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सरकार गिराने की साजिश जैसे गंभीर मामले में क्यों नहीं हुआ प्रेस कॉन्फ्रेंस, उठ रहे हैं सवाल

झारखंड में हेमंत सरकार गिराने की साजिश जैसे गंभीर मामले में पुलिस की तरफ से कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं किए जाने पर सवाल उठ रहे हैं. सवाल यह है कि इतना बड़ा मसला हो गया और पुलिस की तरफ से सिर्फ प्रेस रिलीज जारी कर पल्ला झाड़ लिया गया.

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Published : Jul 24, 2021, 10:36 PM IST

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झारखंड सरकार को गिराने की साजिश

रांची:झारखंड में झामुमो-कांग्रेस महागठबंधन की सरकार गिराने की साजिश को लेकर कोतवाली पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा दिया. शनिवार की दोपहर कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद पुलिस ने अप्राथमिक अभियुक्त अभिषेक कुमार दुबे, अमित सिंह और निवारण प्रसाद महतो को जेल भेजा. लेकिन, इतने बड़े मामले में रांची पुलिस की तरफ से सिर्फ एक प्रेस रिलीज जारी कर पूरे मामले से पल्ला झाड़ लिया गया.

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सरकार के खिलाफ साजिश, पुलिस का कोई बड़ा अधिकारी बात करने नहीं आया सामने

पूरे मामले में सबसे हैरान कर देने वाली बात यह है कि तीन लोगों को सरकार के खिलाफ साजिश करने के आरोप में राजद्रोह समेत कई धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कर जेल भेजा गया लेकिन इस मामले में झारखंड पुलिस का कोई भी बड़ा अधिकारी पूरे दिन कुछ भी कहने से बचता रहा. देर शाम एक प्रेस रिलीज जारी कर मामले की जानकारी दी गई लेकिन वह भी पूरी नहीं. सवाल यह है कि तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी कहां से हुई, तीनों का व्यापार क्या है और वह किस तरह से सरकार के खिलाफ साजिश में लगे हुए थे. यह तय है कि अगर सरकार के खिलाफ साजिश रची गई थी तो उसमें मात्र तीन व्यक्ति नहीं होंगे, जबकि पुलिस के द्वारा जारी किए गए प्रेस रिलीज में सिर्फ 3 लोगों को आरोपी बनाया गया है.

आरोपियों के पास से बरामद रुपए.

क्या है प्रेस रिलीज में ?

रांची पुलिस के द्वारा जारी किए गए प्रेस रिलीज में यह लिखा गया कि पकड़े गए लोगों से पूछताछ के क्रम में उन्होंने यह बात स्वीकार किया है कि वे लोग राजनीतिक लोगों से संपर्क कर नकद राशि उपलब्ध कराने की कोशिश में थे. लेकिन रिलीज में ये कहीं भी नहीं है कि आखिर वह कौन लोग थे जो लोग सरकार को नुकसान पहुंचाना चाहते थे. इसमें यह भी लिखा गया है कि तीनों आरोपियों ने अपने स्वीकृति बयान में सरकार के खिलाफ साजिश करने और सरकार को गिराने की साजिश में अपनी संलिप्तता को भी स्वीकार किया है.

दिनभर प्रेस कॉन्फ्रेंस की खबर हवा में तैरती रही

पूरे मामले को लेकर जिस तरह से राजधानी में हलचल थी उसे देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा था कि पुलिस मुख्यालय के तरफ से इस मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूरे मामले की जानकारी दी जाएगी. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. किसी तरह की प्रेस कॉन्फ्रेंस पुलिस के तरफ से नहीं की गई.

पुलिस की तरफ से जारी प्रेस रिलीज.

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कांग्रेस विधायक अनूप सिंह ने दर्ज कराई थी एफआईआर

बेरमो विधायक अनूप सिंह ने बताया कि बीते कुछ महीनों से उन्हें सरकार को अस्थिर करने की सूचनाएं मिली थीं. अनूप सिंह के बयान के मुताबिक, कई विधायकों की छवि धूमिल करने की कोशिश भी की जा रही थी. उन्हें सूचना मिली थी कि अलग-अलग जगहों से कुछ लोग राजनीतिक षड्यंत्र को अंजाम देने के लिए रांची में आकर कैंप किए हुए हैं. हवाला के जरिए भी बड़े पैमाने पर लेन देन की सूचना मिली थी. अनूप सिंह ने पुलिस को बताया है कि सतारूढ़ दल के विधायकों के खरीद फरोख्त के लिए और लेन देन के लिए बातचीत चल रही है ताकि कुछ विधायकों को प्रलोभन देकर सरकार गिराई जा सके. विधायक ने कोतवाली थाने में दर्ज एफआईआर में बताया है कि उन्हें जानकारी मिली थी कि छद्म नाम से कुछ रसूखदार और फाइनेंसर ठहरे हुए हैं. साथ ही उनके द्वारा विधायकों से संपर्क किया गया है.

राजद्रोह समेत अन्य धाराओं में एफआईआर

कोतवाली थाने में अनूप सिंह की शिकायत पर ही होटल लीलैक में छापेमारी की गई. पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ राजद्रोह की धारा के साथ-साथ आईपीसी की धारा 419, 420, 124 ए, 120 बी, पीपुल्स रिप्रेजेंटेशन एक्ट, पीसी एक्ट समेत अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज की है. केस की जांच दारोगा कमलेश राय को दी गई है.

क्या-क्या बरामदगी?

गिरफ्तार आरोपियों के पास से पुलिस ने विधायकों से बातचीत में इस्तेमाल संबंधी मोबाइल, स्थानीय विधायकों के साथ दिल्ली यात्रा की टिकट, दो लाख रुपए की नकदी बरामद की गई है.

पुलिस का क्या है दावा ?

झारखंड सरकार को गिराने की साजिश और विधायकों की खरीद फरोख्त के मामले में पर्याप्त साक्ष्य होने का दावा रांची पुलिस ने किया है. केस के अनुसंधानक कमलेश राय ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी को दिए आवेदन में दावा किया है कि गिरफ्तार आरोपी अभिषेक दुबे, अमित सिंह और निवारण प्रसाद महतो के खिलाफ आरोप पत्र दायर करने लायक साक्ष्य है. पुलिस ने कोर्ट को बताया कि अभियुक्तों के द्वारा विधि द्वारा स्थापित राज्य सरकार को गिराने के प्रयत्न किए गए थे. इनके कई साथी घटनास्थल से भी सामान छोड़कर भागे हैं, जिन्हें पुलिस ने विधिवत जब्त किया है. अभियुक्तों के कबूलनामे का दावा भी पुलिस ने किया है. होटल ली लैक की सीसीटीवी जब्त कर इसे कोर्ट के समक्ष भी प्रस्तुत किया गया है.

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खरीद फरोख्त विवाद में राजनीति तेज, भाजपा नेताओं ने ली सोशल मीडिया पर चुटकी

झारखंड में सरकार गिराने की साजिश रचने को लेकर पुलिसिया खुलासे पर भाजपा नेताओं ने सोशल मीडिया पर चुटकी ली है. गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने शनिवार को ट्वीट कर लिखा कि-"अब तो दो लाख में चार आदमी मिलकर झारखंड में विधायक खरीद रहे हैं. झारखंड में विधायकों की कीमत क्या मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी ने 10 हजार लगा दिया. बकरीद में तो बकरे की कीमत इससे कई गुना ज्यादा है. धन्य मुख्यमंत्री, धन्य विधायक, धन्य पुलिस".

निशिकांत के ट्वीट पर बाबूलाल का जवाब

निशिकांत दुबे की ट्वीट पर ही बाबुलाल मरांडी ने रीट्वीट पोस्ट किया है. पोस्ट के जरिए उन्होंने सरकार पर कटाक्ष करते हुए लिखा है-"अंधेर नगरी चौपट राजा. मालिक अगर अंधा हो जाए तो बिल्लियां थाली में साथ खायेंगी ही". वहीं बाबूलाल मरांडी के राजनीतिक सलाहकार सुनील तिवारी ने भी लिखा है कि-"आज अचानक इंतजार अली याद आ गए. चंद मेडलों की खातिर पुलिस उन्हें आतंकी साबित करन पर तुली थी. आज मामूली फल दुकानदार, ठेका मजदूरो को विधायक का खरीदार बताया जा रहा है. प्लॉटिंग थ्योरी से बाहर निकले पुलिस. इंतजार अली की तरह इस केस की भी सच्चायी सामने आएगी और आनी भी चाहिए".

निशिकांत दुबे ने बाबूलाल मरांडी के ट्वीट को रीट्वीट किया.

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