रांची:झारखंड कैडर की सीनियर आईएएस अफसर पूजा सिंघल सुर्खियों में हैं. मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनपर ईडी का शिकंजा कसता जा रहा है. 6 मई को उनके रिश्तेदारों समेत सीए सुमन के तमाम ठिकानों पर छापेमारी हुई थी. इस दौरान उनके सीए के घर से 17.49 करोड़ और सीए के ऑफिस से 29.70 लाख रुपए बरामद हुए थे. इस मामले में सुमन कुमार को रिमांड पर लिया जा चुका है जबकि कई अन्य से पूछताछ चल रही है. अभी तक पूजा सिंघल के पति अभिषेक झा को पूछताछ के लिए दो दिन ईडी ऑफिस बुलाया जा चुका है. अब पूजा सिंघल की बारी है. इस मामले में ईडी तेजी से अपना काम कर रही है. दूसरी तरफ यह मामला राजनीति के गलियारे में भी गुलाटी मारने लगा है.
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इस मामले में तीन दिन के भीतर निर्दलीय विधायक सरयू राय जांच एजेंसियों को दो सुझाव दे चुके हैं. उनका कहना है कि सुमन कुमार ने कुछ समय पहले पूजा-अभिषेक के सीए का काम छोड़ दिया था. तबसे अबतक कौन सीए इनका वित्त प्रबंधन कर रहे हैं ? इनपर भी जांच एजेंसियों की नजरें इनायत हो तो इस प्रकरण के नये आयाम सामने आ सकते हैं, नये खुलासे हो सकते हैं. यह लिखते हुए सरयू राय ने सीएम हेमंत सोरेन और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश को टैग भी किया है. इससे पहले उन्होंने रेड के दिन एक ट्वीट किया था. उन्होंने लिखा था ईडी जांच का विस्तार मनरेगा के साथ-साथ मोमेंटम झारखंड तक जाए तो सरकारी धन पर विदेश की सैर करने वाले टुनटुनों-बिट्टुओं की करामात के हिसाब-किताब का कच्चा चिट्ठा खुल जाए. केवल ईडी ही क्यों ? एसीबी भी तो अपना दायित्व निभाए, पेंडिंग मामले निपटाए.
इस पूरे प्रकरण में प्रदेश भाजपा भी कूद पड़ी है. पूजा सिंघल के ठिकानों पर रेड के एक दिन बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दीपक प्रकाश से जब पूछा गया था कि पूजा सिंघल को पूर्ववर्ती रघुवर सरकार में भी रसूखदार स्थिति में थी. क्या उस पीरियड की जांच नहीं होनी चाहिए. जवाब में दीपक प्रकाश ने पूजा सिंघल के पूरे कार्यकाल की ईडी से जांच कराने की मांग कर दी थी.
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सबसे खास बात है कि इस मामले में सत्ताधारी दल झामुमो का आरोप है कि खुद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष खुलकर कह चुके हैं कि ईडी हमारी एजेंसी है. क्योंकि वह केंद्र सरकार के अधीन है. सुप्रीयो भट्टाचार्य आरोप लगा चुके हैं कि पूजा सिंघल से जुड़े जब्त राशि मामले में सीएम का नाम घसिटने की साजिश रची जा रही है. वह यहां तक कह चुके हैं कि पूरा मामला पूर्ववर्ती भाजपा सरकार से जुड़ा है. लेकिन इसको ताजा राजनीतिक घटनाक्रम से जोड़कर पेश करने की कोशिश की जा रही है.
सुप्रीयो भट्टाचार्य का कहना है कि जिस मामले की जांच ईडी कर रही है उसकी जांच के लिए विधानसभा की एक कमेटी बनी थी, जो चतरा गई थी. कमेटी ने गड़बड़ झाले का प्रतिवेदन सौंपा था. उस वक्त बाबूलाल मरांडी ने भी खूंटी में हुई अनियमितता की शिकायत की थी. तब अर्जुन मुंडा सरकार ने 2012 में जांच कमेटी बनायी थी. फिर 2016 में तत्कालीन कार्मिक सचिव निधि खरे ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मनरेगा में भारी अनियमितता है. इसके लिए पूजा सिंघल दोषी हैं. फिर 2016 में हुए एग्रीकल्चर समिट के दौरान भी कई गड़बड़झाला हुआ था. उस वक्त एक विशेष कमेटी एपी सिंह के नेतृत्व में बनी थी. उस कमेटी ने उन्हें दोषमुक्त करार दिया था. बाद में रघुवर सरकार ने उन्हें प्रोन्नति दी थी. लेकिन इससे पहले ही 2014 में हाईकोर्ट ने मनरेगा मामले में दर्ज पीआईएल के अनुसंधान का जिम्मा ईडी को सौंप दिया था. झामुमो का कहना है मोमेंटम झारखंड और एग्रीकल्चर समिट की जांच को दबाने के लिए इस तरह की कार्रवाई की जा रही है.
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इस मामले में गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दूबे सबसे ज्यादा दिलचस्पी लेते दिख रहे हैं. वह सरकार और सीएम पर तंज कसने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. उन्होंने ही सबसे पहले 6 मई को नोटों के बंडल की तस्वीर जारी कर कहा था कि पूजा सिंघल के ठिकानों से ईडी ने 17 करोड़ जब्त किए हैं. 7 मई को उन्होंने ट्वीट किया था कि आज नहीं, कल नहीं लेकिन ये तय है कि एक दिन झारखंड के मुख्यमंत्री को जेल में भेजा जाएगा. वह अपने ट्वीट के जरिए यहां तक कह चुके हैं कि अगर हेमंत सोरेन और बसंत सोरेन की सदस्य जाएगी तो सीता सोरेन राज्य की मुख्यमंत्री बनेंगी फिर पीछे से भ्रष्टाचार जारी रहेगा.
पूरा मामला मनरेगा में वित्तीय गड़बड़ी से जुड़ा है. खूंटी में मनरेगा घोटाले को लेकर 18 सितंबर 2010 को 10.16 करोड़ की अनियमितता का मामला खूंटी थाने में दर्ज हुआ था. तब पूजा सिंघल वहां की डीसी थी. उस मामले में 16 प्राथमिकी दर्ज हुई थी. इसी आधार पर ईडी ने ECIR NO.PAT/14/2012 रिकॉर्ड किया था. आगे जाकर विजिलेंस कोर्ट में चार्जशीट फाइल हुई थी. इस मामले में 18 करोड़ 76 लाख 144 रुपए के फर्जीवाड़े का आरोप लगा था. बाद में जेई राम विनोद सिन्हा को बर्खास्त कर दिया गया था. साल 2020 तक उसकी 4.25 करोड़ की संपत्ति जब्त की जा चुकी थी. इस मामले में गिरफ्तार खूंटी जिला परिषद के जूनियर इंजीनियर राम विनोद सिन्हा ने ईडी को कहा था कि उसने जिला प्रशासन को 5 प्रतिशत कमिशन दिया था. इसी आधार पर जांच की सूई पूजा सिंघल की तरफ घूम गई थी. आपको बता दें कि 2007 से 2013 के बीच चतरा, खूंटी और पलामू में डीसी रहते हुए पूजा सिंघल पर गड़बड़ी के कई आरोप लगे थे. इस फेज में पूजा सिंघल और उनके पति अभिषेक झा के खाते में 1.43 करोड़ जमा हुए थे.