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Published : Sep 24, 2022, 10:11 PM IST

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ग्रामीण इलाकों के अस्पतालों में ना चिकित्सक ना पैरा मेडिकल स्टाफ, सिविल सर्जन बोले- कोई जाना ही नहीं चाहता

झारखंड में ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे है (Ranchi rural areas health system Poor). यहां अस्पतालों की बिल्डिंग तो बना दी गई है, लेकिन ज्यादातर में ना चिकित्सक हैं और ना पैरा मेडिकल स्टाफ. जिससे लोगों को कोई सुविधा नहीं मिल पा रही है. अधिकारी भी कुव्यवस्था के आगे मजबूर हैं. इस समस्या की ओर ध्यान खींचने पर सिविल सर्जन ने कहा कि यहां कोई जाना नहीं चाहता.

The condition of the health center built in Sithiyo Basti
ग्रामीण इलाकों के अस्पतालों में चिकित्सक न पैरा मेडिकल स्टाफ

रांचीःझारखंड में ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे है (Ranchi rural areas health system Poor). ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर्स की कमी है. यहां पारा मेडिकल स्टाफ भी न के बराबर ही हैं. जब झारखंड की राजधानी रांची का यह हाल है तब दूसरे जिलों में ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है.

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स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, राजधानी रांची के मांडर विधानसभा क्षेत्र और लापुंग के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर ही तैनात नहीं हैं, जिस वजह से इन क्षेत्रों में रहने वाले गांवों की लाखों की आबादी बेहतर इलाज के लिए तरस रही है. राजधानी रांची में कुल 14 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं तो वहीं 26 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाए गए हैं. सभी का लगभग एक सा ही हाल है. मांडर और लापुंग स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए क्षेत्र के विधायक शिल्पी नेहा तिर्की ने भी राज्य सरकार को सूचित किया है लेकिन अभी तक इसको लेकर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है.

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वहीं राजधानी के धुर्वा से सटे सीठीयों बस्ती की बात करें तो यहां के स्वास्थ्य केंद्र ज्यादातर समय बंद रहते हैं क्योंकि यहां पर भी डॉक्टर नहीं हैं. हमने जब इसको लेकर इस क्षेत्र के ग्रामीणों से बात की तो ग्रामीणों ने अपनी समस्या बताते हुए कहा कि सप्ताह में मात्र 3 से 4 दिन स्वास्थ्य केंद्र खुलते हैं और खुलने का समय भी निर्धारित नहीं है. दवाइयों के संग्रह को लेकर भी ग्रामीणों ने कहा कि स्वास्थ्य केंद्र में पारासिटामोल जैसी साधारण दवाई भी नहीं मिल पाती.
सीठीयो बस्ती में बने स्वास्थ्य केंद्र का हाल दिखाते ईटीवी संवाददाता
इमरजेंसी जैसे हालात में भी ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों को शहर का रूख करना पड़ता है क्योंकि उनके गांवों में बने स्वास्थ्य केंद्र सिर्फ दिखावा हैं, उसके अंदर न तो दवाहे और न ही कोई स्वास्थ्यकर्मी नियुक्त है. बेड़ो और इटकी में बने स्वास्थ्य केंद्र भी बेहतर स्थिति में नहीं हैं, जिस वजह से राजधानी के ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे बड़ी आबादी को सदर अस्पताल या फिर रिम्स के भरोसे रहना पड़ता है.इन स्वास्थ्य केंद्रों में जाना नहीं चाहता स्टाफःग्रामीण क्षेत्रों की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था पर रांची सिविल सर्जन विनोद प्रसाद का कहना है कि डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है. इसके अलावा राजधानी के सुदूर क्षेत्रों में बने स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सक और पारा मेडिकलकर्मी जाना ही नहीं चाहते हैं क्योंकि वहां पर उन्हें बेहतर सुरक्षा मुहैया नहीं है. उन्होंने बताया कि पीएचसी में डॉक्टर और नर्सों की कमी को लेकर विभाग को सूचित कर दिया गया है लेकिन जब तक नए कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हो जाती तब तक ग्रामीण स्वास्थ्य अवस्था को मजबूत करने में समस्या बदस्तूर जारी रहेगी.

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