रांचीः राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स का प्रबंधन पद्मश्री डॉ. कामेश्वर प्रसाद की देखरेख में है. ऐसा इसलिए कि वही रिम्स के निदेशक और सीईओ हैं, खुद न्यूरोलॉजी के प्रख्यात चिकित्सक भी रह चुके हैं. ऐसे में वो भली भांति जानते होंगे कि अस्पताल की इमरजेंसी सेवा कैसी होनी चाहिए. रिम्स में रघुवर दास के कार्यकाल में एम्स दिल्ली के तर्ज पर बनकर तैयार अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस ट्रॉमा एंड सेंट्रल इमरजेंसी भी है. फिर भी राज्य के बीमार, गरीब मरीजों को अत्याधुनिक इमरजेंसी का लाभ क्यों नहीं मिल रहा, यह एक अहम सवाल है.
इसे भी पढ़ें- गर्मी का प्रकोप और रिम्स में पेयजल की समस्या, पानी खरीदकर पीने को मजबूर मरीज
झारखंडी की राजधानी रांची में रिम्स का निर्माण 1960 के दशक में हुआ था. ऐसे में समय के साथ साथ रिम्स की इमरजेंसी में मरीजों का बोझ बढ़ता गया. यहां जगह कम पड़ती गयी और सुविधाएं कम होने के साथ साथ आउटडेटेड होगी गयीं. IPHS के मानक के अनुसार हर बेड के अनुसार डॉक्टर्स, नर्स, मेडिकल स्टाफ और मॉनिटर तक की सुविधाएं नहीं हैं. जगह कम होने के बावजूद मरीज बढ़ने पर एक्स्ट्रा बेड लगा दिए गए. लेकिन इमरजेंसी के हर बेड के साथ अन्य सुविधाएं भी बढ़नी चाहिए पर यहां ऐसा नहीं है.