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शिबू सोरेन का 77वां जन्मदिन आज, गुरुजी के संघर्ष से जुड़ी 3 पुस्तकों का CM करेंगे लोकार्पण

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Published : Jan 10, 2021, 8:27 PM IST

Updated : Jan 11, 2021, 1:45 AM IST

सोमवार को दिशोम गुरु शिबू सोरेन का जन्मदिन है. महाजनी प्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले दिशोम गुरु शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को एकीकृत बिहार में हुआ था. इनका जीवन संघर्ष करिश्मा और विवादों से घिरा रहा. वो लंबे समय तक लोकसभा सांसद रहे, तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने. फिलहाल, वो राज्यसभा सांसद हैं. उम्र के इस पड़ाव पर होने के बावजूद झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन का करिश्मा बरकरार है.

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दिशोम गुरु शिबू सोरेन का 77वां जन्मदिन कल

रांची: जब भी झारखंड की बात होती है तो एक शख्सियत का नाम जरूर सामने आता है. वह हैं राज्य के दिशोम गुरु शिबू सोरेन. महाजनी प्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने अलग झारखंड राज्य के लिए लंबा संघर्ष किया. आखिरकार उनका संघर्ष ने रंग दिखाया और उन्होंने अलग झारखंड राज्य हासिल किया.

शिबू सोरेन का करिश्मा अब भी बरकरार

गुरुजी शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को एकीकृत बिहार के हजारीबाग जिला के नेमरा गांव में हुआ था. स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद 1970 में राजनीति में आए. जामताड़ा में उन्होंने बाहरी यानी दिकुओं के खिलाफ आंदोलन शुरू किया. इनका जीवन संघर्ष, करिश्मा और विवादों से घिरा रहा. वो लंबे समय तक लोकसभा सांसद रहे, तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने. फिलहाल, वो राज्यसभा सांसद हैं. उम्र के इस पड़ाव पर होने के बावजूद झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन का करिश्मा बरकरार है.

दिशोम गुरु शिबू सोरेन और पिता के जन्मदिन के मौके पर उनके पुत्र सह झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उनकी संघर्ष से जुड़ी तीन पुस्तकों का लोकार्पण करेंगे. वरिष्ठ पत्रकार अनुज कुमार सिन्हा ने इन तीनों पुस्तकों को लिखा है.

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सामाजिक बुराइयों के खिलाफ चालाया अभियान

राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन की जीवनी पर आधारित पुस्तकों में दिशोम गुरु: शिबू सोरेन (हिंदी), ट्राइबल हीरो: शिबू सोरेन (अंग्रेजी) और सुनाओ बच्चों, आदिवासी संघर्ष के नायक शिबू सोरेन (गुरुजी) की गाथा शामिल है. दिशोम गुरु: शिबू सोरेन नाम की यह पुस्तक मूलत शिबू सोरेन के जीवन के संघर्ष की गाथा है. इस पुस्तक में इसकी विस्तार से चर्चा की गयी है कि किन हालातों में शिबू सोरेन को स्कूल छोड़ कर महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन में उतरना पड़ा. कैसे उन्होंने आदिवासियों को उनकी जमीन पर कब्जा दिलाया, कैसे धान काटो आंदोलन चलाया. उनका लंबा समय पारसनाथ की पहाड़ी और जंगलों में कैसे बीता. कैसे शिबू सोरेन ने आदिवासी समाज को एकजुट कर सामाजिक बुराइयों को दूर करने का अभियान चलाया.

पुस्तक में इस बात का भी जिक्र है कि कैसे उन्होंने विनोद बिहारी महतो और एके राय के साथ मिलकर झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन किया. पुस्तक में उनके राजनीतिक जीवन का भी विस्तार से वर्णन है. शिबू सोरेन के जीवन की रोचक और दुर्लभ तसवीरें भी उपलब्ध हैं.

Last Updated : Jan 11, 2021, 1:45 AM IST

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