रांची:हर आदमी अपनी जरूरतों को पूरी करने के लिए किसी न किसी प्रोफेशन से जुड़ा है. कोई डॉक्टर है तो कोई इंजीनियर. कोई शिक्षक है तो कोई कारोबारी. काम की वजह से ज्यादातर लोग तनाव में रहते हैं और इसे कम करने के लिए किसी न किसी चीज का सहारा जरूर लेते हैं. लेकिन, कुछ लोग हैं जो अपनी जिंदगी का तनाव कम करने के लिए कुछ अलग करते हैं. रांची में ऐसे ही कुछ डॉक्टर हैं जो न सिर्फ अपनी डॉक्टरी विधा के महारथी हैं बल्कि गीत-संगीत और कविता में भी पारंगत हैं. डॉक्टर उज्ज्वल राय न सिर्फ अच्छी गीत गाते हैं बल्कि वे बताते हैं कि कैसे उन्होंने अल्जाइमर्स, डिप्रेशन और यहां तक कि हाईपोग्लाइसेमिक यानि ग्लूकोज की कमी से होने वाली ब्रेन इंज्यूरी के मरीजों पर गीत और संगीत का सकारात्मक प्रयोग किया है.
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दिल से कलाकार ही हो सकता है बेहतरीन सर्जन
राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स के सर्जरी विभाग के प्रोफेसर और अनुभवी सर्जन डॉ. शीतल मलुआ न सिर्फ अपने डॉक्टरी विधा में पारंगत हैं बल्कि जब लय और सुर में वह गाते हैं तो सुनने वाले वाह-वाह कर उठते हैं. डॉ. शीतल मलुआ कहते हैं कि संगीत न सिर्फ शरीर के थकान को मिटा देता है बल्कि जीवन में रिफ्रेशर का भी काम करता है. सर्जरी तो कला और विज्ञान का अद्भुत संगम है. जो दिल से कलाकार नहीं होगा वह अच्छा सर्जन हो ही नहीं सकता क्योंकि संगीत हो या सर्जरी दोनों में परफेक्शन जरूरी है.
न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. उज्ज्वल राय के घर हर शाम सजती है महफिल
रांची में न्यूरोलॉजी यानि मानव शरीर के बेहद खास अंग ब्रेन से हर अंग को सिग्नल देने वाले स्नायु में आई दिक्कत का इलाज करने वाले प्रख्यात सुपर स्पेशलिस्ट डॉ. उज्ज्वल राय न सिर्फ कई मरीजों के इलाज के लिए संगीत और सुर ताल का इस्तेमाल करते हैं बल्कि खुद भी एक अच्छे कलाकार हैं. दिन भर मरीजों का इलाज कर थक जाते हैं तो शाम में यही गीत-संगीत उन्हें तरोताजा कर देता है. उन्होंने कई बिमारियों के इलाज के लिए गीत-संगीत का प्रयोग किया है. डॉ. उज्ज्वल कहते हैं कि विकसित देशों में म्यूजिक थेरेपी प्रचलन में है. हमलोग अभी शुरुआती चरण में हैं.
रिम्स के FMD यानि फॉरेंसिक मेडिसीन डिपार्टमेंट के हेड डॉ. चंद्रशेखर अपने विभाग में महत्वपूर्ण काम निपटाने के बाद देश दुनिया में घट रही घटनाओं को कविता का रूप दे देते हैं. अब तक 250 से ज्यादा कविता लिख चुके डॉ. चंद्रशेखर की नई कविता किसान आंदोलन पर है. डॉ. चंद्रशेखर कहते हैं कि मूल रूप से डॉक्टर्स भी इंसान होते हैं. पढ़ाई लिखाई कर कुछ विशेष करने की क्षमता मुझमें या मेरे जैसे लोगों में आ गई है. जब अपना काम पूरा कर लेते हैं तो फिर मेरे अंदर का अपना व्यक्तित्व कुछ लिखने को कहता है. वही मेरी कविताएं हैं.