रांची:23 अगस्त 2023 की शाम इसरो ने स्पेस रिसर्च में जो मुकाम हासिल किया, उसको कभी नहीं भुलाया जा सकता. इसका हिस्सा रहे प्रोफेसर राधाकांत पाढ़ी ने कहा कि चंद्रयान-2 की लैंडिंग के वक्त हुई गलतियों से सबक लेते हुए चार फेज में लैंडर को उतारा गया. कैसे कैमरे की मदद ली गई, कैसे नेविगेशन, मास, एस्कलेशन और वेलोसिटी का कैल्कुलेशन किया गया. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए बताया कि चंद्रयान पर कई तरह के मिनरल्स के साक्ष्य मिले हैं. जहां तक इंसान को चांद पर भेजने की बात है तो इसके जानकारी इसरो ही दे सकता है. हमारे देश के हिसाब से गगनयान मिशन बहुत इंपोर्टेंट है.
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चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर 'विक्रम' की सॉफ्ट लैंडिंग सबसे बड़ी चुनौती थी. काउंट डाउन शुरू होने पर पूरे देश की धड़कन थम सी गई थी. दुआओं का दौर चल रहा था. लेकिन इसरो की टीम कांफिडेंट थी. हुआ भी वैसा ही. चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग के साथ ही इसरो का हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. उसकी आवाज पूरी दुनिया तक पहुंची. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करने वाला भारत न सिर्फ दुनिया का पहला देश बना बल्कि अमेरिका, रूस और चीन के बाद चांद पर पहुंचने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया. गौरव के इस लम्हे को इसरो के चीफ डॉ एस.सोमनाथ ने अपने सभी टीम हेड के साथ साझा किया.
इस मिशन में कई ऐसे लोग भी जुड़े थे, जिनसे शायद आप वाकिफ न हों. उस लिस्ट में एक नाम है प्रो. राधाकांत पाढ़ी का. इन्होंने विक्रम के सॉफ्ट लैंडिंग में अहम भूमिका निभाई थी. वह जब रांची के सरला बिरला विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में पहुंचे तो उनका गर्मजोशी से स्वागत हुआ. उन्होंने ग्राफिक्स के जरिए बारीकी से बताया कि सॉफ्ट लैंडिंग में उनकी क्या भूमिका थी.