रांची: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र की कार्यवाही 23 मार्च को शोर शराबे के बीच अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई. प्रश्नकाल का संचालन शांतिपूर्ण चल रहा था. इसी बीच जानकारी मिली की कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मोदी शब्द के खिलाफ की गई टिप्पणी मामले में सूरत की अदालत ने सजा सुना दी है. फिर क्या था, कांग्रेस के विधायक वेल में आ गये और लोकतंत्र पर हमला करार देते हुए हंगामा करने लगे. कांग्रेस को सत्ताधारी दल झामुमो का भी साथ मिला. गतिरोध के बीच स्पीकर ने पहले 12.30 बजे तक कार्यवाही स्थगित की लेकिन दोबारा फिर हंगामा होने लगा. इसके बाद भोजनावकाश तक कार्यवाही स्थगित हो गई.
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भोजनावकाश के बाद फिर हंगामा होने लगा. शोर शराबे के बीच श्रम मंत्री ने औद्योगिक विवाद (झारखंड संशोधन) विधेयक 2018, झारखंड ठेका मजदूर (विनियमन एवं उन्मूलन) (झारखंड संशोधन) विधेयक 2015, बिहार औद्योगिक ( राष्ट्रीय एवं उत्सव अवकाश और आकस्मिक छुट्टी) (झारखंड संशोधन) विधेयक 2015, झारखंड श्रम विधियां (संशोधन) एवम प्रकीर्ण उपबंध अधिनियम विधेयक 2018, कारखाना (झारखंड संशोधन) विधेयक 2019 को वापस लोने के प्रस्ताव रखा जो बहुमत से स्वीकृत हो गया.
इसी दौरान इटकी ट्यूबरक्लोसिस सैनिटोरियम रेगुलेशन बिल्डिंग संशोधन विधेयक 2023 को स्वास्थ्य मंत्री ने सभा पटल पर रखा, जो पक्ष और विपक्ष के शोरगुल के बीच पारित हो गया. हंगामा शांत नहीं होने पर स्पीकर ने कार्यवाही को 3.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया. इसके बाद भी कांग्रेसी विधायक शांत नहीं हुए. कार्यवाही शुरू होते ही सभी कांग्रेसी विधायक वेल में आ पहुंचे और रिपोर्टिंग टेबल थपथपा कर अपनी नाराजगी जतायी. इस दौरान भाजपा के विधायक भी वेल में आ गये. दोनों तरह से राहुल चोर तो मोदी चोर के नारे लगे.
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स्पीकर रवींद्रनाथ महतो ने गैर सरकारी संकल्पों को लेना शुरू किया. लेकिन सदन में ऑर्डर में नहीं आया. लिहाजा, उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री को अपना वक्तव्य पेश करने को कहा. सीएम ने नियोजन और स्थनीयता पर एक बड़ी बात कही. उन्होंने कहा कि 1932 है और रहेगा. नियोजन और स्थानीयता के मसले पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि शेर का बच्चा हैं, जो लंबी छलांग के लिए दो कदम पीछे आया है.
स्पीकर ने समापन भाषण में कहा कि लंबे अंतराल के बाद हम सब ने मिलकर सदन के समय का जिस तरह सदुपयोग किया है वह आप सबके सहयोग के बिना संभव नहीं था. इस सत्र में कुल 1126 प्रश्न स्वीकृत हुए. इनमें 51 अल्पसूचित और 22 तारांकित प्रश्न का जवाब सदन में मिला. विभागों से 930 प्रश्नों के उत्तर मिले. शून्यकाल में 352 प्रश्न लिये गये. 75 स्वीकृत ध्यानाकर्षण में 34 सूचनाएं ली गईं. इस सत्र के दौरान विनियोग विधेयक सहित कुल छह विधेयक सभी पटल पर रखे गये. इनमें से पांच विधेयक पारित हुए और एक यानी मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट को विचारोपरांत प्रवर समिति को भेजा गया. उन्होंने कहा कि पूंजीगत व्यय में हो रही वृद्धि बता रही है कि विकास को लेकर सरकार कितनी गंभीर है.