जानकारी देते संवाददाता उपेंद्र रांचीः झारखंड में अनुबंधित एनएचएम नर्सों के साथ साथ पारा मेडिकलकर्मी भी 16 जनवरी से हड़ताल पर हैं. इन पारा मेड़िकलकर्मियों में राज्य के हर जिला अस्पताल में सेवारत फिजियोथेरेपिस्ट भी शामिल हैं. फिजियोथेरेपिस्टों की हड़ताल की वजह से जिला अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है.
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इन बीमारियों के इलाज में बेहद कारगर होती है फिजियोथेरेपीः दुर्घटना के बाद कई प्रकार की हड्डी के आपरेशन के बाद मरीजों की रिकवरी, घुटना दर्द, गर्दन दर्द, न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, लकवा, बच्चों को होनेवाली बीमारी, सेलेब्रल पाल्सी जैसी बीमारियों में बेहद कारगर होती है फिजियोथेरेपी. लेकिन 16 जनवरी से ही राज्य के सभी जिला अस्पतालों के फिजियोथेरेपी सेंटर बंद हैं.
सभी जिला अस्पताल में हैं 2-2 फिजियोथेरेपिस्ट, 2013 से कॉट्रेक्ट पर हैं नियुक्तःहड़ताल और राज्य की बीमार जनता की परेशानी के लिए सरकार को जिम्मेवार बताते हुए अनुबंधित फिजियोथेरेपिस्ट एसोसिएशन के डॉ अभय पांडे ने कहा कि 2013 से ही राज्य भर के फिजियोथेरेपिस्ट अनुबंध पर सेवा दे रहे हैं. अभी तक एक भी बार स्थायी फिजियोथेरेपिस्ट की बहाली नहीं निकली है. हमलोगों का भविष्य बर्बाद हो रहा है.
सेवा नियमितिकरण की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं अनुबंधित नर्सें और पारा मेडिकल कर्मीःसेवा नियमितीकरण की एकसूत्री मांग को लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की अनुबंधित नर्सें और पारा मेडिकल कर्मियों की हड़ताल 16 जनवरी से जारी है. 24 जनवरी से राजभवन के समक्ष आमरण अनशन भी जारी है. कई नर्सों और पारा मेडिकलकर्मियों की तबीयत भी खराब होने पर अस्पताल में भी भर्ती कराना पड़ा. आमरण अनशन पर बैठे एनएचएम अनुबंधित नर्सों और पारा मेडिकल कर्मियों ने 04 फरवरी को भिक्षाटन भी किया. झारखंड पारा मेडिकल कर्मी संघ के संतोष कुमार ने कहा कि उनकी जायज मांगों पर भी सरकार मौन बनी हुई है. उन्होंने कहा कि 2019 में वर्तमान मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा था कि 3 महीने में अनुबंध शब्द उनके पद के आगे से हट जाएगा, लेकिन अब 3 साल हो गए हैं, लेकिन सरकार की ओर से मिलने तक कोई नहीं आया है.
ये नर्सें और लैब टेक्नीशियन बैठे हैं आमरण अनशन परःझारखंड राज्य राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, जीएनएम एएनएम संघ के आमरण अनशन में बैठने वाले 21 नर्सों और लैब टेक्नीशियन सूची इस तरह है. धरनी कुमारी, सूर्यकांति कुमारी, ममता कुमारी, पूर्णिमा कुमारी, वीणा कुमारी, शिवरानी अंजलिना खाका, पूनम कुमारी, नंदनी कुमारी, ललिता कुमारी, अनिता कुमारी, बबीता कुमारी, टेरेसा मिंज, अरुणा टोप्पो, सुनीता कुमारी, विनय कुमार सिंह, सत्येंद्र कुमारी, नवीन कुमार,
रंजन सुशांत कुमारी दास, रंजीत सोरेन और प्रदीप कुमार. इनमें से बारी बारी से कई की तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया और ठीक होकर ये फिर आमरण अनशन में शामिल हो जाते हैं. अनशनकारियों के समर्थन में हर दिन अलग अलग जिलों से सैकड़ों की संख्या में अनुबंधित नर्सें राजभवन के समक्ष पहुंचती हैं और धरना देती हैं.
स्वास्थ्य व्यवस्था पर पड़ रहा है प्रतिकूल असरःराज्यभर के आठ-साढ़े आठ हजार अनुबंधित नर्सें और पारा मेडिकल स्टाफ की हड़ताल की वजह से राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था प्रभावित हुई है. रूटीन टीकाकरण से लेकर ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था बेपटरी हुई है. फिजियोथेरेपी सेंटर, MTC सेंटर पर भी इसका असर हुआ है.
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी आउटसोर्सिंग से बहाल नर्सों के भरोसे स्वास्थ्य सेवा सुचारू रखने का दावा करते हैं पर वह पर्याप्त नहीं है.