छाती का एक्स-रे हुआ तो होगी टीबी जांच, जानें नए फरमान की वजह
साल 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने के पीएम मोदी के संकल्प के तहत झारखंड में भी टीबी उन्मूलन अभियान चलाया जा रहा है. अभियान के दौरान टीबी मरीजों की पहचान के लिए उन सभी की टीबी जांच होगी, जिनका किसी भी समस्या को लेकर छाती का एक्स-रे होगा. इसके लिए सभी अस्पतालों और एक्स-रे सेंटर को निर्देश दे दिए गए हैं.
रांची: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को साल 2025 तक टीबी मुक्त राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया है. ऐसे में झारखंड में भी टीबी उन्मूलन के कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. ज्यादा से ज्यादा टीबी के मरीज की पहचान हो, इसके लिए राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत राज्य में अब उस हर व्यक्ति का ट्रू-नेट या सीबी नेट जांच का फैसला लिया गया है, जिनके किसी भी बीमारी के लिए डॉक्टर छाती का एक्सरे कराएंगे.
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इसके लिए सभी सरकारी, गैर-सरकारी अस्पतालों और X-ray सेंटर को निर्देश भेजे जा रहे हैं. इतना ही नहीं टीबी की बीमारी की तरह ही राज्य में अब चेस्ट के एक्स-रे को भी नोटिफाईड किया जा रहा है. इसका अर्थ यह हुआ कि निजी या सरकारी स्तर पर अगर किसी भी मरीज का छाती का एक्सरे कराया जाता है, तो उसकी रिपोर्ट और जानकारी स्वास्थ्य मुख्यालय और NTEP को साझा करना जरूरी होगा.
रांची में स्टेट टीबी अफसर और सिविल सर्जन के साथ हुई उच्च स्तरीय बैठक: यक्ष्मा रोग यानि टीबी के खिलाफ जंग में जीत के लिए रणनीतिक बदलाव को लेकर स्टेट टीबी ऑफिसर डॉ रंजीत प्रसाद और रांची के सिविल सर्जन विनोद कुमार की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें टीबी उन्मूलन की दिशा में आगे बढ़ रहे झारखंड में नई रणनीतिक बदलाव पर चर्चा की गई.
टीबी के हर मरीज का एक्सरे अब फ्री होगा: राज्य में अब टीबी के मरीजों का फ्री एक्सरे भी होगा. जिस सरकारी अस्पताल, CHC में x-ray की व्यवस्था नहीं है, वहां आसपास के निजी एक्सरे जांच सेंटर से MOU किया जाएगा और टीबी रोगियों की X-RAY में होनेवाले खर्च का वहन सरकार करेगी. इसके लिए केंद्र की सरकार ने झारखंड को राशि भेजी है. हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर भी टीबी के इलाज की सुविधा शुरू होगी और टीबी रोगियों के इलाज के लिए माइनस 5 से प्लस 5 तक के अंक हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर को दिए जाएंगे.
टीबी चैंपियन का कॉन्सेप्ट को धरातल पर उतारा जाएगा:टीबी को मात देने वाले लोगों में से सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति का चयन कर उन्हें 03 दिन का प्रशिक्षण दिया जाएगा. ये टीबी सरवाइवल हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर रहेंगे और टीबी को उन्होंने कैसे बिना गैप किये दवा और पौष्टिक आहार के बल पर परास्त किया है, इसकी जानकारी देंगे. अभी यह वॉलंटरी होंगे, लेकिन इन्हें इंसेंटिव देने का प्रस्ताव भी है.
ज्यादा से ज्यादा लोगों को निक्षय मित्र बनाने की योजना: टीबी रोग के खात्मे में दवा के साथ-साथ पौष्टिक आहार की भी अहम भूमिका होती है. ऐसे में टीबी रोगियों के मित्र बनने की मोदी सरकार की निक्षय मित्र योजना को और अधिक गंभीरता से धरातल पर उतारा जाएगा. इसके लिए निजी संस्थानों, पुलिस-प्रशासन से जुड़े अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों, कॉलेज-विश्वविद्यालय के शिक्षकों और छात्रों को जुड़ने के लिए प्रेरित किया जायेगा.
राज्य में इस वर्ष 57 हजार टीबी रोगियों की हुई है पहचान: झारखंड टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत इस वर्ष अभी तक 57 हजार टीबी रोगियों की पहचान हुई है. राज्य टीबी अफसर डॉ रंजीत प्रसाद के अनुसार जांच बढ़ने से टीबी के अधिक केस पकड़ में आये हैं. यह अच्छा है, अब सबका इलाज कर उन्हें टीबी मुक्त किया जा रहा है.
ये हैं टीबी के लक्षण: दो हफ्ते जे अधिक समय से खांसी, भूख में कमी, दो हफ्ते या उससे अधिक दिनों से बुखार, रात के समय पसीना आना, वजन घट जाना और बलगम में खून आन टीबी के लक्षण हो सकते हैं. अगर इसमें से कोई भी लक्षण हो तो अपने पास के स्वास्थ्य केंद्र में जाकर डॉक्टर को दिखाना जरूरी है, क्योंकि यह टीबी के लक्षण हो सकते हैं. यह पूरी तरह ठीक होने वाली बीमारी है. बिना गैप किये दवा खाने से यह पूरी तरह ठीक हो जाता है.