राज्यसभा में सांसद दीपक प्रकाश रांची: झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष सह राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश ने शुक्रवार को राज्यसभा में यह पूछा कि झारखंड में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए विगत तीन वर्षों के पीएम केएसवाई यानी किसान संपदा योजना के अंतर्गत कितनी धन राशि आवंटित की गई है और उसमें कितनी धनराशि खर्च हुई है.राज्यसभा में उठे प्रश्नों का उत्तर देते हुए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि गत तीन वर्षों में मंत्रालय द्वारा जारी किए गए विज्ञापनों के उत्तर में झारखंड से खाद्य प्रसंस्करण सुविधाएं स्थापित करने का कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है.
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उन्होंने बताया कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय इससे संबंधित सुविधाओं की स्थापना हेतु अनुदान सहायता के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना यानी पीएम केएस वाई की विभिन्न योजनाएं कार्यान्वित कर रहा है. केंद्रीय राज्यमंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के अंतर्गत सभी उपयोजनाएं मांग संचालित हैं जिनमे समय समय पर जारी की गई अभिरुचि की अभिव्यक्ति के माध्यम से इच्छुक व्यक्तियों या संस्थाओं से प्रस्ताव आमंत्रित किए जाते हैं.
राज्यसभा में सांसद आदित्य साहू झारखंड में गैर मजरूआ जमीन की अवैध खरीद बिक्री से गुंजा राज्यसभा: भाजपा प्रदेश महामंत्री एवं राज्यसभा सदस्य आदित्य साहू ने राज्यसभा में सत्ता के संरक्षण में पदाधिकारियों की मिलीभगत से दलालों एवं बिचौलियों के द्वारा की जा रही लूट, कब्जा का मामला शून्यकाल में उठाया. आदित्य साहू ने कहा कि जल, जंगल और जमीन की बात करने वाली वर्तमान झारखंड सरकार में आज खान खनिज और बालू के साथ सरकारी जमीन की लूट मची है. झारखंड जमीन के अवैध कारोबार का केंद्र बन गया है. उन्होंने कहा कि एक तरफ दबंगों के द्वारा दलितों, आदिवासियों की जमीन लूटी जा रही है, वहीं सरकारी गैर मजरुआ जमीन की धड़ल्ले से बंदोबस्ती की जा रही है. इन मामलों में जमीन दलाल, बिचौलियों के साथ राज्य सरकार के अधिकारी भी शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 3 लाख 62 हजार 867 एकड़ सरकारी जमीन की अवैध जमाबंदी की गई है. जिलावार जो आंकड़े हैं उसमें बोकारो जिला अवैध जमाबंदी में संख्या की दृष्टि से सबसे आगे है. जिसमें 50622 मामले दर्ज हैं. इस प्रकार देखा जाए तो राज्य में अवैध जमाबंदी के 1.75 लाख मामले निपटारे के लिए सरकारी कार्यालयों में दर्ज हैं लेकिन राज्य सरकार गंभीर नहीं है. जो आंकड़े है उसमें अबतक मात्र 6711 मामलों का निष्पादन ही हो सका है. ऐसा लगता है सरकार दलालों और बिचौलियों को बचाने के लिए मामलों में शिथिलता बरत रही है.