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लाइसेंसधारी शराब विक्रेताओं की हड़ताल खत्म, विभाग से वार्ता के बाद मिला आश्वासन - शराब विक्रेताओं की हड़ताल खत्म

झारखंड के लाइसेंसधारी शराब विक्रेताओं ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा थी. लेकिन विभाग की ओर से मिले आश्वासन के बाद उन्होंने अपनी हड़ताल स्थगित कर दी है.

strike of liquor vendors postponed after assurance in ranchi
उत्पाद विभाग

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Published : Jan 29, 2021, 9:04 PM IST

रांचीः झारखंड के लाइसेंसधारी शराब विक्रेताओं की ओर से अपनी विभिन्न मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल का घोषणा की गई थी. लेकिन विभाग की ओर से उनकी मांगों पर विचार करने का आश्वासन के बाद अनिश्चितकालीन हड़ताल को स्थगित किया है. झारखंड शराब विक्रेताओं की मानें तो सरकार की ओर से राजस्व बढ़ाने के निर्णय की दोहरी मार झारखंड खुदरा शराब विक्रेताओं को झेलनी पड़ रही है.

झारखंड शराब विक्रेता संघ के संयुक्त उप सचिव वीरेंद्र गोप ने बताया कि उत्पाद विभाग की ओर से जनवरी महीने का शराब उठाओ कि तारीख को 2 फरवरी तक बढ़ा दिया गया है. लाइसेंस नवीनीकरण की तिथि को 9 फरवरी तक के लिए बढ़ा दिया गया है. इसके साथ ही अगले जनवरी महीने से 10% एक्साइज ड्यूटी टैक्स को समायोजित किए जाने का आश्वासन दिया है. इन तमाम आश्वासनों के बाद हड़ताल को वापस लिया गया है.

झारखंड के अनुज्ञाधारी शराब संघ के उपाध्यक्ष प्रकाश तिर्की ने बताया कि जनवरी से EDT को 7.2% से बढ़ाकर 9% कर दिए जाने से दुकान संचालन में परेशानी हो रही है. कोरोना के कारण लगाए गए 10% SED को वापस लिया जाए. झारखंड नियमावली के अनुसार अनुज्ञाधारियों को 12% लाभांश मिलना चाहिए, जो वर्तमान में नहीं मिल रहा है. जिसमें संशोधन कर 15% किया जाए और 5% विलंब शुल्क घटाकर 0.5 किया जाए.

झारखंड शराब विक्रेताओं की मानें तो झारखंड के अनुज्ञाधारी शराब विक्रेताओं को कोटा के हिसाब से मात्र 40 से 50 % के बिक्री होने की वजह से बहुत ही ज्यादा शराब का स्टॉक हो गया है और लाइसेंसधारियों की पूंजी फंसती जा रही है. जिससे व्यापारियों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है और आत्महत्या जैसी स्थिति उत्पन्न होते जा रही है.

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लाइसेंसधारी विक्रेताओं ने उत्पाद विभाग को अपनी इन समस्याओं से अवगत कराया

1. बिक्री के हिसाब से कोटा बहुत ज्यादा है, जिसकी वजह से शराब की दुकान मे स्टॉक बहुत ज्यादा हो गया है. जिसकी वजह से शराब व्यापारियों की पूंजी फंसती जा रही है और सभी लाइसेंसधारी फाइनेंसियल क्राइसिस से जूझ रहे हैं.

2. मार्जिन भी बहुत कम है, जिसके कारण हम लोग को नुकसान भी हो रहा है.

3. झारखंड में जितनी महंगी शराब है, पूरे भारत में उतनी महंगी कहीं नहीं है, खासकर यूपी और बंगाल में झारखंड के तुलना में शराब सस्ती है. जिसकी वजह से झारखंड में कालाबाजारी बहुत तेजी से बढ़ा है. अवैध शराब की बिक्री झारखंड के सभी जिलों में भारी मात्रा में हो रही है. जिसकी वजह से टारगेट सेल आधा रह गया है. हम सभी लाइसेंसी विक्रेताओं को बहुत बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है. यूपी की तुलना में झारखंड में 25% महंगी शराब बिक रही है.

इन समस्याओं को लेकर विक्रेताओं ने कहा कि इन बिंदुओं पर विचार नहीं किया जाता है तो हम सभी नवीनीकरण के लिए विचार नहीं करेंगे. हमारी जमा राशि तत्काल वापस कराने का भी विचार किया किया जाए. क्योंकि उत्पाद अधीक्षक का कहना है की जमा राशि मार्च 2022 के बाद ही मिलेगी.

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