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यहां बादल उमड़ते ही घरों और गुफाओं में छिप जाते हैं लोग, जानिए वजह

रांची जिला में एक ऐसा गांव है जहां बारिश के मौसम में लोग घर से बाहर निकलने में भी कांपने लगते हैं. इसकी वजह है वज्रपात. शायद यही वजह है कि वर्षों पहले जब लोग यहां आकर बसे तो गांव का नाम बजरमारा रख दिया. स्थानीय भाषा में बजरमारा का मतलब है मारने वाला वज्रपात. साल दो हजार सोलह सत्रह में फुटबॉल खेलते वक्त वज्रपात की चपेट में आने से इसी गांव के छह युवकों की मौत हो गई थी. इसी मौसम में एक महिला घायल भी हो चुकी है.

Story of bajrmara village
Story of bajrmara village

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Published : Jul 7, 2020, 6:41 PM IST

रांची: राजधानी से 35 किलोमीटर दूर नामकुम प्रखंड के लाली पंचायत का गांव है बजरमारा. पहाड़ और जंगलों से घिरा यह गांव. ग्रामीण कहते हैं कि बारिश के मौसम में जब बादल उमड़ते हैं और बिजली कड़कती है तो गांव के लोगों की सांसे फूलने लगती हैं. ग्रामीणों ने ईटीवी भारत की टीम को वज्रपात के कहर का एक नमूना भी दिखाया.

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गुफाओं में छिप जाते हैं लोग

बारिश होने पर गांव के आसपास के पहाड़ और जंगल धुंध की चादर ओढ़ लेते हैं. पहाड़ की तलहटी में बने खेतों में काम के दौरान अगर बादल उमड़ते हैं तो ग्रामीण पास की पहाड़ियों में बने गुफाओं में छिप जाते हैं. हमारी टीम की कोशिश थी कि हम उन गुफाओं की तस्वीरें आपको दिखाएं लेकिन बारिश की वजह से वहां जाना मुश्किल था. एक ग्रामीण ने बताया कि बारिश के मौसम में यहां दर्जनों वज्रपात की घटनाएं होती हैं. आवाज इतनी तेज होती है जैसे लगता है बम फूट रहा हो.

वज्रपात से प्रभावित पेड़

सरकार कराएगी सर्वे

ईटीवी भारत ने पूरे मामले से झारखंड के आपदा प्रबंधन मंत्री बन्ना गुप्ता को अवगत कराया. और उन्होंने कहा कि झारखंड की भौगोलिक स्थिति ऐसी है जिसकी वजह से कई ऐसे इलाकों में वज्रपात की घटनाएं होती हैं. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने आपदा प्रबंधन प्राधिकार के गठन की कवायद शुरू की है. इसके बाद समय पर लोगों को राहत पहुंचाया जा सकेगा. उन्होंने ईटीवी भारत की टीम को भरोसा दिलाया कि वह बजरमारा गांव का सर्वे करने के लिए एक टीम भी भेजेंगे.

खेती करते ग्रामीण

मुआवजा से नहीं चलेगा काम

झारखंड में हर साल वज्रपात की वजह से औसतन ढाई सौ से ज्यादा लोगों की मौत होती है और सैकड़ों मवेशियों की जान चली जाती है. वज्रपात से मौत होने पर पीड़ित परिवार को चार लाख रुपए का मुआवजा मिलता है, लेकिन सिर्फ मुआवजे से काम नहीं चलेगा. जरूरत है कि समय रहते प्रभावित क्षेत्र के लोगों को सजग किया जाए ताकि कोई वज्रपात का शिकार ना बने.

बजरमारा गांव

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