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रांची में म्यूटेशन के नाम पर मनमानी कर रहे हैं अंचलाधिकारी, राइट टू सर्विस एक्ट को दिखाते हैं ठेंगा

रांची में म्यूटेशन के 10 हजार से अधिक मामले लंबित हैं. विधायक कुशवाहा शशिभूषण मेहता ने इससे जुड़े सवाल विधानसभा में पूछे, जिसका मंत्री जोबा मांझी ने जवाब दिया.

Pending cases of mutation in Ranchi raised in Jharkhand assembly
Pending cases of mutation in Ranchi raised in Jharkhand assembly

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Published : Mar 11, 2022, 10:18 PM IST

रांची: झारखंड के अंचल कार्यालयों में राइट टू सर्विस एक्ट कोई मायने नहीं रखता. एक समय सीमा के भीतर दाखिल खारिज करने का प्रावधान है, लेकिन इसको फॉलो नहीं किया जाता. प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक कुशवाहा शशिभूषण मेहता ने सरकार से पूछा कि क्या रांची के 23 अंचलों में 2.77 लाख दाखिल आवेदन में 1.49 लाख आवेदन खारिज कर दिए गए हैं. क्या यह सही है कि पूरे राज्य में 68,000 आवेदन लंबित है, इसमें 10,000 लंबित आवेदन की संख्या सिर्फ रांची में है.

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इस गंभीर मामले पर भाजपा विधायक नवीन जायसवाल ने कहा कि रांची में आलम यह है कि अगर रैयत ऑनलाइन अप्लाई करता है तो अंचलाधिकारी उसे रिजेक्ट कर देते हैं. फिर 1 माह बाद उसे एक्सेप्ट भी कर लेते हैं. जबकि रिजेक्शन के बाद मामला एलआरडीसी के कोर्ट में जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि दाखिल खारिज और म्यूटेशन की आड़ में सिर्फ पैसे का खेल चल रहा है. अमित यादव ने पूछा कि इस मामले में दोषी पदाधिकारी पर क्या कार्रवाई हुई.

जवाब में प्रभारी मंत्री जोबा मांझी ने कहा कि थोड़ा समय जरूर लगेगा, लेकिन पेंडिंग मामलों का निष्पादन हो जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर कोई अंचलाधिकारी रिजेक्ट करने के बाद दोबारा आवेदन को स्वीकार करता है तो उसे दंडित करने का प्रावधान है. इसी वजह से रांची के उपायुक्त द्वारा 22 फरवरी 2022 को एक टीम गठित की गई है, जो यह देख रही है कि रांची के सभी अंचलों में दाखिल खारिज के लिए आए आवेदनों के निस्तारण में क्यों विलंब हो रहा है. प्रभारी मंत्री जोबा मांझी ने कहा कि 4 मार्च 2021 के पत्र के आधार पर दाखिल खारिज वादों का निष्पादन समय सीमा पर नहीं किए जाने पर झारखंड सेवा देने की गारंटी अधिनियम 2011 की धारा 7 और धारा 8 में निहित प्रावधानों के तहत दोषी पदाधिकारियों पर जुर्माना लगाने का निर्देश दिया गया है.

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