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सहारा इंडिया कंपनी के खिलाफ प्रदर्शन, दर्ज कराई एफआईआर

सहारा इंडिया कंपनी के खिलाफ शुक्रवार को उपभोक्ताओं ने डोरंडा थाने में प्रदर्शन किया (Protest against Sahara India in Ranchi). इस दौरान लोगों ने कंपनी के खिलाफ नारेबाजी की. साथ ही कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई.

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सहारा इंडिया कंपनी के खिलाफ प्रदर्शन

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Published : Oct 14, 2022, 6:43 PM IST

रांची:सहारा इंडिया कंपनी के खिलाफ शुक्रवार को उपभोक्ताओं ने डोरंडा थाने में प्रदर्शन किया (Protest against Sahara India in Ranchi). प्रदर्शन कर रहे कांग्रेस नेता आलोक दुबे ने कहा कि सहारा इंडिया कंपनी ने लोगों के साथ ठगी की है. कांग्रेस नेता आलोक दुबे के नेतृत्व में थाने पहुंचे करीब 50 से ज्यादा लोगों ने कंपनी के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई.

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कांग्रेस नेता आलोक दुबे ने बताया कि लोग अपनी पूंजी को जमा कर सहारा इंडिया को देते थे, ताकि विपरीत परिस्थिति में वह अपने पैसे को निकाल सकें. लोगों के पैसे लेने का समय आया और सारे प्रीमियम मैच्योर हुए तो अब कंपनी में बैठे अधिकारी और पदाधिकारी लोगों को वापस कर रहे हैं.

आलोक दुबे का बयान
थाने में प्रदर्शन कर रहे पीड़ित लोगों ने बताया कि उपभोक्ताओं का पैसा अचानक से रोक दिया गया, जिसको लेकर पूरे राज्य और देश के लोगों में काफी आक्रोश देखा जा रहा है. इसी को लेकर डोरंडा थाने पहुंचे लोगों ने थाना परिसर में नारेबाजी की. लोगों ने अपने आक्रोश को जाहिर करते हुए मांग की है कि हमारा पैसा जल्द से जल्द वापस हो, इसके लिए प्रशासन और सरकार कंपनी से जुड़े लोगों पर कार्रवाई कर लोगों की मदद करे. बता दें कि राजधानी रांची में पिछले 2 दिनों से सहारा इंडिया के खिलाफ लोग लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.

बता दें कि सहारा इंडिया की विभिन्न योजनाओं में झारखंड के तकरीबन ढाई लाख से भी ज्यादा लोगों के लगभग 3 हजार करोड़ रुपये फंसे हैं. जमा योजनाओं की पॉलिसी मैच्योर्ड होने के बाद भी लगभग दो वर्ष से भुगतान पूरी तरह बंद है. राज्य के अलग-अलग इलाकों में स्थित सहारा के दफ्तरों में हर रोज बड़ी तादाद में पॉलिसी की राशि के भुगतान की मांग लेकर पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ रहा है.

रांची, हजारीबाग, रामगढ़, बेरमो, बोकारो, धनबाद, जमशेदपुर सहित कई शहरों में निवेश करने वाले लोगों ने सहारा के दफ्तरों के बाहर प्रदर्शन भी किया है, लेकिन इन शाखाओं के प्रबंधकों और कर्मियों के पास कोई जवाब नहीं है. कंपनी के लिए काम करने वाले 60 हजार से भी ज्यादा कर्मी हर रोज हो रहे हंगामों से परेशान हैं. निवेशकों का कहना है मैच्योरिटी की राशि का भुगतान न होने से किसी का इलाज के अभाव में निधन हो गया तो किसी के बच्चों की पढ़ाई से लेकर शादी तक रुक गई.

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