रांची:झारखंड में शिक्षक पात्रता परीक्षा एक पहेली बनकर रह गयी है. राज्य में साल 2011 से शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद अब तक दो बार 2013 और 2016 में शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित हुई है. जबकि इसे प्रत्येक वर्ष आयोजित करने का प्रावधान है. नियम के अनुसार, राज्य में बीते 12 वर्षों में 12 बार शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित होनी चाहिए था. मगर विडंबना यह है कि जब कभी भी टेट आयोजित करने की बात होती है तो नियमावली में बदलाव करने में शिक्षा विभाग जुट जाता है.
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शिक्षक पात्रता परीक्षा के लिए अब तक चार बार नियमावली में बदलाव हो चुके हैं. इधर बार-बार नियमावली में बदलाव होने की वजह से एक तरफ टेट परीक्षा लंबित हो रही है. वहीं दूसरी ओर हर वर्ष B.Ed पास करनेवाले विद्यार्थियों का सरकारी शिक्षक बनने का सपना साकार नहीं हो पा रहा है. गौरतलब है कि बीएड के बाद टेट पास करनेवाले विद्यार्थी ही शिक्षक भर्ती प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल हो सकते हैं.
नियमावली में बार बार बदलाव से होता रहा है आंदोलन:शिक्षा विभाग के द्वारा बार-बार नियमावली में किए जा रहे बदलाव का खामियाजा झारखंड के विद्यार्थी उठा रहे हैं. एक तरफ 2013 और 2016 में शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थी सीधी नियुक्ति की मांग कर रहे हैं. वहीं दूसरी और टेट सफल पारा शिक्षक सरकार के द्वारा लाये गए सहायक अध्यापक नियुक्ति विज्ञापन से खासे नाराज हैं. आंदोलन कर रहे टेट सहायक अध्यापक समन्वय समिति के प्रदेश अध्यक्ष सीमांत घोषाल ने शिक्षा विभाग के द्वारा नियमावली में लगातार किए जा रहे बदलाव पर नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि सरकार चाहती नहीं है कि राज्य के स्कूलों में खाली पड़े शिक्षकों के पद भरे जाएं. उन्होंने टेट पास पारा शिक्षकों को वेतनमान देने की मांग को दोहराते हुए कहा कि 10 वर्षों से काम करने वाले पारा शिक्षकों को फिर जबरन झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा में बैठने के लिए निर्देशित किया जा रहा है.
इधर, छात्र नेता एस अली ने बिहार और देश के अन्य राज्यों में लगातार हो रही टेट के जरिए शिक्षकों की नियुक्ति की सराहना करते हुए कहा कि झारखंड में नौकरशाहों की साजिश की वजह से एक तो शिक्षक पात्रता परीक्षा नहीं होती है. वहीं जब दो बार जो टीईटी आयोजित भी की गई तो उसमें भी पास अभ्यर्थियों को सरकारी शिक्षक बनने का मौका नहीं दिया गया. ऐसे में सरकार को चाहिए कि बार-बार नियमावली बनाने के बजाय बहाली पर ध्यान दे.
शिक्षक पात्रता परीक्षा को लेकर सरकार का है अलग तर्क:झारखंड में शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित होने से ज्यादा नियमावली पर ध्यान दिया जाता है. शिक्षक पात्रता परीक्षा झारखंड एकेडमिक काउंसिल के द्वारा आयोजित किए जाते हैं. एक बार फिर शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित करने की मांग जोर पकड़ने लगी है. विद्यार्थियों की मांग को देखते हुए युवा मामलों के मंत्री हफीजुल हसन कहते हैं कि 25000 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति के बाद सरकार शिक्षक पात्रता परीक्षा भी आयोजित करेगी. इसके लिए तैयारियां पूरी की जा रही हैं. टेट आयोजित करने से पहले सभी नियम कायदों पर नजर रखी जा रही है, जिससे किसी तरह की गड़बड़ी ना हो.