रांची: मौसम का जायका के साथ एक अटूट रिश्ता है. कुछ दिन पहले तक देह झुलसाती गर्मी की वजह से आईस्क्रीम, लस्सी, सत्तू, बेल, आम की शरबत, खीरा, ककड़ी, तारबूज देखते ही खुद को रोक पाना मुश्किल हो रहा था. लेकिन गर्मी के मौसम पर मानसून की चादर चढ़ते ही कुछ अलग जायके की तलब होने लगी है. हालांकि तीन ऐसी सब्जियां हैं जो आम लोगों का जायका बिगाड़ने पर तुली हुई हैं. टमाटर के बाद अदरक और लहसुन भी रंग बदल चुके हैं. तीनों की कीमत आसमान छू रही है.
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अदरक का दाम सुनेंगे तो होश उड़ जाएंगे. रिटेल मार्केट में अदरक 400 रुपए किलो बिक रहे हैं. लहसुन भी प्रति किलो डेढ़ सौ का आंकड़ा पार कर चुका है. कुछ दिन पहले तक 30 से 40 रुपए में बिकने वाला टमाटर अब सेब को चिढ़ाता दिख रहा है. रिटेल मार्केट में टमाटर की कीमत 100 से 120 रुपए प्रति किलो हो गयी है. पहले जो ग्राहक टमाटर को किलो में और अदरक-लहसुन को पाव के हिसाब से खरीदते थे, वो अब टमाटर को पाव के हिसाब से खरीद रहे हैं. अदरक और लहसुन को 50 ग्राम के तराजू पर चढ़ाना मुश्किल हो गया है.
सब्जी विक्रेता संघ की दलील:सब्जी विक्रेता संघ की अध्यक्ष प्रभा देवी उर्फ पुतुल देवी और उनके पति दशरथ साहू ने बताया कि कुछ समय पहले तक रांची में अदरक और लहसुन 15 से 20 रुपए पाव बिक रहा था. टमाटर तो कोई पूछता तक नहीं था. झारखंड में कभी भी लहसुन, अदरक और टमाटर की कमी नहीं हुई. लेकिन इसबार पता नहीं क्या हुआ है कि इतना दाम बढ़ गया है. उन्होंने कहा कि तीनों सब्जियों को थोक भाव में खरीदने पर डर सताता है कि अगर बिक्री नहीं हुआ तो नुकसान हो जाएगा.
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प्रतिगिशील किसान से समझें कारण:ओरमांझी में करीब 16 एकड़ जमीन लीज पर लेकर खेती करने वाले युवा प्रगतिशील किसान अशोक महतो से इसका कारण जानने की कोशिश की गई. उन्होंने स्थानीय भाषा के लहजे में कहा- किसान क्या करेगा भईया. मार्च और अप्रैल में टमाटर का थोक भाव दो रुपए किलो तक चला गया था. कई बार रिटेल मार्केट तक टमाटर लाने का भाड़ा नहीं निकल पाता था. नगड़ी और रातू में कई जगहों पर किसानों को सड़क पर ही टमाटर फेंकना पड़ा था. इसी वजह से किसानों की कमर टूट गई. आगे की फसल लगाने की हिम्मत नहीं हुई. अभी बाजार में जो टमाटर आ रहा है, वह बंगलुरू का है. वहां के किसान मार्डन हैं. दूर की सोचते हैं. ऐसी वेरायटी की टमामट की खेती करते हैं जो ज्यादा दिन तक टिकता है. आज वह फायदा उठा रहे हैं. अदरक और लहसुन की बढ़ती कीमत के बारे में किसान अशोक ने कहा कि पिछले साल कई बार बेमौसम बारिश हो गई थी. इसकी वजह से लहसुन और अदरक सड़ गये. इसलिए उत्पादन घट गयी. जिन किसानों ने अदरक और लहसुन को किसी तरह बचा लिया, उनको मुंहमागी कीमत मिल रही है. लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता है.
अदरक की चाय पर होने लगी है शायरी:मानसून की रिमझिम बारिश में चाय की जबरदस्त तलब होती है. चाय की चुस्की को लेकर एक से बढ़कर एक शायरी लिखी गयी है. एक शेर ऐसा है जो अदरक की वजह से बड़ा फीट बैठता है कि "कुछ इस तरह से उसकी जिंदगी में मेरा राज़ है, जैसे चाय की चुस्की में अदरक का स्वाद है". खासकर सुबह के वक्त रिमझिम बारिश का दीदार करते हुए अदरक वाली चाय पीने का मजा ही कुछ और होता है. मानसून आने पर बच्चे और बुजुर्गों को सर्दी जुकाम का खतरा बना रहता है. लिहाजा, हर घर में लहसुन की खपत बढ़ जाती है. चटनी से लेकर दाल में लहसुन का तड़का जरूरी हो जाता है. रही बात नॉन वेज के शौकिनों की तो बात चाहे चिकन की हो या मटन की, बिना लहसुन और अदरक डाले स्वाद उभरकर नहीं आ पाता. लेकिन दोनों सब्जियां इसबार जायका बिगाड़ने पर तुली हुई हैं.