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ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर स्कूल की मनमानी! नए तरीके से फीस वसूलने की तैयारी में प्रबंधन - रांची में स्कूल प्रबंधन से फीस माफी की मांग

झारखंड में ज्यादातर निजी स्कूलों में बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है. इसके नाम पर स्कूल प्रबंधन अभिभावकों से मोटे रकम वसूलने के लिए दबाव बना रहा है, जिससे अभिभावक परेशान हैं. शिक्षा मंत्री ने भी इसे लेकर पहल की, लेकिन उसका असर स्कूल प्रबंधन पर नहीं पड़ा है.

School management demanding fees from parents in name of online education in ranchi
स्कूल प्रबंधन की मनमानी से अभिभावक परेशान

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Published : May 30, 2020, 7:03 AM IST

Updated : May 30, 2020, 12:56 PM IST

रांची:कोरोना काल के दौरान इन दिनों झारखंड के निजी स्कूल ऑनलाइन पठन-पाठन के जरिए बच्चों तक सौ फीसदी स्टडी मटेरियल पहुंचाने का दावा कर रहें है और इसके एवज में सभी स्कूल अभिभावकों को मैसेज भेजकर फीस की मांग कर रहे हैं. हालांकि फीस माफी को लेकर झारखंड सरकार के शिक्षा मंत्री खुद फ्रंट पर हैं और वह अपने स्तर पर निजी स्कूल संचालकों से लगातार लॉकडाउन के दौरान फीस माफ हो इसके लिए काम कर रहे हैं, लेकिन निजी स्कूलों का मनमाना रवैया अभी भी जारी है.

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कोरोना महामारी के प्रकोप से कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं है. शिक्षा व्यवस्था पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ा है. देश भर के सभी शिक्षण संस्थानों के साथ-साथ झारखंड के भी हजारों स्कूल-कॉलेज बंद पड़े हैं. ऐसे में ऑनलाइन पठन-पाठन के नाम पर राज्य के निजी स्कूलों ने अभिभावकों से फीस वसूली का नया तरीका निकाला है. निजी स्कूल 60 फिसदी बच्चों को ऑनलाइन पठन-पाठन करवा रही है, जिससे बच्चों को कोई फायदा नहीं मिल पा रहा है. झारखंड में निजी स्कूलों की बात करें तो आईसीएससी और सीबीएसई के अलावे जैक बोर्ड से मान्यता प्राप्त लगभग 19 से 20 हजार के बीच छोटे बड़े निजी स्कूल हैं और औसतन इनमें पढ़ने वाले अनुमानित बच्चों की संख्या लगभग एक से डेढ़ करोड़ के आसपास है. कई छोटे निजी स्कूल हैं जो बिना मान्यता के ही आठवीं तक के पढ़ाई करवाते हैं. इनमें प्ले स्कूल भी शामिल हैं. ऐसे स्कूलों की संख्या का अनुमान लगाना भी मुश्किल है, क्योंकि सरकारी तौर पर इसके लिए कोई आंकड़े नहीं है.

ऑनलाइन पढ़ाई



शिक्षा मंत्री का आग्रह, लॉकडाउन के दौरान फीस ना लें निजी स्कूल
वहीं लॉकडाउन के दौरान ऐसे स्कूल अभिभावकों से बिना क्लास संचालित कर ही फीस लेने के लिए लालायित हैं, हालांकि ऑनलाइन क्लासेज का हवाला देते हुए इन निजी स्कूल बड़े ही चालाकी से और भी कई फंड अभिभावकों से वसलूने की तैयारी में है. इस पर नकेल कसने वाला कोई नहीं है. हालांकि कोरोना वायरस काल के दौरान झारखंड के शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए सभी निजी स्कूलों से यह आग्रह किया था कि वे अपने विवेक से 2 महीने का फीस कम से कम अभिभावकों से ना लें, लेकिन इस मामले को लेकर कई चरण का बैठक होने के बाद भी नतीजा सिफर ही रहा है.

निजी स्कूलों में पढ़ते हैं लाखों बच्चे



पेरेंट्स एसोसिएशन भी है आंदोलित
पेरेंट्स एसोसिएशन भी लगातार इस मामले को उठा रहा है, लेकिन निजी स्कूलों पर फिलहाल कोई असर होता नहीं दिख रहा है. हालांकि शिक्षा मंत्री के पहल पर निजी स्कूल एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक जरूर हुई है और उस बैठक में भी कोई खास नतीजा नहीं निकला है और भी कई चरण के बैठक होंगे, तब जाकर इस मसले पर फैसला लिया जा सकता है.

स्कूल प्रबंधन मांग रहे फीस

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झारखंड के निजी स्कूलों की फीस स्ट्रक्चर
झारखंड के अधिकतर बड़े निजी स्कूलों के फीस स्ट्रक्चर भी काफी हाय है. प्रतिमाह दो से तीन हजार तक प्रति बच्चे फीस अधिकतर स्कूलों में लिए जाते हैं. बस भाड़ा भी कम से कम 800 से 1000 के बीच स्कूलों ने तय कर रखा है. वहीं साल किताबों के दाम भी प्रकाशन के जरिये दो से 3 फिसदी बढ़ा दी जाती है. ऐसे में नए सेशन के दौरान अभिभावकों के लिए आर्थिक दृस्टिकोन से काफी परेशानी भरा होता है. अपने कमाई का 30 फीसदी सैलरी बच्चों की पढ़ाई पर ही मध्यमवर्गीय परिवार खर्च कर देते हैं.

स्कूलों की फीस महंगी




एक तरफ जहां अभिभावक बच्चों को किसी भी हालत में मोबाइल से दूर रखना चाहते हैं और ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर स्कूलों पर फीस वसूली का आरोप लगा रहे हैं, तो वहीं सूबे के शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो का भी मानना है की ऑनलाइन पठन-पाठन से बच्चों के पढ़ाई पर गुणवत्ता नहीं आता है. अगर ऐसा ही होता तो बड़े-बड़े स्कूल बिल्डिंग नहीं बनते. लोग घरों में बैठकर ही ऑनलाइन पढ़ाई करते और कराते, जबकि पेरेंट्स एसोसिएशन के लोग बार-बार यह कह रहे हैं कि निजी स्कूल सिर्फ और सिर्फ ट्यूशन फीस ले अन्य किसी भी मद में अभिभावकों से पैसों की वसूली ना करें.

Last Updated : May 30, 2020, 12:56 PM IST

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