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साइबर अपराधियों के झारखंड मॉड्यूल से परेशान पुलिस, इंजीनियरिंग कर दरोगा बने पुलिस कसेंगे नकेल

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Published : Nov 16, 2019, 9:19 PM IST

Updated : Nov 17, 2019, 7:28 PM IST

झारखंड में बढ़ती साइबर अपराध से पूरी देश की पुलिस परेशान है. पुलिस ने पिछले तीन साल में 1200 साइबर अपराधी पकड़े है, लेकिन अपराध की घटनाओं में कमी लाने में असफल रहें है. वहीं, इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर दरोगा बने पुलिस इन घटनाओं पर लगाएंगे लगाम.

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रांची: नक्सलवाद का दंश झेल रहा झारखंड में साइबर अपराधी भी पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन कर उभरे है. साइबर अपराधी तकनीक की मदद से लोगों की खून-पसीने की कमाई पर डाका डाल रहे है. इंटरनेट और साइबर तकनीक को साध कर साइबर अपराधी देश में कहीं भी बैठे व्यक्ति को झांसे में लेकर उसके बैंक अकाउंट से रकम को साफ कर देते है.

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साइबर अपराधियों का जामताड़ा मॉड्यूल देशभर के पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है. झारखंड के देवघर, गिरिडीह, धनबाद और रांची में भी साइबर अपराधियों ने अपना ठिकाना बना लिया है. अपराधी यहीं से बैठकर देशभर के लोगों के पैसे गायब कर रहे है.

3 साल में 1200 साइबर अपराधी हो चुके है गिरफ्तार
झारखंड के छह जिले जामताड़ा, दुमका, देवघर, गिरिडीह, धनबाद और साइबर थाना रांची में मार्च 2016 से सितंबर 2019 तक कुल 1200 साइबर अपराधी गिरफ्तार किए जा चुके है. उस दौरान कुल 880 कांड दर्ज हुए है, जिसमें केवल 190 कांडों का ही निष्पादन हो सका है.

पुलिस के सामने समस्या यह है कि वे चार अपराधी को पकड़कर सलाखों तक भेजती नहीं कि 10 नए अपराधी सक्रिय हो जाते है. ऐसे में साइबर अपराध का आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है. साइबर अपराध और इसके अपराधियों के विरुद्ध विधिसम्मत कार्रवाई के लिए मार्च 2016 में साइबर थाना रांची की शुरुआत हुई. अब तो जामताड़ा, धनबाद, गिरिडीह जैसे शहरों में भी साइबर थाना खोल दिया गया है. इन सबके बावजूद साइबर अपराधियों पर लगाम लगाने की सारी कोशिश बेकार साबित हो रही है.

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2.80 करोड़ रुपये फ्रीज करवाए, 88.65 लाख नकद हुए बरामद
साइबर अपराधियों के खिलाफ अभियान में झारखंड पुलिस ने अब तक दो करोड़ 80 लाख 50 हजार रुपये फ्रीज करवाकर भुक्तभोगी को वापस करवा चुके है. इतना ही नहीं, 88 लाख 65 हजार 450 रुपये नकद भी बरामद किए गए है. इसके अलावा भारी संख्या में एटीएम कार्ड, मोबाइल, पैन कार्ड, पेन ड्राइव, ग्रीन कार्ड, पीओएस मशीन, एटीएम क्लोनर डिवाइस, पासबुक, आधार कार्ड भी बरामद हो चुके है, लेकिन अपराध नहीं थमा है. झारखंड पुलिस के डीजीपी कमल नयन चौबे के अनुसार झारखंड लगातार विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है, जैसे-जैसे राज्य में आर्थिक प्रगति बड़ी है उसी तर्ज पर यहां आईटी से जुड़े अपराधों में बढ़ोतरी हुई है. झारखंड पुलिस सरकार के मदद से इस बड़ी समस्या पर काबू पाने की कोशिश कर रही है.

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नए दारोगा से मुख्यालय को बड़ी उम्मीद
सरकार ने 1994 के बाद पहली बार 2504 पुलिस अवर निरीक्षकों की नियुक्ति की है. जिसमें 2296 परूष और 210 महिला सब इंस्पेक्टर शामिल है. सब-इंस्पेक्टर का प्रशिक्षण पानेवालों में 256 बीटेक और 9 एमटेक डिग्रीधारी भी शामिल है. झारखंड पुलिस के आईजी सह साइबर अपराध के नोडल अधिकारी नवीन सिंह के अनुसार साइबर अपराध रोकने के लिए नए बहाल सब इंस्पेक्टर बेहद कारगर होंगे. उनमें से अधिकांश बीटेक डिग्री धारी हैं. थोड़ी ट्रेनिंग के बाद नए सब इंस्पेक्टर साइबर अपराध को रोकने में काफी कारगर साबित होंगे.

हर दिन नई तकनीक का कर रहें इस्तेमाल
हाल के दिनों में झारखंड में कई ऐसे मामले सामने आए है, जिसमें साइबर अपराधी वन टाइम पासवर्ड के जरिए लोगों के खाते से पैसे उड़ा रहे है. नई तकनीक में साइबर अपराधी कुछ खास नंबरों को निशाना बनाते है. साइबर अपराधी पहले अपने शिकार का रेकी करते है, फिर उनके एटीएम और क्रेडिट कार्ड का डिटेल्स निकाल लेते है. उसके बाद वे अपने शिकार के नंबर पर ओटीपी पासवर्ड भेजते है. पासवर्ड पहुंचते ही अपराधी तुरंत उस नंबर पर कॉल कर यह कहते है कि उनके फोन नंबर के आखिरी डिजिट में एक अंक का अंतर है और गलती से ओटीपी उनके नंबर पर चला गया है. साइबर अपराधी झांसे में लेकर ओटीपी नबंर हासिल कर लेते है और थोड़े ही देर में एकाउंट से पैसे उड़ा लेते है.

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बैंक की वेबसाइट करते हैं हैक
साइबर अपराधियों ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया समेत कई राष्ट्रीकृत बैंकों की वेबसाइटों पर कब्जा कर रखा है. वेबसाइट के जरिए उनकी पहुंच हेल्पलाइन नंबर और ऑनलाइन कंप्लेंट फोरम तक भी है. टॉल फ्री नंबर और ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराने वालों और इन्क्वायरी करने वालों के खाते की जानकारी हासिल कर लेते है. साइबर विशेषज्ञों के मुताबिक साइबर अपराधी बैंकों की वेबसाइट हैक कर डाटा की चोरी कर रहे है.

साइबर अपराधी किसी भी वेबसाइट को हैक कर सकते है. इसके लिए वे लूप होल की तलाश करते है. इसके लिए पैन-टेस्टिंग करते है. पैन टेस्टिंग के जरिए संबंधित वेबसाइट की बैकडोर लूप, फायरवाल की स्थिति, स्क्रिप्ट डेटा समेत अन्य खामियों का पता लगा लेते है. इसके बाद वेबसाइट हैक कर संबंधित डेटा और विवरण का दुरुपयोग करते है. ऐसे कई मामले सामने आए है, जिसमें वेबसाइट में दर्ज डेटा को भी छेड़छाड़ कर डिस्पले करते है.

नकेल के लिए बड़ी योजना पर काम कर रही पुलिस
झारखंड में साइबर अपराध रोकने के लिए बड़ी योजना तैयार की गई है. साइबर अपराध प्रभावित जिलों में आईटी विभाग की मदद से कार्रवाई की योजना राज्य पुलिस मुख्यालय ने तैयार की है. राज्य के जामताड़ा, देवघर, गिरिडीह, धनबाद और रांची सर्वाधिक साइबर अपराध प्रभावित है. इन जिलों में स्पेशल टास्क फोर्स के जरिए साइबर अपराधियों पर कार्रवाई की जा रही है.

साइबर अपराध के लिए बदनाम होते झारखंड को बदनामी से बचाने के लिए राज्य सरकार ने आदेश दिया था कि साइबर अपराध प्रभावित जिलों में लगातार अभियान चलाकर साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया जाए, साथ ही उनके ठिकानों को नष्ट किया जाए. सरकार के आदेश के बाद पुलिस मुख्यालय के स्तर पर साइबर अपराध पर लगाम लगाने की कवायद शुरू हुई है. जिसके नतीजे का सभी को इंतजार है. साइबर अपराध रोकथाम के नोडल अफसर आईजी नवीन कुमार सिंह के अनुसार पुलिस लगातार साइबर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है और इस पर रोकथाम के लिए प्रयासरत है.

Last Updated : Nov 17, 2019, 7:28 PM IST

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