सीट शेयरिंग हुआ तो भाजपा की मजबूत गांठ खोली जा सकती है. लिहाजा, आर-पार की लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाने के लिए इंडिया गठबंधन की समन्वय समिति की बैठक में सीट बंटवारे का फॉर्मूला निकालने की कवायद शुरू हो चुकी है. यह एकजुटता पूरे देश में बहस का मुद्दा बना हुआ है. झारखंड में भी चर्चा होने लगी है कि यहां की 14 लोकसभा सीटों पर दबदबा रखने वाले एनडीए को किन चुनौतियों से दो-चार होना पड़ सकता है.
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14 में से 12 सीटें हैं एनडीए के खाते में:दरअसल, झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से 12 सीटें एनडीए के पास हैं. 2014 के चुनाव में भाजपा ने अपने बूते 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी. शेष दो सीटें यानी राजमहल और दुमका में झामुमो ने परचम लहराया था. उस चुनाव में कांग्रेस और राजद का खाता तक नहीं खुला था. लेकिन 2019 के चुनाव में विपक्षी दलों ने मिलकर मुकाबला किया. तब कांग्रेस 7, झामुमो 4, राजद 2 और जेवीएम ने 2 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. चतरा में कांग्रेस और राजद में दोस्ताना संघर्ष हुआ था. वहीं भाजपा ने अपने इकलौते साथी आजसू का हाथ थामा और गिरिडीह सीट उसकी झोली में डाल दी. नतीजों में सिर्फ इतना भर बदलाव हुआ कि झामुमो ने दुमका सीट गंवा दी और कांग्रेस ने गीता कोड़ा के जरिए सिंहभूम सीट भाजपा से छीन ली.
अब हालात बदल गये हैं. कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव में बड़े भाई की भूमिका निभाने को बेताब है. कांग्रेस ने पिछले माह दिल्ली में हुई पार्लियामेंट्री एफेयर्स कमेटी की राज्य इकाई की बैठक में 7 की बजाए 9 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बनाया है. पिछले चुनाव में कांग्रेस ने चाईबासा, लोहरदगा, खूंटी, चतरा, धनबाद, रांची और हजारीबाग में प्रत्याशी दिया था. इस बार सूची में गोड्डा और कोडरमा को भी रखा गया है. ये दोनों वही सीटें हैं जो 2019 के चुनाव में जेवीएम को दी गई थी. शेष पांच सीटों में चार झामुमो और एक राजद के लिए रखा गया है. हालांकि यह फाइनल फॉर्मूला नहीं है. क्योंकि भाकपा और जदयू के आने पर कांग्रेस को झोली खोलनी पड़ सकती है.
दूसरी तरफ झामुमो सूत्रों का कहना है कि सीट शेयरिंग पर आंतरिक रूप से चर्चा हुई है. विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी झामुमो चाहती है कि इस बार लोकसभा में उसे 4 की बजाए 6 सीट मिलनी चाहिए. झामुमो के हिसाब से 7-6-1 का फॉर्मूला सटीक बैठेगा. अब देखना है कि हेमंत सोरेन किस स्तर तक जाकर कांप्रोमाइज करते हैं.