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JMM Foundation Day Controversy: झामुमो के स्थापना दिवस का राज! किनके जन्मदिन पर दुमका में पार्टी मनाती है 'फाउंडेशन डे'

झारखंड मुक्ति मोर्चा एक ऐसी पार्टी है, जो चार अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तारीखों में स्थापना दिवस मनाती है. दो फरवरी को पार्टी दुमका में स्थापना दिवस मनाती है, लेकिन अब इसे लेकर विवाद शुरू हो गया है. आखिर किनके जन्मदिन पर दुमका में जेएमएम स्थापना दिवस मनाती है. जानें इस रिपोर्ट में...

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Published : Feb 3, 2023, 3:17 AM IST

रांची: संघर्ष से सत्ता तक का सफर तय करने में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कई पड़ाव देखे. 2 फरवरी को पार्टी दुमका में 44वां स्थापना दिवस मना रही है. इस कार्यक्रम में पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरोन और कार्यकारी अध्यक्ष सह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत तमाम दिग्गज शिरकत कर रहे हैं. पूरा दुमका शहर पार्टी के बैनर पोस्टर से पटा पड़ा है. ज्यादातर बड़े बैनर पर गुरूजी, हेमंत सोरेन और बसंत सोरेन की तस्वीरें लगी हुई हैं. लेकिन दुमका के गांधी मैदान स्थित कार्यक्रम स्थल पर 44वां स्थापना दिवस की जगह 44वां झारखंड दिवस लिखा हुआ है. इस सवाल की पड़ताल करते वक्त पार्टी से जुड़ी कई ऐसी बातें और दावे सामने आए, जो बेहद रोचक लगे.

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दुमका में स्थापना दिवस का राज:अलग राज्य के आंदोलन के दौरान झामुमो में शिबू सोरेन के बाद दूसरे नंबर पर किसी नेता की गिनती होती थी, तो वो थे सूरज मंडल. इन्होंने पार्टी में मूलवासियों को जोड़ने में अहम भूमिका निभाई थी. लेकिन 1996 में कुछ आंतरिक मामलों को लेकर सूरज मंडल को पार्टी से निकाल दिया गया. उन्होंने ईटीवी भारत को दावे के साथ बताया कि उनके जन्मदिन के मौके पर 2 फरवरी को दुमका में पार्टी का स्थापना दिवस मनाने की शुरूआत हुई थी. उन्होंने कहा कि उनकी जन्म तिथि 2 फरवरी 1949 है. उन्होंने इसकी वजह भी बताई.

सूरज मंडल के मुताबिक जब कर्पूरी ठाकुर जी बिहार के मुख्यमंत्री थे, तब दस आंदोलनकारी नेताओं के पटना जाते वक्त सीसीए लगाकर गिरफ्तार कर भागलपुर जेल में डाल दिया गया था. उन दस लोगों में शिबू सोरेन और सूरज मंडल प्रमुख नेता था. सूरज मंडल ने बताया कि करीब 40-45 दिन बाद हमें जेल से छोड़ा गया. इसी मौके पर दुमका में उनके जन्मदिन पर पार्टी का दूसरा स्थापना दिवस मनाया गया.

सूरज मंडल के दावे पर झामुमो की सफाई:सूरज मंडल के दावे पर झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने क्हा कि सूरज मंडल अब झारखंड की राजनीति में अप्रासंगिक हो गये हैं. इसलिए सुर्खियों में बने रहने के लिए इस तरह के अनर्गल बयान देते रहते है. यह बिना सिर पैर की बात है. उन्होंने कहा कि जिला कमेटी के गठन या पहला सम्मेलन को आधार पर बनाकर स्थापना दिवस मनाने की परंपरा शुरू हुई थी. मनोज पांडेय ने कहा कि अगर सूरज मंडल की वजह से सदान समाज के लोग पार्टी से जुड़े है तो क्या उनके पार्टी से जाने के बाद सदानों ने झामुमो छोड़ दिया है क्या. उनके दावों में कोई दम नहीं है. उन्होंने इसे सिरफिरे का बयान करार दिया. इसका कोई औचित्य नहीं है.

चार जिलों में पार्टी मनाती है स्थापना दिवस:झारखंड मुक्ति मोर्चा संभवत: इकलौती ऐसी पार्टी है जो अलग-अलग तारीख में राज्य के चार अलग-अलग जिलों में स्थापना दिवस मनाती है. इस पार्टी की स्थापना 4 फरवरी 1973 को धनबाद के गोल्फ ग्राउंड में हुई थी. उस वक्त इसके अध्यक्ष थे दिवंगत बिनोद बिहारी महतो. पार्टी की नींव रखने में एके रॉय और शिबू सोरेन की अहम भूमिका थी. बाद में बिनोद बिहारी के निधन के बाद पार्टी की कमान को शिबू सोरेन ने संभाला. 4 फरवरी 1973 को हुई स्थापना के बाद 2 फरवरी 1977 को दुमका में भी पार्टी का स्थापना दिवस मनाया गया. तब से 2 फरवरी को दुमका में स्थापना दिवस मनाने की परंपरा चली आ रही है. इसके अलावा गिरिडीह में 4 मार्च और हजारीबाग में 4 अप्रैल को पार्टी स्थापना दिवस मनाती है.

4 फरवरी को धनबाद में स्थापना दिवस:जहां पार्टी का जन्म हुआ, वहां भी बड़े जुटान की तैयारी है. हालांकि पिछले साल यानी 4 फरवरी 2022 को स्थापना दिवस समारोह में न तो शिबू सोरेन पहुंचे थे और न ही कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन. लेकिन धनबाद में संगठन के स्तर से स्थापना दिवस को ऐतिहासिक रूप से मनाने की तैयारी की जा रही है.

5वीं बार सत्ता में काबिज हुई झामुमो:महाजनी प्रथा के खिलाफ और अलग राज्य के आंदोलन की उपज रही झामुमो पांचवी बार राज्य की सत्ता पर काबिज हुई. थोड़े-थोड़े समय के लिए अलग-अलग दलों के गठबंधन के साथ शिबू सोरेन तीन बार मुख्यमंत्री बने. जबकि 2013 से 2014 तक पहली बार कांग्रेस के समर्थन से हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने. लेकिन 2014 से 2019 तक राज करने वाली भाजपा को जनता ने 2019 के चुनाव में नकार दिया. फिलहाल झारखंड की कमान कांग्रेस और राजद के सहयोग से हेमंत सोरेन के पास है. उन्होंने अपने तीन वर्षों के कार्यकाल में न सिर्फ गठबंधन में बल्कि अपनी पार्टी में गुरुजी के बाद सबसे बड़े नेता के रूप में खुद को स्थापित कर लिया है.

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