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त्रिकुट रोपवे हादसा: जिला प्रशासन का रवैया असंवेदनशील, मां को खोने वाले बेटे ने खोली पोल

त्रिकुट रोपवे हादसा के पांच दिन बाद भी देवघर जिला प्रशासन को पीड़ित परिवारों का हाल जानने का समय नहीं मिला है. प्रशासन के इस रवैये से पीड़ित परिवारों में मायूसी है. हादसे में अपनी मां को खोने वाले पेशे से आर्किटेक्ट अमित ने ईटीवी भारत से अपना दर्द साझा किया.

statement of victim of Trikut ropeway accident Deoghar
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Published : Apr 16, 2022, 7:08 PM IST

रांची: देवघर के त्रिकूट पर्वत पर हुए रोपवे हादसे में बचे लोग शायद वक्त के साथ इस सदमें से उबर जाएं लेकिन उन तीन परिवारों पर क्या बीत रही होगी जिन्होंने अपनों को खो दिया. खासकर राकेश मंडल और शोभा देवी का परिवार. जिन्होंने अपनी आंखों के सामने अपनों को आसमान से नीचे मौत की खाई में गिरते देखा. शोभा देवी के साथ उनके पति छठीलाल साव उसी ट्रॉली में थे. दूसरी ट्रॉली में उनके पुत्र अमित अपनी पत्नी, तीन साल के बेटे, भतीजा और भाभी के साथ फंसे हुए थे. मां को छोड़कर सभी छह सदस्य सुरक्षित एयर लिफ्ट कर लिए गये. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि देवघर जिला प्रशासन को पीड़ित परिवार का हाल जानने की अबतक फुर्सत नहीं मिली है. अमित ने फोन पर ईटीवी भारत को बताई आपबीती. उम्मीद की जाती है कि आवाज सिस्टम तक भी पहुंचेगी.

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अमित ने बताया कि सीएम की घोषणा के बाद रामपुर ब्लॉक से एक कर्मी अकाउंट का डिलेट लेने आए थे. बस दाह संस्कार के दिन स्थानीय सांसद आए थे. हादसे में अपनी मां को खोने वाले पेशे से आर्किटेक्ट अमित ने ईटीवी भारत को बताया कि दो रातें कैसी कटी, उसे बयां करना मुश्किल है. उन्होंने कहा कि रोपवे वालों की लापरवाही के कारण ही हादसा हुआ है. ऊपर से ऑपरेशन के दौरान जिला प्रशासन का रवैया बेहद असंवेदनशील रहा. उन्होंने एयरफोर्स, सेना और एनडीआरएफ के साथ उन ग्रामीणों को सैल्यूट किया, जिन्होंने अपने बूते ड्रोन से ट्रॉली तक पानी पहुंचाया. अमित को तकलीफ इस बात से भी है कि गांव वालों को एक माइक तक नहीं मुहैया कराया गया. बेचारों को मदद पहुंचाने के लिए चिल्लाना पड़ता था. बाद में पता चला कि प्रशासन ने रांची से लाखों रुपए वाला ड्रोन मंगवाया है. लेकिन उसे चलाने वाले प्रोफेशनल्स नहीं थे. उनके ड्रोन की बैटरी डिसचार्ज थी. चालीस लाख का ड्रोन चार पैसे का भी काम नहीं कर पाया.

ब्यूरो चीफ राजेश सिंह के साथ पीड़ित अमित की बातचीत

हालाकि एयरफोर्स, सेना, आईटीबीपी और एनडीआरएफ की टीम ने जिस विपरित हालात में दो दिन तक ऑपरेशन चलाकर 60 लोगों की जिंदगी बचाई, उसकी जीतनी भी तारीफ की जाए वह कम है. यही वजह है कि इस ऑपरेशन को पूरी दुनिया ने देखा. खुद प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने सेना की तारीफ की.

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इस बीच ईटीवी की पड़ताल के दौरान एक राहत वाली खबर यह आई कि हादसे के दिन गंभीर रूप से जख्मी डेढ़ साल के आनंद को रांची के मेडिका अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है. 10 अप्रैल को रामनवमी के दिन जब रोपवे हादसा हुआ था, तब डेढ़ साल का आनंद अपनी दादी की गोद में बैठकर उड़न खटोले का मजा ले रहा था. हालांकि उसकी दादी सुमंती देवी नहीं बच पाईं. इसी बीच त्रिकूट पर्वत की चोटी पर हादसा हुआ और वही ट्राली टूटकर गिर गई. जिसकी वजह से आनंद की दादी की मौत हो गई. आनंद का चेहरा बुरी तरह से चोटिल हुआ है.

अफसोस इस बात को लेकर है कि 12 अप्रैल की शाम मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद भी अबतक जांच टीम का गठन नहीं हो पाया है. आपदा विभाग के सचिव अमिताभ कौशल ने बताया कि टीम का गठन कर लिया जाएगा. पीड़ित परिवारों को भी मुआवजा मिल जाएगा. सवाल है कबतक. जवाब में कहा बहुत जल्द. ठीक उसी तरह जैसे सदन की कार्यवाही के दौरान विधायकों के सवाल के जवाब में विभागीय मंत्री कहते हैं. संभव है कि एक्सपर्ट का नाम तय करने में वक्त लग रहा हो लेकिन मुआवजा देने में देरी समझ से परे है. माना जा रहा है कि इन सवालों का जवाब 25 अप्रैल को ही मिल पाएगा क्योंकि हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए रिपोर्ट तलब किया है. इस बीच एक अच्छी खबर यह है कि रुपए का संचालन करने वाले दामोदर रोपवे इंफ्रा लिमिटेड तीनों पीड़ित परिवारों को 25-25 लाख की सहायता राशि देने की बात कही है. कंपनी ने जिला प्रशासन को चेक सौंप दिया है.

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