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Jharkhand Assembly Monsoon Session: केंद्र से बकाये के लिए कोयला ढुलाई बंद करने की बात गलत, वित्त मंत्री ने एक तीर से लगाए दो निशाने

सदन में वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि केंद्र सरकार और केंद्र सरकार के उपक्रमों पर राज्य का भारी-भरकाम पैसा बकाया है. इसे प्राप्त करने की विधिवत कोशिश की जा रही है. उन्होंने इसके लिए किसी तरह के असंवैधानिक कदम नहीं उठाने की बात कही.

Jharkhand Assembly Monsoon Session
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Published : Aug 4, 2023, 1:09 PM IST

रांचीः प्रश्नकाल के दौरान एक सवाल के जवाब में वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने एक तीर से दो निशाने साधे. उन्होंने कहा कि अक्सर कहा जाता है कि केंद्र अगर बकाया नहीं देगा तो कोयले की ढुलाई भी बंद की जा सकती है. चक्का जाम किया जा सकता है. ऐसी बात मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी कह चुके हैं. इशारों इशारों में वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि ऐसा होने से झारखंड को भी हानि होगी. झारखंड के मजदूरों का काम बंद हो जाएगा. दिल्ली-पंजाब कोयला नहीं जाने से बिजली उत्पादन बंद हो जाएगा, उसका असर हमारे कारखानों पर भी पड़ेगा.

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दरअसल, प्रदीप यादव ने वित्त विभाग से जुड़ा एक सवाल किया था, जिस पर आज जवाब आया. उन्होंने सरकार से पूछा कि क्या यह बात सही है कि केंद्र सरकार के पास बकाया राशि और केंद्र की योजनाओं के मद में 35 हजार करोड़ रुपए के लिए बार-बार मांग करनी पड़ रही है. वसूली के लिए राज्य सरकार क्या कर रही है.

जवाब में वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि 35000 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि केंद्र सरकार और केंद्र सरकार के उपक्रमों के पास बकाया है. इसके अलावा केंद्र प्रायोजित योजनाओं में करीब 22 सौ करोड़ से अधिक की राशि बकाया है. राज्य सरकार के प्रयास से भूमि अधिग्रहण मद में 2532.55 करोड़ रुपए प्राप्त हुए हैं.

वित्त मंत्री ने कहा कि लैंड रिफॉर्म मद में 80 हजार करोड़, कॉमन कॉज मद में 35 हजार करोड़ रु, बिजली विभाग के 1779 करोड़ समेत अन्य मद में भारी भरकम राशि बकाया है. इसको लेकर कोयला मंत्रालय समेत केंद्र के अन्य उपक्रमों से कई बार बातचीत हुई है. कोयला मंत्रालय ने कोल बेयरिंग एक्ट का हवाला देते हुए कहा था कि जमीन पर उसका हक है. इस डाउट को समझाने पर उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ है.

बताया गया है कि सरफेस लैंड पर राज्य का हक होता है जबकि सरफेस के नीचे की जमीन केंद्र की होती है. कोयला मंत्रालय को यह बात समझ में आ गई है. इसके बाद वहां से कहा गया कि कमर्शियल रेट पर पैसे नहीं देंगे. इसको राज्य सरकार ने मान लिया है और कृषि रेट पर ही बकाया देने की मांग की है. इसको लेकर ज्वाइंट सर्वे कराया गया है. रिपोर्ट आने के बाद डिमांड तय होगा.

वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि राज्य सरकार के पास बकाया राशि की वसूली के लिए वैधानिक तरीका मौजूद है. यह सभी जानते हैं कि सर्टिफिकेट केस से विलंब होता है. यह भी समझना चाहिए कि केंद्र की कंपनियों पर केस करना चाहिए या नहीं. इसलिए हम नीति आयोग के पास गये. उन्होंने भरोसा दिलाया कि केंद्र सरकार और उसके अन्य उपक्रम बकाया राशि को धीरे धीरे लौटाएंगे. वित्त मंत्री ने कहा कि इसके लिए मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के स्तर पर से भी केंद्र के समक्ष बकाया राशि के लिए आग्रह किया जाता रहा है.

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