रांची: सांसद संजय सेठ ने हेमंत सरकार पर केंद्र की मोदी सरकार की योजनाओं को जानबूझकर लटकाने का आरोप लगाया है. अपने कार्यालय में मीडिया कर्मियों से बात करते हुए रांची सांसद ने कहा कि केंद्र सरकार दोनों हाथ खोल कर झारखंड के विकास के लिए पैसे दे रही है. लेकिन, राज्य सरकार उसे खर्च करने के बजाए उल्टे मोदी सरकार पर झूठा आरोप लगा रही है. उन्होंने जल जीवन मिशन के तहत भारत सरकार के द्वारा झारखंड में चलाई जा रही योजनाओं में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी होने का आरोप लगाया.
रांची सांसद संजय सेठ ने हेमंत सरकार के कामकाज पर उठाए सवाल, केंद्र पर दोष मढ़ने के बजाय अपनी कार्यशैली सुधारने की दी नसीहत - jharkhand politics
रांची सांसद संजय सेठ ने झारखंड सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने झारखंड सरकार पर केंद्र की योजनाओं को लटकाने का आरोप लगाया है. साथ ही कई योजनाओं में गड़बड़ी की बात भी बताई है.
रांची सांसद ने कहा कि केंद्र के द्वारा झारखंड को 10,000 करोड़ रुपए दिए गए हैं, जिसमें राज्य सरकार मात्र 3000 करोड़ रुपए ही खर्च कर पाई है. सोचने वाली बात है कि 70 फीसदी राशि खर्च नहीं होने पर आखिर किस मुंह से राज्य सरकार के नुमाइंदे भारत सरकार पर आरोप लगाते हैं.
इसके अलावा संजय सेठ ने इस योजना के तहत हो रही बोरिंग की गहराई पर सवाल उठाते हुए कहा है कि क्षेत्र भ्रमण के दौरान उनके पास कई तरह की शिकायतें आई हैं. जिसमें कहीं 50 फीट तो कहीं 100 फीट पर बोरिंग करके सरकारी पैसे का दोहन किया जा रहा है. ऐसे में समझा जा सकता है कि 2024 में हर घर में नल जल योजना के तहत शुद्ध पानी पहुंचाने का मोदी सरकार का लक्ष्य कैसे पूरा होगा. केंद्र की इस तरह की योजना का नोडल राज्य होता है और राज्य पर जिम्मेदारी होती है कि ससमय काम पूरा करे. मगर लगता नहीं है कि ये काम समय पर पूरे हो सकेंगे.
झारखंड में पीएम कुसुम योजना का है खस्ताहाल-सांसद:भाजपा सांसद संजय सेठ ने कहा कि हर घर नल जल योजना के अलावा राज्य में चलाई जा रही पीएम कुसुम योजना का भी खस्ताहाल है. इस योजना के तहत किसानों को ऊर्जा और पानी की गारंटी दी जाती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए यह योजना लाई थी. इसके तहत 36 करोड़ की लागत से झारखंड में 36000 योजनाओं की स्वीकृति दी गई. लेकिन दुर्भाग्य है कि इस राज्य में 12000 योजनाओं पर ही काम हो पाया. राज्य सरकार की लापरवाही कहें या अनदेखी, जिसकी वजह से केंद्र की इस तरह की कई योजनाएं अब तक लंबित पड़ी हुई है.