रांची: राजधानी के मेन रोड में हुई हिंसक झड़प को लेकर स्थानीय लोगों में आक्रोश है. वहीं घटना को लेकर आम लोग कई तरह की बातें कर रहे हैं. मेन रोड स्थित हनुमान मंदिर में पत्थरबाजी को लेकर स्थानीय लोगों में खासा आक्रोश देखने को मिल रहा है. लोग बता रहे हैं कि मंदिर में जिस प्रकार से पत्थरबाजी की गई है यह पूरी तरह से सुनियोजित (People described well planned incident of violence) लग रहा है. उनकी दलील है कि पत्थरों को देखकर ऐसा लगता है कि इसे कहीं से लाया गया क्योंकि साफ सुथरे मेन रोड में पत्थर का होना मुमकिन नहीं है.
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मंदिर में वर्षों से काम कर रहे पुजारी सुबोध पाठक बताते हैं कि मेन रोड रांची का सबसे व्यस्ततम रोड है. इसीलिए यहां पर प्रत्येक दिन नगर निगम के लोग साफ सफाई का काम करते हैं. आम दिनों में देखा जाए तो सड़क पर एक पत्थर मिलना मुश्किल होता है. आगे वो कहते हैं कि लेकिन 10 जून को हुई (violence in Ranchi) घटना के दौरान सैकड़ों पत्थर मंदिर पर फेंके गए, उसके शीशे तोड़े गए और इस पत्थरबाजी में कई लोगों के सिर भी फूटे.
पंडित सुबोध पाठक बताते हैं कि पत्थर के आकार को देखें तो यह देखकर लगता है कि यह पत्थर खास तौर पर पत्थरबाजी के लिए ही एकत्रित किए गए हों. क्योंकि सभी पत्थर के आकार एक समान हैं जिसे पकड़ने में काफी आसानी होती है. इस पत्थर को फेंकने के बाद किसी भी व्यक्ति को चोट भी ज्यादा लगती है. वहीं मंदिर में प्रतिदिन पूजा करने पहुंचने वाले भक्त प्रदीप राजगड़िया बताते हैं कि 10 जून को हुई हिंसक झड़प में फेंके गए पत्थर को देखने के बाद यह लग रहा है कि सभी पत्थरों को एक जगह जमा किया गया है उसके बाद पूरे घटना को अंजाम दिया गया है.
उन्होंने बताया कि पूर्व में भी कई बार अन्य राज्यों में जो घटना देखी गई है उसमें पाया गया है कि लोग पहले से ही अपने घरों में, छतों पर और पानी की टंकियों पर पत्थर जमा कर इस तरह की घटना को अंजाम देते हैं. वहीं कुछ लोगों ने बताया कि इस तरह के पत्थर खास तौर पर पत्थरबाजी के लिए ही उपयोग किए जाते हैं. क्योंकि अमूमन सड़क पर मिलने वाले पत्थर या तो बहुत छोटे होते हैं या फिर बड़े होते हैं. लेकिन 10 जून को हुई पत्थरबाजी में जिस तरह के पत्थर का उपयोग किया गया है उससे यही प्रतीत होता है कि यह घटना सुनियोजित है और पूरी तरह से योजना बनाकर इस घटना को अंजाम दिया गया है.