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परीक्षार्थियों के लिए जरूरी हैं ये टिप्स, अभिभावकों के लिए गौर करने वाली बात

झारखंड एकेडमिक काउंसिल बोर्ड के तहत मैट्रिक में इस साल 3 लाख 87 हजार परीक्षार्थी शामिल हो रहे हैं, तो वहीं इंटरमीडिएट में 2 लाख 34 हजार 363 परीक्षार्थी परीक्षा में हिस्सा लेंगे. पिछले साल भी लाखों विद्यार्थी इन दोनों परीक्षाओं में शामिल हुए थे. इसमें से राजधानी रांची स्थित उर्सुलाइन स्कूल के विद्यार्थियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था. इंटर में स्टेट टॉपर की लिस्ट में 10 में 7 छात्राएं इसी स्कूल की थी. इस स्कूल के प्रिंसिपल डॉ मेरी ग्रेस ने राज्य के तमाम परीक्षार्थियों को टिप्स दिए हैं और अभिभावकों को सुझाव.

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Published : Feb 1, 2020, 3:14 PM IST

Tips by Principal of Ursuline School Dr. Mary Grace on exam
प्रिंसिपल डॉ मेरी ग्रेस

रांची:झारखंड एकेडमिक काउंसिल बोर्ड के तहत मैट्रिक में इस साल कई लाख बच्चें शामिल होंगे. साल 2019 में इंटर कॉमर्स में उर्सुलाइन इंटर कॉलेज ने परचम लहराया था, स्टेट टॉप 10 में यहीं के 7 के छात्राओं ने जगह बनाई थी. जबकि मैट्रिक में भी यहां के विद्यार्थियों ने शत-प्रतिशत परीक्षाफल दिया था और अधिकतर विद्यार्थी प्रथम श्रेणी से ही उतीर्ण हुए थे. टॉपर की लिस्ट में भी इसी स्कूल के विद्यार्थी पूरे राज्य भर में अपना दबदबा दिखाया था.

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साल 2020 में भी यहां से विद्यार्थी एग्जाम देंगे और एग्जाम की तैयारियों को लेकर स्कूल प्रबंधन ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. ईटीवी भारत की टीम ने स्कूल की प्रिंसिपल डॉ मेरी ग्रेस से खास बातचीत की है. उनकी मानें तो इस स्कूल में पढ़ाई का तरीका अन्य स्कूलों से बिल्कुल अलग है. विद्यार्थियों को जैक परीक्षा देने जाने से पहले मॉक टेस्ट के अलावा कई परीक्षाओं से होकर गुजरना पड़ता है.

इनके लिए शिक्षक भी कड़ी मेहनत करते है. तब जाकर शत-प्रतिशत परीक्षाफल उभरकर सामने आता है. यहां के विद्यार्थी काफी मेहनती है. शिक्षक के बताए गए निर्देशों का पालन जरूर करते हैं. वहीं, मेरी ग्रेस का यह भी कहना है कि अगर विद्यार्थी स्कूल में 100 प्रतिशत अटेंडेंस पर रहते हैं तो उनका परीक्षाफल बेहतर होगा ही.

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अभिभावकों को सुझाव
प्रिंसिपल मेरी ग्रेस ने अभिभावकों से भी अपील की है कि बच्चों पर पढ़ाई को लेकर मनोवैज्ञानिक दबाव में न बनाएं, बच्चे अगर सही तरीके से पढ़ाई नहीं कर रहे हैं तो उन पर नजर रखें न कि बात-बात पर डांट और फटकार लगाए. ऐसे में बच्चों का मनोबल घटता है और वह पढ़ाई नहीं कर पाता है. एग्जाम के दौरान भी बच्चों पर विशेष निगरानी रखने की जरूरत है न कि उन पर बेवजह दबाव डालने की. इम चीजों पर तमाम अभिभावकों को सोचने की जरूरत है.

परीक्षाओं का दौर है ऐसे में विद्यार्थियों पर अलग दबाव होता है, इस दबाव से उबरने के लिए विद्यार्थी ग्रुप डिस्कशन भी करें. साथ ही पढ़ाई को लेकर ज्यादा तनाव न लें बल्कि शिक्षकों के मार्गदर्शन और उनके बताए गए निर्देशों का सही तरीके से पालन करें तो उनका परीक्षाफल बेहतर जरूर होगा.

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