झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

क्या इस बार भी बाबा के दर्शन पर लगा रहेगा ग्रहण? असमंजस में श्रद्धालु

सावन का महीना शुरू होने में महज 23 दिन बचे हैं और इस बार भी श्रद्धालु बाबा के दर्शन को लेकर असमंजस में हैं. दो दिन पहले सरकार की तरफ से जारी गाइडलाइन के मुताबिक अभी मंदिरों को बंद रखने का निर्णय लिया गया है. जुलाई का महीना शुरू होते ही यह सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि क्या इस बार भी बाबा के दर्शन के लिए भक्तों को अदालत का दरवाजा खटखटना पड़ेगा.

Baidyanath Dham Temple
बैद्यनाथ धाम मंदिर

By

Published : Jul 2, 2021, 1:08 PM IST

Updated : Jul 2, 2021, 7:08 PM IST

रांची:25 जुलाई से सावन का महीना शुरू होने जा रहा है और इस बार भी इस बात को लेकर असमंजस है कि कोरोना संकट के बीच देवघर का बाबा मंदिर भक्तों के लिए खुलेगा या नहीं. पिछली बार कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद कुछ शर्तों के साथ थोड़ी छूट दी गई थी. लेकिन, कोरोना की दूसरी लहर में हुई भारी तबाही के बाद सरकार फूंक-फूंककर कदम रख रही है. दो दिन पहले अनलॉक-5 के लिए जारी गाइडलाइन में सरकार ने सभी मंदिरों को आम लोगों के लिए अभी बंद रखने का निर्णय लिया है. श्रावणी मेला को लेकर भी कोई निर्णय नहीं लिया गया है.

सावन का महीना 25 जुलाई से 22 अगस्त तक चलेगा. मंदिर को लेकर सरकार की तरफ से कोई निर्णय नहीं लिए जाने के कारण श्रद्धालु असमंजस में हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि बाबा धाम जाने के लिए श्रद्धालु कुछ दिनों पहले ही तैयारी शुरू कर देते हैं. जुलाई का महीना शुरू होते ही यह सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि क्या इस बार भी बाबा के दर्शन के लिए भक्तों को अदालत का दरवाजा खटखटना पड़ेगा.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

यह भी पढ़ें:शिवभक्तों की आस्था पर कोरोना का ग्रहण, हजार करोड़ की अर्थव्यवस्था ठप

मुख्यमंत्री से मंदिर खोलने का आग्रह

गुरुवार को पंडा धर्मरक्षणी सभा के शिष्टमंडल ने मुख्यमंत्री मुलाकात की और मंदिर खोलने के संबंध में जल्द निर्णय लेने का आग्रह किया. शिष्टमंडल ने लॉकडाउन में बाबा मंदिर से जुड़े पंडा समाज और दुकानदारों की लचर आर्थिक स्थिति से अवगत कराते हुए मुख्यमंत्री को घोषणा के अनुरूप विशेष सहायता पैकेज मुहैया कराने का आग्रह किया. पंडा धर्मरक्षिणी सभा ने मुख्यमंत्री से बाबा बैद्यनाथ मंदिर को खोलने का आग्रह करते हुए कोविड-19 प्रोटोकॉल का पूरा पालन कर सीमित संख्या में श्रद्धालुओं को मंदिर में पूजा और जल अर्पण करने की अनुमति देने की दिशा में विचार करने का आग्रह किया.

कोरोना के आंकलन के बाद मंदिर खोलने पर होगा विचार

मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबा के आशीर्वाद से कोरोना को नियंत्रित करने में कामयाबी मिली है लेकिन खतरा अभी टला नहीं है. ऐसे में कोरोना से संबंधित सभी बातों का आंकलन करने के बाद मंदिर खोलने पर निर्णय किया जा सकेगा. फिलहाल सरकार का पूरा ध्यान कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करना है. मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रद्धालुओं के लिए मंदिर बंद रहने से पंडा समाज समेत देवघर के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पंडा समाज को सहयोग करने की दिशा में सरकार कई कदम उठा रही है ताकि उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े.

पिछले साल कुछ शर्तों के साथ सावन में बाबा मंदिर को भक्तों के लिए खोला गया था.

तीसरे चरण की आशंका के चलते निर्णय नहीं ले पा रही सरकार

श्रावणी मेला के आयोजन को लेकर भी मांग उठ रही है. लोगों ने सरकार से जल्द फैसला लेने की अपील की है. अधिवक्ता राजीव कुमार ने सरकार की कार्यशैली की आलोचना करते हुए कहा कि जब जिम खुल सकते हैं तो सीमित संख्या में श्रद्धालुओं को अनुमति देकर मंदिर क्यों नहीं खोला जा सकता है. अगर सरकार इस पर निर्णय नहीं लेगी तो बाध्य होकर पिछली बार की तरह कोर्ट जाना पड़ेगा. बाबा मंदिर खोलने और श्रावणी मेला को लेकर मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि सरकार कोविड के तीसरे चरण की आशंका को देखते हुए निर्णय नहीं ले पा रही है. हालांकि, स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के दौरान 1 जुलाई से काफी छूट दी गई है.

एक महीने की कमाई से सालभर का इंतजाम

सावन महीने में मेला और बाबा के दर्शन के लिए आने वाले भक्तों से जितनी कमाई होती है, उससे सालभर का इंतजाम हो जाता है. पुजारियों का कहना है कि उनका पुश्तैनी काम पूजा-पाठ ही है. एक महीने में इतनी कमाई हो जाती है कि पूरे साल आराम से घर चलता है. लेकिन, पिछले साल भी कोरोना के कारण मेला नहीं लगा और इस बार भी कमोबेश वही स्थिति दिख रही है.

मेला और मंदिर बंद होने से पंडों के साथ-साथ यहां के लोग काफी निराश हैं. एक अनुमान के मुताबिक सिर्फ सावन महीने में 600 से 700 करोड़ रुपये का कारोबार होता है. सरकार को भी करीब 100 करोड़ रुपये का राजस्व मिलता है.

जब कोरोना नहीं था तब भारी संख्या में भक्त बाबा के दर्शन के लिए आते थे.

नुकसान का गणित

बाबा धाम में सावन मेले के दौरान हर दिन करीब एक लाख श्रद्धालु आते हैं. सावन की सोमवारी को इनकी संख्या 3 से 4 लाख तक पहुंच जाती है. इस आंकड़े के अनुसार एक महीने के दौरान 42 लाख से ज्यादा लोग बाबा धाम पहुंचते हैं. एक अनुमान के अनुसार इतने लोगों की यात्रा के दौरान गेरुआ कपड़े खरीदना, खाना-पानी, ठहरना, यातायात और प्रसाद पर प्रति व्यक्ति औसत करीब दो हजार रुपये का खर्च आता है. इस तरह 42 लाख लोगों का कुल खर्च करीब 840 करोड़ रुपये होगा. सरकार और निजी संस्थाओं की ओर से की जा रही व्यवस्था को इसमें जोड़ ले तो ये आंकड़ा हजार करोड़ के पार चला जाएगा.

Last Updated : Jul 2, 2021, 7:08 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details