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गणतंत्र दिवस के अवसर पर निकाली गई झांकियां, लघु एवं कुटीर उद्योग की झांकी ने जीता पहला पुरस्कार

रांची में गणतंत्र दिवस के अवसर पर मोरहाबादी मैदान में कई तरह की आकर्षक झांकियां निकाली गई, जिसके जरिये लोगों को कुछ न कुछ संदेश देने की कोशिश की गई. इस दौरान मंच पर राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के अलावा भी कई गणमान्य मौजूद रहे.

Tableaux taken out on occasion of Republic Day in ranchi
गणतंत्र दिवस के अवसर पर निकाली गई झांकियां

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Published : Jan 26, 2020, 7:38 PM IST

रांची: राजधानी के मोरहाबादी मैदान में गणतंत्र दिवस के अवसर पर विभिन्न विभागों ने झांकियों के माध्यम से समाज को संदेश देने के लिए अपनी प्रस्तुति दी, जिनमें लघु एवं कुटीर उद्योग की झांकी को प्रथम पुरस्कार मिला है. इस मौके पर सबसे पहले ताना भगत समुदाय ने पहल करते हुए राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू और आए हुए अतिथियों के सामने अपने झांकी की प्रस्तुति दी.

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इन झांकियों को किया गया पुरस्कृत
गणतंत्र दिवस में भाग लिए झांकियों में से प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जिसमें प्रथम पुरस्कार लघु एवं कुटीर उद्योग, द्वितीय पुरस्कार पर्यटन एवं कला संस्कृति विभाग और तृतीय पुरस्कार सूचना एवं जनसंपर्क विभाग और वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को दिया गया. झांकियों में पारम्परिक संस्कृति, टाना भगत समुदाय की अहिंसा में आस्था, ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ उनके सत्याग्रह अहिंसक आंदोलन के साथ झारखंड जगुआर पुलिस ने तिरंगे को लहराते हुए सेवा ही लक्ष्य है को प्रदर्शित किया.झांकियों में बांस के आर्थिक महत्व, बिरसा आंदोलन, वर्षा जल के संरक्षण आदि को भी दर्शाया गया.

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कौन-कौन से झांकी प्रस्तुत किए गए, क्या थी खासियत
लघु एवं कुटीर उद्योग ने बांस के महत्व को बखूबी दिखाया, जिसमें बांस है तो सांस है, बांस का कारोबार गांव का स्वरोजगार, बांस लगाओ पैसा कमाओ , पर्यावरण बचाओ बांस लगाओ जैसे स्लोगन के माध्यम से झारखंड में बांस के महत्व को दर्शाया गया.

पर्यटन एवं कला संस्कृति विभाग
झारखंड की संस्कृति में कला नृत्य की एक अहम भूमिका है, जिसके लिए तरह-तरह के वाद्य यंत्रों का इस्तेमाल सदियों से होता आया है. पर्यटन एवं कला संस्कृत विभाग ने अपनी झांकी में ढाक, ढोल, मांदर, बांसुरी, मुरली शहनाई, घुंघरू इत्यादि वाद्य यंत्रों के माध्यम से विरासत में मिली पारंपरिक संस्कृति को प्रदर्शित किया.

सूचना एवं जनसंपर्क विभाग
सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की झांकी में बिरसा आंदोलन को दर्शाया गया, जिसमें आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, भूमि से लेकर, धर्म संबंधी तमाम समस्याओं के खिलाफ जन संघर्ष को कलाकारों ने प्रदर्शित किया.

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वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग
इस झांकी में कलाकृतियों के माध्यम से वर्षा के जल को किस प्रकार संरक्षित किया जाए, ताकि भविष्य में पानी की होने वाली किल्लत से बचा जा सके इसे दर्शाया गया. पानी की समस्या को देखते हुए घर, स्कूल और हर कार्यालय में कैसे वर्षा के पानी को संरक्षित किया जाए इसे बताया गया.

पेयजल एवं स्वच्छता विभाग
प्रकृति में जल के महत्व को समझाने के लिए झांकी के माध्यम से विभिन्न स्लोगन का प्रयोग किया गया. इस झांकी में महिलाओं के लिए इज्जत घर की अहमियत को बखूबी दिखाया, साथ ही कुवा नहर खेती में जल की अहमियत को दर्शाया गया.

खेलकूद एवं युवा विभाग
कोल्हान का स्थानीय खेल सेकोर पहली बार झारखंड के राजकीय गणतंत्र दिवस समारोह में दिखाई दिया. सेकोर खेल आदिवासी समाज के परंपरा से जुड़ा हुआ है. इसके लिए पश्चिम सिंहभूम की टीम ने झांकी के माध्यम से इस खेल को बखूबी लोगों के सामने रखा. इस खेल में 7-7 खिलाड़ियों की टीम होती है. इस खेल में लकड़ी के बने लड्डू होते हैं, जिसका निर्माण कुसुम की लकड़ी से किया जाता है, जिसे रस्सी के साथ बांधकर जोर से घुमाकर धरती पर फेंका जाता है.

महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग
गर्भधारण से बच्चे के जन्म तक मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र किस तरह मददगार है ये झांकी के माध्यम से दिखाया गया. इस झांकी को पोषण अभियान एक सतरंगी आयाम से सजाया गया.

स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग
स्कूली बच्चों और शिक्षकों ने गुणवत्ता शिक्षा की बदलते कदम को दर्शाने का प्रयास किया, जिसमें अभिभावक शिक्षा दिवस, डिजिटल और गुणवत्ता शिक्षा की ओर बढ़ते कदम, गुणवत्ता शिक्षा और बच्चों का अधिकार इत्यादि स्लोगन का इस्तेमाल कर डिजिटल के महत्व को समझाया गया.

झारखंड राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड
झांकी की खासियत बापू की प्रतिमा को चरखे के साथ बापू के सोच को सबके सामने रखा. बापू के खादी के प्रति प्रेम ही था जो उन्हें नर्वल के गणेश सेवा आश्रम तक ले गया. झांकी के जरिए बदलते वक्त के साथ खादी ने भी अपने रूप में परिवर्तन किया है, जिसे युवा वर्ग भी काफी पसंद कर रहे हैं. खादी के डिजाइंस ने यह साबित कर दिया की खादी वस्त्र नहीं विचारधारा है.

तेजस्विनी क्लब
तेजेस्विनी क्लब ने अपनी झांकी में बच्चियों और महिलाओं के सशक्तिकरण को प्रदर्शित किया. उनके द्वारा ये प्रयास किया गया कि हम तोड़ेंगे कुपोषण का चक्र जिसके लिए हमें अब सजग, सशक्त और समृद्ध बनने की जरूरत है.

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