रांची:माकपा नेता सुभाष मुंडा की हत्या के बाद पुलिस के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश था, हत्याकांड के बाद पुलिस पर कई आरोप भी लगाए गए, लेकिन पुलिस ने जब इस हत्याकांड की गुत्थी को सुलझाया तो यह सामने आया कि सुभाष मुंडा के सबसे विश्वासपात्र ने ही उनकी हत्या की साजिश रची थी. अब ऐसे में भला कौन सुभाष मुंडा की हिफाजत कर पाता. सुभाष मुंडा की हत्या दोस्ती में धोखेबाजी और फरेब का जीता जागता उदाहरण है.
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जिसके नाम से सब किया उसी ने मरवा डाला:माकपा नेता सुभाष मुंडा की हत्या दोस्ती में फरेब और दगाबाजी की एक सनसनीखेज कहानी है. जमीन के कारोबार में तेजी से उभरते सुभाष मुंडा के पास पॉलिटिकल सपोर्ट के साथ-साथ इलाके के लोगों का भी साथ था. सुभाष मुंडा के साथ रांची के रातू इलाके के रहने वाले दो भाई विनोद और बसंत पार्टनर के साथ साथ सबसे भरोसेमंद बन कर उनके कारोबार को संभाल रहे थे. सुभाष मुंडा जेनरल और आदिवासी दोनों ही तरह के जमीनों का कारोबार किया करते थे. सामान्य बंदोवस्त की जमीन जो भी सुभाष खरीदते थे वह सभी विनोद और बसंत के नाम पर ही रजिस्ट्री करवाई जाती थी. विनोद पर सुभाष को इतना भरोसा था कि 10 करोड़ से ज्यादा की जमीन उसके नाम पर खरीदी थी.
वहीं दूसरी तरफ नगड़ी इलाके के ही एक और जमीन कारोबारी छोटू खलखो भी जमीन कारोबार में तेजी के साथ आगे बढ़ रहा था. लेकिन सुभाष मंडा के प्रभाव की वजह से वह हर जमीन के डील में फेल हो जा रहा था. सुभाष मुंडा की वजह से उसका करोड़ों के नुकसान हो चुका था. छोटू सुभाष मुंडा को लेकर तिलमिलाया हुआ था. जिसके बाद उसने सुभाष के सबसे खास विनोद को अपने पाले में मिलाकर सुभाष की हत्या की साजिश रच डाली. विनोद को भरोसा दिलाया कि सुभाष ने जो जमीन खरीदी है उसमे से अधिकांश उसके नाम पर है. अगर सुभाष की हत्या कर दी जाती है, तो वह पूरी जमीन उसकी हो जाएगी. विनोद छोटू की बातों से सहमत हुआ और उसके बाद रच दी गई सुभाष मुंडा के हत्या की साजिश.