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रांची: सरला बिरला विश्वविद्यालय में विचार गोष्ठी का आयोजन, नई शिक्षा नीति को लेकर हुआ विचार विमर्श

रांची में सरला बिरला विश्वविद्यालय और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के संयुक्त तत्वाधान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति क्रियान्वयन एवं आत्मनिर्भर भारत के विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सभी सदस्य, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति क्रियान्वयन एवं आत्मनिर्भर भारत क्रियान्वयन समिति के सभी पदाधिकारी, ख्याति प्राप्त कुलपति के अलावा कई गणमान्य उपस्थित रहे.

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Published : Feb 14, 2021, 7:12 PM IST

Seminar organized in Sarala Birla University in ranchi
विचार गोष्ठी का आयोजन

रांची:सरला बिरला विश्वविद्यालय और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के संयुक्त तत्वाधान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति क्रियान्वयन एवं आत्मनिर्भर भारत के विषय पर एक दिवसीय विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस अवसर पर झारखंड शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सभी सदस्य और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति क्रियान्वयन एवं आत्मनिर्भर भारत क्रियान्वयन समिति के सभी पदाधिकारी, राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कई ख्याति प्राप्त कुलपति, कुलसचिव, शिक्षाविद और प्राध्यापकों ने उपस्थित होकर झारखंड में शिक्षा की दशा और दिशा को बदलने वाली नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को पूर्णत: क्रियान्वित करने की वकालत की.

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं आत्मनिर्भर भारत के विषय पर सरला बिरला विश्वविद्यालय में कुलपति प्रोफेसर गोपाल पाठक की अध्यक्षता में आयोजित गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय संयोजक अतुल भाई कोठारी मौजूद थे. उन्होंने कहा की स्वतंत्र भारत की तीसरी राष्ट्रीय शिक्षा नीति और आत्मनिर्भरता प्रदान करने वाली यह पहली भारतीय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 है, जो पूर्ण लोकतांत्रिक तरीके से बनाई गई है, यह पूर्णत: भारत केंद्रित शिक्षा नीति है, इस नीति का उद्देश्य ऐसे राष्ट्रभक्त नागरिकों का निर्माण करना है, जो विचार, बौद्धिकता और कार्य व्यवहार में पूर्णत: भारतीय हों. उन्होंने कहा कि इस नीति में समग्र, सर्वांगीण एवं एकात्मकता की दृष्टि है, जिसमें चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व विकास पर जोर दिया गया है, समस्याएं तो हैं पर हमें समाधान ढूंढना है, उचित समाधान ढूंढ कर ही हम चुनौतियों को अवसर के रूप में बदल सकते हैं. उन्होंने कहा कि इस नीति में जन्म से लेकर शोध तक की दृष्टि है, पढ़ाने की पद्धति से लेकर ढांचागत परिवर्तन की बात कही गई है, उच्च शिक्षा में द्विभाषा का प्रावधान किया गया है, जिससे शोध कार्य को व्यापक बढ़ावा मिल सके.

नई शिक्षा नीति से विश्व गुरु बनने का रास्ता होगा साफ

अतुल भाई कोठारी ने कहा कि नीति बन जाना सब कुछ नहीं, इसे क्रियान्वित करना बड़ी बात है, बिना इसके क्रियान्वयन के हम इसके उद्देश्यों को साकार नहीं कर सकते, हम सबों के कंधों पर इसे क्रियान्वित करवाने की जिम्मेदारी है, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू कर ही हम हर हाल में पुनः विश्व गुरु बन सकते हैं, नई शिक्षा नीति के माध्यम से भारत को ऐसा ज्ञान संपन्न राष्ट्र बनाना है, जिससे विश्व के लोग भारत के ज्ञान की लालसा में पुनः भारत की ओर आने को मजबूर हो जाएं.

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