रांचीः जिला प्रशासन, रेल प्रशासन और कुछ सामाजिक संस्थाओं की ओर से लाख कोशिश और बेहतरीन व्यवस्था किए जाने के बावजूद काटपाडी वेल्लोर से पहुंची स्पेशल ट्रेन के यात्रियों को फूड पैकेट्स पर खराब खाना दिया गया. दरअसल कई यात्रियों ने जब फूड पैकेट खोला तब उसमें खराब खाना पाया. ऐसे में उन्होंने इस खाने को डस्टबिन में पैकेट समेत फेंक दिया. इस दौरान पैकेट फेंके जाने पर एक पुलिसकर्मी ने यात्री को तो न जाने क्या-क्या कह दिया.
तमिलनाडु के काटपाड़ी वेल्लोर से 1237 यात्रियों को लेकर हटिया पहुंची स्पेशल ट्रेन के अधिक्तर यात्री मरीज और मरीज के परिजन ही थे. इन तमाम लोगों का स्वागत हटिया रेलवे स्टेशन पर खुद उपायुक्त राय महिमापत रे, रांची के एसएसपी अनीश गुप्ता, रांची रेल मंडल के परिचालन विभाग के हेड नीरज कुमार के अलावा कई समाजसेवी संस्थाओं की ओर से किया गया. इस दौरान गुलाब के फूल पानी की बोतल, कोल्ड ड्रिंक और फूड पैकेट भी दिया गया. वहीं यात्रियों के लिए मास्क, सेनेटाइजर और संदिग्ध यात्रियों के स्वाब लेकर कोरोनावायरस टेस्ट भी करवाया गया और उनकी पूरी विवरण हटिया रेलवे स्टेशन पर ही ली गई .
फूड पैकेट में रखे खाना हो चुका था खराब यात्रियों ने फेंका डस्टबिन में
हालांकि इस दौरान फूड पैकेट बांटे जाने वाले संस्था की ओर से एक चूक जरूर हो गई. कई यात्रियों ने फूड पैकेट को खराब बताते हुए डस्टबिन में फेंक दिया और इसे खाना मुनासिब नहीं समझा. इन यात्रियों की मानें तो इन फूड पैकेट्स को काफी पहले पैक किया होगा. इसलिए इसमें रखे खाना पूरी तरह खराब हो चुका है. इसे खाने से फूड प्वाइजनिंग भी हो सकता है. गौरतलब है कि मामले को लेकर टीम ने डीसी राय महिमापत रे से इस संबंध में पूछा तो वह सवाल को टालते नजर आए.
बर्बाद हुआ खाना
अगर इन फूड पैकेट को सही समय पर पैक किया जाता तो शायद इतना खाना बर्बाद ना होता. खाना फेंकने वाले यात्री पर एक पुलिसकर्मी जमकर बरसे भी. पुलिसकर्मी लगातार यह कहते रहे कि उन जैसे लोग ही नौटंकी करवाते हैं. एक तो इतने दूर से लोगों को लेकर आओ ऊपर से फूड पैकेट के नाम पर बदनाम करवा रहे हैं. जबकि इस महिला यात्री की कसूर बस इतना ही था कि उन्होंने खराब हुए खाने के फूड पैकेट को इधर-उधर ना फेंक कर डस्टबिन में जाकर फेंका. पुलिस वाले ने कहा कि उनका मकसद यह नहीं था कि व्यवस्था के ऊपर किसी तरीके वेवजह सवाल उठाना. क्योंकि रांची रेल मंडल जिला प्रशासन की ओर से हर तरीके के बेहतर व्यवस्था यहां करने की कोशिश की जा रही है. लेकिन इन गलतियों के कारण रंग में भंग पड़ रहा है. अगर फूड पैकेट निर्माण करने वाले संस्था सही समय पर इन फूड्स पैकेट को पैक करवाता तो शायद इतना खाना बर्बाद न जाता. इस विकट परिस्थिति में कई लोग भूखे रह रहे हैं. एक जून की रोटी भी उन्हें नसीब नहीं हो रही है. ऐसे में इतना सारा खाना फेंक दिया जाना. यह कहीं से भी सही नहीं है. इस और जिला प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत थी.