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7 जनजातीय मुद्दों पर रिसर्च करेगी डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान, 1 साल का होगा अध्ययन समय - Study will be done on three tribal districts in Tribal Welfare Research Institute

डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान इस साल सात जनजातीय मुद्दों पर शोध करेगी. तीन ट्राइबल सब प्लान जिलों के आठ प्रखंडों में खाद्य सुरक्षा, जलवायु से संबंधित कृषि संबंधी प्रभावों पर भी अध्ययन होगा. अन्य विषयों में पूर्वी जनजातीय राजवंशी का ऐतिहासिक अध्ययन होगा. शोध-अध्ययन की अवधि 12 महीने का होगा.

Dr. Ramdayal Munda Tribal Welfare Research Institute
डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान

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Published : Feb 24, 2021, 9:57 AM IST

रांची: डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान ने सात जनजातीय मुद्दों पर वित्तीय वर्ष में शोध कराने का फैसला लिया है. शोध कार्य के लिए विभाग की ओर से टेंडर भी जारी कर दिया गया है. शोध विषयों में चार लघु वन उत्पादों पर स्टडी रिपोर्ट तैयार की जाएगी. इसमें चिरौंजी, इमली, साल बीज और लाह शामिल है. इसके उत्पादन में जनजातीय परिवारों को क्या आर्थिक लाभ हो सकते हैं या हो रहे हैं, इस पर विश्लेषण किया जाएगा.

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पूर्वी जनजातीय विषयों पर होगा अध्ययन

इसके अलावा तीन ट्राइबल सब प्लान जिलों के आठ प्रखंडों में खाद्य सुरक्षा, जलवायु से संबंधित कृषि संबंधी प्रभावों पर भी अध्ययन होगा. अन्य विषयों में पूर्वी जनजातीय राजवंशी का ऐतिहासिक अध्ययन होगा. इसमें नाल, लुंग और भंज जनजातियों पर फोकस रहेगा. इसके अलावा कम संख्या वाले जनजातीय समुदाय बैंगा, बेदिया, चेरो के नृवंश विज्ञान पर भी रिपोर्ट तैयार की जाएगी. इसमें खरवार-भूमिज को भी शामिल किया जाएगा साथ ही जनजातीय फेस्टिवल, गीत-संगीत का भी दस्तावेजीकरण होगा. इसी अध्ययन कार्य में अलग विषयों के रूप में ब्रिटिश बंगाल काल में राजमहल, साहिबगंज इलाके के जनजातीय इतिहास और तेजस्वी योजना से युवतियों और बालिकाओं में हुए सामाजिक और आर्थिक बदलाव का अध्ययन होगा.

12 महीनों तक चलेगा शोध अध्ययन

सातों विषयों के शोध अध्ययन का कार्य 12 माह का होगा. इसमें अध्ययन कार्य से जुड़े लोगों को शोध संस्थान कल्याण विभाग की ओर से राशि का भुगतान किया जाएगा. इस अध्ययन कार्य के लिए मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय, एजेंसी के अलावा विशेषज्ञों को अवसर दिया जाएगा. इसके लिए संस्थान की ओर से मानक भी तय किए गए हैं. इसके तहत पीएचडी, एमफिल, पीजी के अलावा 2 से 3 वर्ष का संबंधित क्षेत्र में अनुभव होना चाहिए. साथ ही स्थानीय भाषा, हिंदी-अंग्रेजी का भी ज्ञान होना चाहिए.

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